________________
पाण्डव पुराण । विध्यध्वजने उस कन्याको सभी गुण-सम्पन्न बनानेके लिए मेरे पास भेज दिया। मेरा उस पर और उसका मुझ पर पूरा स्नेह था । एक दिन ... हम दोनों वसन्ततिफल नाम उद्यानमें क्रीड़ा कर रही थीं । दैवयोगसे इतनेमें उसे एक सॉपने काट खाया और वह उसी वक्त वेहोश हो गई । उस वक्त मैंने उसे नमस्कार मंत्र दिया तथा उसका माहात्म्य भी समझा दिया। बाद कुछ देरमें वह उस मंत्रका जाप करती हुई मर गई और यहाँ आकर यह गंगादेवी हुई। इसने उसी धर्मानुरागसे मुझ पर यह स्नेह दिखाया है । यह सब कहानी सुन कर जयने गंगादेवीको विदा कर आप फहराती हुई धुजाओंवाले उसके बनाए हुए मनोहर महलमें गये । वहाँ रात पूरी कर सवेरे वे सूरजकी नॉई उठे और गंगाके किनारे किनारे चल कर शीघ्र ही हस्तनागपुर आ पहुँचे । हस्तनागपुर अपनी सुन्दर सामग्रीसे मनुष्यसा जान पड़ता था। मनुष्यके हाथ होते हैं, इसके उड़ती हुई पताकाएँ ही हाथ थीं । मनुष्यके मुख होता है, इसके सुवर्णकलश ही सुन्दर मुख था । पुरुषके वक्षस्थल होता है, इसके बड़े बड़े तोरण ही वक्षस्थल जैसे थे । मनुष्यके नेत्र होते है, उसके झरोखे ही नेत्र थे । मनुष्यके कटीभाग, पैर और नख होते हैं, उसके भी गुमटियोंके नीचेकी गहराई सी जो होती है वह कटीभाग और खंभे पॉव तथा उनमें जड़े हुए रत्न ही नख थे । एवं मनुष्य के स्त्री होती है, उसके भी सत्पुरुषोंकी संख्यारूपी स्त्री थी । वहुत क्या कहें, इस नगरकी अपूर्व ही शोभा थी । सव तरहसे सजे-धजे हस्तनागपुरको देख कर जय महाराज बहुत ही सन्तुष्ट हुए । वे सुलोचना सहित वहाँ ऐसे शोभते थे मानों जयका अवतार ही है । जयने नगरमें उसी तरह प्रवेश किया, जिस तरह कि चक्रवती अयोध्या नगरी में प्रवेश करता है। एवं वहॉ वे सच्चे सुखोंको देनेवाली अपनी प्रियाके साथ-साथ सुखसे सुन्दर महलोंमें निवास करने लगे। सुलोचनाके मुख-कमलके भ्रमरके जैसे जय अपने छोटे भाइयों सहित पृथ्वीका पालन करते हुए इन्द्र के जैसे शोभते थे।
___एक दिन जय महाराजने महलके ऊपरसे एक कबूतरोंके जोड़ेको देखा और उसे देखते ही, “.मेरी प्रभावती कहाँ है। यह कह कर वे बेहोश होगये। तथा मीठी मीठी ध्वनि करनेवाले उन कबूतरोंको देख कर सुलोचनाको भी जातिस्मरण हो आया एवं वह भी हा, “ मेरा रतिवर कहा है । यह कह मूर्छित हो गई । उस समय सभी. कुटुम्ब-परिवारके लोग इकट्ठे हो गये और उन्होंने चंदन आदि शीतल वस्तुओंके उपचार द्वारा उनकी मूर्खाको दूर किया; जिस तरह रत्नोंकी ज्योति अँधेरेको