Book Title: Niti Vakyamrutam
Author(s): Somdevsuri, Nathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
Publisher: Digambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ पृष्ठ संख्या 341 से 350 341 342 351 से 370 विषय 16. व्यसन समुदेशः __1. व्यसन के लक्षण, भेद, निवृत्ति, शिष्ट लक्षण व कृत्रिम व्यसन 2. 18 प्रकार के व्यसन 17. स्वामी समुद्देशः 1. राजा का लक्षण 2. अमात्य आदि प्रकृति स्वरूप असत्य व धोका देने से हानि 4. लोकप्रिय, दाता, प्रत्युपकार का फल, कृतज्ञ की कडा आलोचना 5. क्षुद्र, दुष्ट अधिकारीयुक्त राका कृतघ्नतः, पूर्णता, लोभ, जालस्य से हानि 6. उद्योग, अन्यायी, स्वेच्छाचारी, ऐश्वर्य-फल ब राजाज्ञा राजकर्तव्य आज्ञाहीन राजा की आलोचना, सजा के योग्य पुरुष 8. जो पुरुष राजदण्ड में कारागार की सजा प्राप्त है उसका पक्ष कभी न लें 9. अज्ञात वश, राजक्रोध व पापी राजा से हानि, राजा द्वारा अपमानित व मान्य पुरुष 10. राजकर्त्तव्य व अधिकारियों की अनुचित जीविका 11, राजकर्त्तव्य में घूसखोरी से हानि 12. बलात् धन लेने से राजा-प्रजा की हानि 13. न्याय से प्रजापालन का परिणाम, न्यायी राजा की प्रशंसा 14. किस उपहार को गृहण न करें-हंसी मजाक की सीमा-वाद विवाद का निषेध 15. सेवक किसका ? दरिद्र की लघुता व विद्या का महातम्य 16. लोक व्यवहार निपुण की प्रशंसा 17. कर्तव्य बोधहीन विद्या 18. अमात्य - समुद्देश: 1. सचिव (मंत्री) महामात्म्य बिना राज्य कार्य - हानि 2. मंत्री लक्षण, कर्त्तव्य व आय-व्यय 3. आय व्यय का लक्षण, खर्च का संतुलन, स्वामी व तंत्र का लक्षण 4. मंत्री के दोष एवं अपने देश का मंत्री 5. योग्य अयोग्य अधिकारी, अयोग्यों से हानि बन्धु-भेद व लक्षण 6. मित्र को भी मंत्री पद पर नियुक्त होने के अयोग्य व्यक्ति 7. अधिकारियों की उन्नति, उनकी निष्फलता, राजा की हानि 8. राजतंत्र-स्वयं देख-रेख योग्य, अधिकार, राजतन्त्र व नीति लक्षण, आय व्यय शुद्धि और उसके विवाद में राजकर्तव्य १. रिश्वत से संचित धन का उपायपूर्वक ग्रहण व अधिकारियों को धन एवं प्रतिष्ठा की प्राप्ति 371 से 392

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 ... 645