Book Title: Panchsaptati Shatsthan Chatushpadi
Author(s): Rajendrasuri, Yatindravijay
Publisher: Ratanchand Hajarimal Kasturchandji Porwad Jain

View full book text
Previous | Next

Page 199
________________ ९७६ श्रीमहाबीर-गौतम-प्रवचन. [शुभाशुभकर्म गाडी रथमां बेशीने,बलद दोडाव्या बाट। ' अगने तपावी धूसरा, देई दोडावे घाट ॥२६२॥ रागतणा रसिया घणा, सुण सुण करता तान । धर्मकथा नहीं सांभली, तेहना काटे कान ॥२६३॥ पर नारीना रूपनो, विषय वखाण्यो जोय । देव गुरु निरख्या नहीं, काढे आंखो दोय॥२६४॥ झूठ वचन बोल्या बहु, कूड कपटनी खाण । परमाधामी तेहनी, जीभ काढे झट ताण ॥२६५॥ कुहाडे करी कापियां, नाना मोटा झाड । 'परमाधामी तेहना, मस्तक छेदे फाड ॥२६६॥ पूज्य कही पूजावता, करता अनरथ मूल । कामिनी गर्भ गलावता, तेहने प्रोवे शूल ॥२६॥ अमाचार अति सेवियां, कीयां बहुत अन्याय । वज्रतणा कांसकरी, पीलण लाग्या तांय ॥२६८॥ साधु जन संतापिया, निंदा किधी अपार । लाते थांभे गांधीने, दे मुद्गरनी भार॥२६९।। रस्ते लूट्या रांकने, करी कोप अन्याय । निर्दयता किधी घणी, पीले घाणी मांय ॥२७॥ झूठा सोगन खावता, करता चुगली चाड । जोरावर यमदूत ते, करत पछाड पछाड ॥२७॥ अनुचित कारज जे करे, तेहना एह हवाल । सांभली धर्म जे आदरे, पामे सुक्ख रसाल ॥२७२।।

Loading...

Page Navigation
1 ... 197 198 199 200 201 202