Book Title: Pariksha Mukha
Author(s): Manikyanandiswami, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 12
________________ कारण होने ज्ञेयरूपता पारमार्थिक प्रत्यक्ष का लक्षण ३६ मानने का निराकरण ३८ | पारमाधिक प्रत्यक्ष के शव ४० P | জঙ্খ লুলীত্মঃ নৃস্থিত? অহ কা কা অলিভ ৮। কী কা লালা परोक्ष के कारण और भेद ४१ / पक्ष का लक्षण स्मृति प्रमाण का लक्षण ४२ पिकल्पासिद्ध धर्मी में साध्य ५२ स्मृति का दृष्टान्त ४३ / विकल्प सिद्ध धर्मी का उदाहरण ५२ प्रत्यभिज्ञान का स्वरूप ४३ उभयसिद्ध धर्मी साध्य ५२ प्रत्यभिज्ञान के दृष्टान्त | उभयसिद्ध धर्मी का दृष्टान्त ५३ तकंप्रमाण के कारण व लक्षण ४५ द्विविधधर्मी के दृष्टान्त ५३ व्याप्तिज्ञान की प्रवृत्तिका प्रकार ४५ নাদিকাল ঈ অ । লিঙ্গ ২৪ प्रनुमान का कारण और धर्मी को साध्य मानने से हानि ५३ स्वरूप ४६ | पक्ष के प्रयोग की आवश्यकता ५४ हेतु (साधन) का लक्षण ४६ | पक्ष के प्रयोग की जावश्यकता দ্রবিলাসা কা লন্স। का दृष्टान्त ५४ सहभावनियम का लक्षण पक्ष के प्रयोग की आवश्यकता ফ্লক্সালিমুল কা লহ্ম্য की पुष्टि ५५ व्याप्तिज्ञान के निर्णयका अनुमान के अङ्गों का निर्णय ५६ कारण ४८ उदाहरण को अनुमान का अंग साध्य का स्वरूप ४८ न होने का कारण २६ জুবিক্স বিহীত জুা অল। ভাতা চী চালকঃ ক। इष्टाबाधित पद का सायंक्य আদিখ্যে ক্ষুা সবিকা ৪০ उदाहरण के अनुमानाङ्ग होने इष्टविशेषण का अधिकारी ५० का लण्डन ५८ उपायुक्त कथन का कारण ५० व्याप्तिस्मरणार्थ उदाहरणकी , সুক্ষ্ম = লিঙ্গ

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