Book Title: Panchsaptati Shatsthan Chatushpadi
Author(s): Rajendrasuri, Yatindravijay
Publisher: Ratanchand Hajarimal Kasturchandji Porwad Jain

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Page 166
________________ उल्लास] श्रीपञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. १४३ नमि-नेमिना अंतरे, चक्री जय नृपराय।. . नेमि-पार्श्व के मध्यमें, ब्रह्मदत्त कहिवाय ॥५०० ॥ आयु एहनो इम कह्यो, लख चोरासी पूर्व । लाख बहोत्तर पूर्वनो, आगल वर्ष अपूर्व ॥५०१ ॥ पांच तीन इक लाखनो, पंचाणुं वर्ष हजार । चोरासि साठ तीस दश, तीन सहस ए धार ॥ ५०२॥ अंतिम वर्ष सातसो, आयु वदे जिनराय । सूरिराजेन्द्रना शासने, पुरुषोत्तम ए थाय ॥ ५०३ ॥ १७४ जिनशासनमा नव प्रतिवासुदेव अश्वग्रीव तारक अरु, मेरक मधुकैटभ । निशुंभ बली प्रहलाद, रावण जरासंधेम ॥५०४ ॥ 'जिनतीर्थमें ए सहि, प्रतिविष्णु कहिवाय । एने मारीने गादिपे, वासुदेव ते थाय ॥५०५ ॥ १.७५ जिनशासनमां नव वासुदेव- .... त्रिपृष्ट द्विपृष्ट स्वयंभू, पुरुषोत्तम पुरुषसिंह । वासुदेव श्रेयांसथी, धर्म लग पण अवीह ॥५०६ ॥ पुरुषपुंडरीक ने दत्त, अर-मल्लि मध जाण । मुनिसुव्रत नम्यंतरे, लछमन छे परमाण ॥५०७ ॥ .. १ पांचसो साढी चारसो, साढी बेंतालीस ।

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