Book Title: Oswal Vansh Sthapak Adyacharya Ratnaprabhsuriji Ka Jayanti Mahotsav
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala
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[ ६१ ] पकारी थे अतएव जैनियों के बच्चे बच्चे का कर्तव्य है कि वे अपने हृदय स्थल में उन आचार्यों को उच्च स्थान देकर उनके उपकार को सदैव स्मरण किया करें। यह ही महोदय और उन्नतिका सच्चा साधन है। बस इतना कहकर मैं अपने स्थान को स्वीकार करता हूँ। अल्पज्ञता के कारण किसी प्रकार की त्रुटि हुई हो तो आप सज्जन अपनी उदारता पूर्वक क्षमा करें। ॐ शान्ति
बोलो। भगवान् पार्श्वनाथ की जय। फिर बोलो। प्राचार्य स्वयंप्रभसूरि की जय ॥
और बोलो। प्राचार्य रत्नप्रभ सूरि की जय। जय ओसवाल वंश स्थापक महात्माओं की जय॥ जय बोलो । सत्य धर्म बतलाने वालों की जय ।
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