Book Title: Prakrit Suktaratnamala
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar

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Page 44
________________ प्रकृतिः। Nature. कुवियस्स आउरस्स य वसणासत्तस्स आयरत्तस्स। मत्तस्स मरंतस्स य सम्भावा पायडा हुँति ॥ ६४ ॥ कुपितस्यातुरस्य च व्यसनासक्तस्यात्मरक्तस्य । मत्तस्य म्रियमाणस्य च खभावाः प्रकटा भवन्ति ।। ६४॥ The natural disposition of the angry, the sick, the licentions, the selfish, the drunkard and the dying are disclosed i.e. tbey generally cannot keep secret their real motives. चंद-कला छुरि-मुडि चोरिअ-रमियं च थीजणे मंतो। एए गोविजंता जति दिणे पायडा हुँति ॥६५॥ चन्द्रकला क्षुरीमुण्डितं चौर्यरतं च स्त्रीजने मन्त्रः । एते गोप्यमाना याति दिने प्रकटा भवन्ति * ॥ ६५ ॥ * "परभद्रं कला चान्दी चोरिकाक्रीड़ितानि च । प्रकटानि तीये हिन सुच्छन्न सुकतानि च ॥" Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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