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प्राकृत-सूक्तरत्नमाला।
वल्ली नरिंद-चित्तं वक्खाणं पाणियं च महिलाओ। तत्थ य वच्चंति सया जत्थ य धुत्तेहिं निजति ॥ १८६ ॥ वल्ली नरेन्द्रचित्तं व्याख्यानं पानीयं च महिलाः । तत्रैव ब्रजन्ति सदा यत्रैव धूतैर्नीयन्ते ॥ १८६ ॥
A creeper, a king's mind, a religious discourse a fluid and a woman-these can always be led by rogues at their will.
जइ केवि पुव्व-पुरिसा अंधलया अंध-कूवए पडिया। ता किं सचक्खूणं झडत्ति तत्थेव पडिअव्वं ? ॥ १८७ ॥ यदि केऽपि पूर्वपुरुषा अन्धा अन्धकूपे पतिताः। ततः किं सचक्षुषां झटिति तत्रैव पतितव्यम् ? ॥ १८७ ॥
If some blind ancestors fell into a dark well, does it follow that a person with his ( mental ) eyes open should instantly fall into the same (well)?
जइ गिलइ गलइ उदरं जइ न गिलइ गलति नयणाई। अइविसमा कज-गई अहिणा छुच्छुदरी गहिया ॥ १८८ ॥ यदि गिलति गलत्युदरं यदि न गिलति गलतो नयने । अतिविषमा कार्यगतिरहिना छुच्छुन्दरी गृहीता ॥ १८८ ॥
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