Book Title: Panchsaptati Shatsthan Chatushpadi
Author(s): Rajendrasuri, Yatindravijay
Publisher: Ratanchand Hajarimal Kasturchandji Porwad Jain
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१२४ पञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. चतुर्थएक लाख तेंतीस सहस, चारसो ऊपर जान । चोवीसे जिनवर तणा, अवधिनाणि मुनि मान ॥ ३७७॥ १२२ जिनेश्वरोना चौदपूर्वधरमुनियोनी संख्या-- चौदहपूर्वी जिनतणा, ऋषभादि क्रम जेह । साढि संतालीससो, सेंतीससो वीस गणेह ॥३७८ ॥ साढि इगवीससो पनरशत, चोवीससो सुलेख । तेवीसशत दोसहस तीस, सहस दो गणिये देख ।। ३७९ ।। पनरसो चौदसो तेरसो, बारसो ग्यार शतेय । हजार नवसो आठसो, छेसो सित्तर लेय ॥ ३८०॥ छेसो-दश छसो-अडसठ, पांचसो वली धार । साढी-चारसो चारसो, साढ़ि तीनसो सार ॥३८१॥ तीनसो चरम जिनतणा, सह संख्या इम चीन । चोंतीस सहस सब सही, तेमां दो कर हीन ॥३८२ ।। १२३ जिनेश्वरोना वैक्रियलब्धिधर मुनियोनी संख्यावीसहजार छेसो अरु, सहस वीस शतचार । सहस उन्नीस आठसो, वलि उगणिस हजार ॥ ३८३ ॥ अढारसहस ने चारसो, आठसो सोल हजार । पनर सहस ने तीनसो, सहस चौद मन धार ।। ३८४ ॥ सहस तेर ने बार सहस, सहस ग्यार अरु थाय । दश नव अड शत एवलि, धरो सहस दिलमाय ॥३८५॥
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