Book Title: Panchsaptati Shatsthan Chatushpadi
Author(s): Rajendrasuri, Yatindravijay
Publisher: Ratanchand Hajarimal Kasturchandji Porwad Jain

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Page 157
________________ १३४ श्रीपञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. [पंचम१५२ जिनेश्वरोनी मोक्षगमन राशिमकर वृषभ मिथुन कर्क, कर्क कन्या अलि जाण । वृश्चिक धन धन कुंभ मीन, मीन मीन ककटाण ॥४५५॥ मेष वृषभ मीन मेष, मकर मेष तुल होय । तुल तुल ऋषभादि क्रमे, मोक्षगमन इम जोय ॥४५६॥ १५३-१५४ मोक्षगमनना स्थान अने आसनवासुपूज्य चंपा वीर पावा, नेमि रैवत-गिरिवरे । अष्टापदे श्रीऋषभ सिद्धा, शेष संमेतगिरि ऊपरे ।। वीर उसह नेमि परियंक, आसने सिद्धी गया । काउसग्ग आसन शेष जिनपति, मोक्ष ठाणे संचा।४५७॥ १५५-१५६ मोक्षगमनाऽवगाहना अने तप अवगाहना सहु तीर्थपतिनी, तिभाग ऊणी जानिये । निज आसन परमाण सेती तिभाग ओछे मानिये ॥ चउत्थ भक्ते ऋषभ मुक्ति, छट्ठ भक्ते वीरजी। मास भक्ते शेष जिनवर, शिव लही तजि पीरजी ।४५८॥ १५७ जिनेश्वरोनो मोक्षगमन परिवारदशसहस्र मुनिसुं ऋषभ शिवगति पद्म तीनसो आठसुं। वासुपूज्य छ शत विमल सहसषद् वीर गत परिवारसुं॥ . सात सहखें अनंत जिन, धर्म इक शत आठसुं । पण शतसुं मल्लि सुपार्श्व, सिद्धा पार्श्व तेंतीस धारसुं।४५९॥

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