Book Title: Panchsaptati Shatsthan Chatushpadi
Author(s): Rajendrasuri, Yatindravijay
Publisher: Ratanchand Hajarimal Kasturchandji Porwad Jain
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सारांश ५ उल्लास ] पञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी.
१ - ऋषभदेवना निर्वाणथी पचास लाख कोटी सागरोपम पछी अजितनाथनो निर्वाण थयो. २ - अजितनाथना निर्वाणथी त्रीश लाख क्रोड सागरोपम पछी संभवनाथनो निर्वाण थयो. ३ – संभवनाथना निर्वाणथी दश लाख क्रोड सागर पछी अभिनन्दननो निर्वाण थयो. ४ - अभिनंदनना निर्वाणथी नव लाख क्रोड सागर पछी सुमतिनाथनो निर्वाण थयो. ५ - सुमतिनाथना निर्वाणथी नेऊ हजार क्रोड सागर पछी पद्मप्रभनो निर्वाण थयो. ६ - पद्मप्रभना निर्वाणथी नव हजार क्रोड सागर पछी सुपार्श्वनाथनो निर्वाण थयो. ७-सुपार्श्वनाथना निर्वाणथी नवशो क्रोड सागर पछी चन्द्रप्रभनो निर्वाण थयो. ८ - चन्द्रप्रभना निर्वाणथी नेऊ क्रोड सागर पछी सुविधिनाथनो निर्वाण थयो. ९ - सुविधिनाथना निर्वाणथी नव क्रोड सागर पछी शीतलजिननो निर्वाण थयो. १० - शीतलनाथना निर्वाणथी १०० सागरोपम ६६ लाख २६ हजार वर्ष कम एक क्रोड सागर पछी श्रेयांसनाथनो निर्वाण थयो. ११ - श्रेयांसनाथना निर्वाणथी चोपन सागर पछी वासुपूज्यनो निर्वाण थयो. १२ - वासुपूज्यना निर्वाणथी त्रीश सागर पछी विमलनाथनो निर्वाण थयो. १३ - विमलनाथना मोक्षथी नव सागर पछी अनन्तजिननो निर्वाण थयो. १४ - अनन्तजिनना मोक्षथी चार सागरोपम पछी धर्मनाथनो निर्वाण थयो. १५ - धर्मनाथना मोक्षथी पोणपल्योपम कम श्रण सागर पछी शांतिनाथनो