Book Title: Oswal Vansh Sthapak Adyacharya Ratnaprabhsuriji Ka Jayanti Mahotsav
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala

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Page 50
________________ ने लाने भीत से लोग [ ४६ ] कि एक कैर का झाड़ के पास गाय जाती है तव द्ध स्वयं भर जाता है। मंत्री ने बहुत से लोगों से इसका कारण पूछा पर किसी ने भी ठीक उत्तर नहीं दिया तब मन्त्रीश्वर ने सूरीश्वरजी के पास प्राकर अर्ज की। सूरिजो ने सब हाल जो कि देवी ने कहा था कह सुनाया इस पर तो मंत्रीश्वर को महावीर प्रभु के दर्शन की बड़ी उत्कण्ठा हुई और आचार्यश्री से अर्ज की कि आप पधारिये और हम सबको महावीर भगवान के दर्शन कराइये। प्राचार्यश्री ने कहा कि अभी सात दिन की देरी है इसलिये जरा धैर्य रखो । परन्तु जनता के लिये सात दिन तो क्या पर सात घड़ी भी निकालना असह्य हो गया । राजा एवं प्रजा सब लोग इतने तो उत्सुक बन गये कि वे अपनी ओर से असंख्य नर, नारियों, हस्ती अश्व, रथ, पैदल और गाजे बाजे आदि वरघोड़े की सब सामग्री तैयार कर प्राचार्यश्री के पास आकर श्रामन्त्रण किया कि हे प्रभो ! पधारिये और हम सब लोगों को प्रभु महावीर का दर्शन कराइये? इस पर सूरिजी ने फरमाया कि"प्राचार्यैःप्रोक्तंअद्यापिकिंचित्प्रसंपूर्ण बिंब विलम्बस्व।" ___ अभी कुछ धैर्य रखो बिंब तैयार नहीं हुआ है। "श्रोष्टनापोक्तंगुरुणांकरप्रसादात्संपूर्णं भविष्यति' ___ श्रेष्टि ने कहा कि आपकी कृपा से सब कुछ अच्छा और कल्याणकारी होगा। श्रीसंघ की तीव्र अभिलाषा है और सब सामग्री भी तैयार है अब वीर प्रभु के दर्शन करवाने में देरी न हो इत्यादि अत्याग्रह और उन खोगों का उत्साह देख कर इस बात को सूरिजी ने Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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