Book Title: Prakrit Prakash Satik
Author(s): Bhamah, Udayram Shastri
Publisher: Jay Krishnadas Gupta

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Page 134
________________ अष्टमः परिच्छेदः। ११५ गमे रेते एक विंशति रादेशा वा भवन्ति । अईइ । णी। इ. त्यादि। पक्षे गच्छइ ॥ हम्मइ । णिहम्मइ । णीहम्मद । आहम्मद । पहम्मइ । इत्येते तु हम्म गती वित्यस्यैव भविष्यन्ति ॥ हे ० । आइ पूर्वकस्य गमेः अहिपञ्चुअइ ॥ सम्युक्तस्य-अभिहुइ ॥ अम्याङ् पूर्वस्थ-उम्मथइ । अभि मुख मागच्छतीत्यर्थः ॥ प्रत्याङ् पूर्वस्यपलोहइ ॥ प्रत्यागच्छतीत्यर्थः ।। शमेः-पडिसाइ । पडिसामइ । समइ ॥ रमेः संखुट्ट-खेड्ड उम्भाव-किलिकिञ्च-कोटुम-मोट्टाय-णीस. र-रेल्लाः ॥ १६८ ॥ संखुड्डछ । इत्यादि । पक्षे रम ॥ पूरे-रग्घाड-अग्धव-उधुम-अङ्गम-अहिरेमाः ॥ १६९ ॥ अग्घाडइ। इत्यादि । पक्षे पूरइ । पूरयतीत्यर्थः ॥ त्वरतेः-जअडइ । इत्यधिकः॥ क्षरः खिर-झर-पज्झर-पड-णिच्चल- णिआः। १७३॥ खिरइ । इत्यादि ॥ उच्छलतेः-उत्थलइ॥ विगलेः थिप्पड ॥ दले विसद ॥ वले वस्फइ ॥ पक्षे । विगलइ । दलइ । बलइ॥ भ्रंशेः फिड-फिट्ट-फुड-फुट्ट-चुक्क-भुल्लाः ॥ १७७ ॥ फिड । इत्यादि । पक्षे भसइ ॥ नशेर्णिरनास-णिवह-अवरोह-पडिसा-सेहावहराः ॥ १७८ ॥ पक्षे नस्सइ ॥ संदिशतेः-अथाहइ । संदिसइ । अवात्काशः-ओ. वास। दृशो निअच्छ-पेच्छ-अवयच्छ-अवयज्झ-बज्ज-सव्यव-देवखं. ओअख-अबक्ख-अब अक्खइ-पुलोअ (पुलाए ) निअ-अव आसपासाः ॥१८१॥ निअच्छइ । इत्यादि । निझाअइ इति तु निध्यायतेः। स्पृशः फास-फल-फरिस-छिव-द्विह-आलुख-आलिहाः॥१८२॥ फासइ । इत्यादि । प्रविशः-रिअइ । पविशद ॥ प्रमृशतेः प्रमुष्णाते श्च-पम्हसा ॥ पिषे णिवह-णिरिणास-णिरिणज-रोञ्च-चडः॥ १८५ ॥ णिवहा । इत्यादि । पक्षे। पीसइ ॥भषेः-भुकाइ । भलइ॥ कृषः कढ़-साअद-अञ्च-अणच्छ-अयञ्छ-आइञ्छाः ॥ १८७॥ कडुइ । इत्यादि । पक्षे करिसइ ॥ आस विषयस्य तु अक्खोडइ (अश्खोड) असिं कोशात्कर्षतीत्यर्थः॥ Aho! Shrutgyanam

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