Book Title: Pali Sahitya ka Itihas
Author(s): Bharatsinh Upadhyaya
Publisher: Hindi Sahitya Sammelan Prayag

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ प्राकथन भारतीय वाङ्मय में बौद्ध साहित्य और उसमें भी पालि-साहित्य का बहुत महत्त्व है, इतना कहने से भी हम पालि साहित्य के महत्त्व को अच्छी तरह प्रकट नहीं कर सकते। वस्तुतः ईसवी सन् के पहले और पीछे की पाँच शताब्दियों के भारत के विचार, साहित्य, समाज सभी क्षेत्रों की हमारी जानकारी बिलकुल अधूरी रह जाती यदि हमारे पास पालि साहित्य न होता। हमारे इतिहास के कितने ही अन्धकारावृत भागों पर पालि साहित्य ने प्रकाश डाला है। हमारे ऐतिहासिक नगरों और गाँवों में से बहुतों को विस्मति के गर्भ में से बाहर निकालने का श्रेय पालि साहित्य को है। फिर भारत के सर्वश्रेष्ठ पुरुष गौतम बुद्ध के मानव रूप का साक्षात्कार करने के लिए पालि साहित्य तो अनिवार्यतया आवश्यक है। ___ दुनिया की प्रायः सभी उन्नत भाषाओं में पालि साहित्य की अनमोल निधियों के अनुवाद हुए हैं, पालि साहित्य के ऊपर परिचयात्मक ग्रन्थ लिखे गए हैं, यह खेद की बात है कि हमारी हिन्दी भाषा में ऐसी कोई पुस्तक नहीं लिखी गई थी। कुछ महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों के अनुवाद अवश्य हुए हैं, लेकिन वहाँ भी वहुत थोड़े भाग में काम हो सका है। श्री भरत सिंह उपाध्याय ने पालि साहित्य के इतिहास पर एक विस्तृत ग्रन्थ लिख कर हिन्दी साहित्य की एक बड़ी कमी को पूरा किया है। उनके ग्रन्थ में पालि साहित्य और तुलनात्मक भाषा के सम्बन्ध में भी पर्याप्त सामग्री दी गई है। इस ग्रन्थ के सब गुणों का परिचय देना यहाँ सम्भव नहीं है । किन्तु मैं समझता हूँ कि यह पुस्तक पालि साहित्य के उच्च विद्यार्थियों एवं अध्यापकों के लिए तो बहुत सहायक साबित होगी ही, साथ ही माहित्य में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए भी बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। दिल्ली राहुल सांकृत्यायन

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 760