Book Title: Panchsaptati Shatsthan Chatushpadi
Author(s): Rajendrasuri, Yatindravijay
Publisher: Ratanchand Hajarimal Kasturchandji Porwad Jain
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फलोनो दृश्य ] महावीर-गौतम-प्रवचन.
पूर्वभवे प्राणी करे, रंग रेडना कर्म ।
सांध्या बहु संजोगथी, ए फलना छ मर्म ॥१६३॥ ७५ मले रोग मरकी तणो, मरगी जालो मान ।।
शाथी को स्वामी ! थशे, धरूं हूँ एकज कान ॥१६४।। धमण धमी लुहारनी, तीव्र रसथी जाण । ..
पूर्व भवे प्राणी जनो, लहे फल आखर मान ॥१६५॥ ७६ लींट लालने धुंकतो, केइक मनुष्यने थाय ।
वृद्धि शा करमे थई, शाथी ए निंदाय ॥१६६॥ पूर्वभवे प्राणी करे, कचरो छाणज लाद ।
बहु दिन भेलु राखियुं, थाप्या छाणां खाद ॥१६७॥ ७७ जल मांही जन तो मरे, बूडी जाये केम ।
कया करम कीधां थकी. ए गति मलशे एम॥१६८॥ पेसाबमां पेशाब तो, करियुं वारंवार ।
एथी जन बूडी मरे, पर भवनी मोझार ॥१६९॥ ७८ मरे जीव बालक दशा, जरी न पामे सुक्ख ।
कया करम कीधां हशे. कोने दीना दुःख ॥१७०॥ आकर खान खणे घणा, पूर्व भवे को जन्न ।
एथी जनमे ने मरे, मात्र नाम छे तन्न ॥१७१॥ ७९ वहे नाक मोढुं घj, खेल घणोज खराब ।
कया करम कीधां हशे, जिनवर द्योज जबाब ॥१७२॥ कूवा वावडीना वली, जल उलेच्यां जान । . लाल लींट ने खेल छे, एथी आ भव मान ॥१७३॥
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