Book Title: Prakashit Jain Sahitya
Author(s): Pannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
Publisher: Jain Mitra Mandal

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Page 8
________________ कि जहाँ देश मे अन्य सर्व धर्मों के प्रर्वतको के भगवान कृष्ण, राम, मोहम्मद, ईसा, गुरु नानक के-जन्म उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाये जाते हैं वहाँ जन धर्म के किसी भी तीर्थ कर का जन्म उत्सव नही मनाया जाता, इसी भावना से प्रोत प्रोत होकर जैन मित्र मण्डल ने सर्व प्रथम सन् १९२५ मे 'महावीर जयन्ती महोत्सव' देहली मे मनाया जिसमे मौलाना मोहम्मद अली, महात्मा भगवानदीन, प० अर्जुनलाल सेठी जैसे विद्वानो के भाषण हुए। समाज में इस प्रकार के उत्सव मनाने पर विरोध भी हुआ, मडल के कर्मठ सैनिकों को प्राक्षेप भी सहने पडे, परन्तु उत्सव की उपयोगिता तथा उसकी सफलता ने उनके उत्साह को बढाया और उसके बाद ३३ वर्षों मे मडल ने महावीर जयन्ती को एक बहुत ही प्रभावशाली, सुन्दर आकर्षक तथा सार्वजनिक रूप दे ला । नाज मण्डल को इस बात का गौरव है कि समस्त भारत मे महावीरजयन्ती मनाने तथा मनवाने का श्रेय इसी संस्था को है। महावीर ज्यन्ती को अधिक से अधिक उपयोगी बनाने के हेतु मडन कविमम्मेलन, सगीतसम्मेलन, उर्दु मुशायरा तथा व्याख्यानो का बडा ही सुन्दर तथा रोचक पोग्राम रखता है । इस अवसर पर मडल भारत के राष्ट्रपति, प्रधान मत्री, विदेशो के राजदूत, भारतसघ के मन्त्रीगगा, भारत राज्य के राज्यपालो तथा अन्य सभी जाति तथा धर्म के नेताओ को आमत्रित करता है और उनसे इस आयोजन के विषय मे तथा भगवान महावीर के सिद्धान्तों व आज के युग में उनकी प्रावश्यकता पर सुन्दर तथा प्रभावशाली लेख तथा सन्देश मगाता है और उन्हे सहस्रो की संख्या में प्रकाशित कर देश तथा विदेशों मे वितरण करता है । ६. जैन मित्र मडल देहली जैन समाज मे पुस्तक प्रकाशन में एक अद्वितीय स्थान रखता है। मडल ने अपना उद्देश्य जैन धर्म के शास्त्रो के प्रकाशन का नही रखा बल्कि इसने अंग्रेी नागरी तथा उर्दू मे नये प्रकार के साहित्य का निर्माण कराया । माज के युग मे निता इतना भी समय .

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