Book Title: Prakrit Suktaratnamala
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar

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Page 120
________________ INDEX TO FIRST LINES. श्लोक गाथांक. श्लोक गाथांक अमियं पाइय कव्वं १ अंजणं चक्खु संगेण ३० अलमेव विच्छुआण १६ अबस्स य निबस्स य ३१ अलसायंतेणवि सजणेण ७ अंबय-फलं सुपर १०२ अलियं न भासियव्वं १५० अइरोसो अइतोसो १८ अवयारपरेवि परे अइलजा अइमाण ___ अवि जाणिय पत्थावं २२२ अइलालियावि अइपालि २११ श्रा अक्कसुरहीण खीरं १६८ आकड्ढिऊण नीरं अक्खाणसणा कम्माण १६० आरोग्ग सारअं माणु १७७ अगणिजति नासे विजा ६६ आवईगयपि सुहए ८३ अजं परं परारि ११० आ सव्वण्णु मइओ २१६ अज्झवसाण निमित्ते अणवट्ठियस्स धम्म १३७ अत्थो जसो अकित्ती इक्केणंपि विणा माणुसेण १० अपरिक्खिय कयकर्ज १५ इदियचवलतुरंगा ११७ अप्प हियं कायव्वं १६१ ।। इह एव खरा रोहण २२१ अभयंतावि नजति , इह लोए च्चिय जीवा ४ ५ १५३ अभयं सुपत्त दाण २१२ उ अभूसणो सोहइ बंभयारी २०६ उच्छिद्रं विट्ठ पिव १५८ १०४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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