Book Title: Oswal Vansh Sthapak Adyacharya Ratnaprabhsuriji Ka Jayanti Mahotsav
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala

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Page 9
________________ [ ५ "ततो भीन्नमालात् अष्टादशसहस्र कुटुम्ब अगात् । द्वादश योजना नगरी जाता” । अठारह हजार कुटुम्ब भिन्नमाल (श्रीमाल ) नगर से आए और भी अन्य नगरों से आये हुए लोगों से वह नगर बारह योजन लम्बा नौ योजन चौड़ा बस गया। इसके अलावा उपकेश गच्छ चारित्र में भी इसका उल्लेख इस प्रकार मिलता है।। अष्टादश सहस्राणि, कुलानां वणिज तथा । तद नि द्विजातीनामसंख्याप्रकृतिरपि ॥३२॥ अर्थात् अठारह हजार व्यापार करने वाले महाजन, नौ हजार ब्राह्मण और अनगिनती के अन्य वर्ण वाले लोगों ने श्रीमाल नगर का त्याग करके नूतन बसे हुए उपकेश नगर में वास किया। फिर भी इसके अलावा "नाभिनन्दनजिनोद्धार" नामक ग्रन्थ में इस नगर का विस्तृत वर्णन किया है और किसी ऐतिहासिक भाषा कवि की कविता भी इस बात को सिद्ध करती है तथा:गाड़ी सहस गुण तीस, भल्ला रथ सहस इग्यारा । अठारा सहस असवार, पाला पायक नहीं पारा ॥ मोठी सहस अठार, तीस हस्ती मद भरता । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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