Book Title: Niti Vakyamrutam
Author(s): Somdevsuri, Nathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
Publisher: Digambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti

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Page 14
________________ पृष्ठ संख्या 305 311 से 314 311 515 से 324 315 317 विषय 9. पर-गृह में प्रविष्ट पुरुषों की प्रवृत्ति व महापुरुष का लक्षण 10. पर के कार्य साधन में लोक प्रवृत्ति 11. राजकर्मचारियों में समदृष्टि, दरिद्र से धन प्राप्ति, असमर्थ से प्रयोजन सिद्धी 12. हठी को उपदेश करना 13. मूर्ख को योग्य बात कहना 14, नीच पुरुष का उपकार 15. क्या-क्या निष्फल होता है 16. ईर्ष्यालु गुरू, पिता, मित्र तथा स्वामी की कटु आलोचना 12. सेनापति समुद्देशः 1. सेनापति के गुण, दोष व राजसेवक की उन्नति 13. दूत समुद्देशः 1. दूत के लक्षण, गुण व भेद 2. दूत कर्तव्य दूत का स्वामी - हितोपदेश - हितोपयोगी कर्तव्य 4. दूत के प्रति राजा का कर्तव्य दूत के प्रति शत्रु - रहस्य ज्ञानार्थ राजकर्तव्य व शत्र लेख 14. चार समुहेशः 1. गुप्तचरों का लक्षण गुण वेतन व उसका फल 2. गुप्तचरों के वचनों पर विश्वास, गुप्तचर बिना हानि 3. गुप्तचरों के भेट एवं लक्षण 15. विचार समुद्देशः 1. विचारपूर्वक कर्तव्य 2. विचार प्रत्यक्ष का लक्षण 3. ज्ञान मात्र से प्रवृत्ति 4. ज्ञान मात्र से निवृत्ति विचारज्ञ का लक्षण 6. बिना विचारे कार्य करने से हानि 7. अनुमान का लक्षण व फल 8. भवितव्यता प्रदर्शक चिन्ह 9. बुद्धि का प्रभाव 10. आगम व आप्त का लक्षण 11. निर्रथक वाणी व वचनों की महत्ता 12. कृपण धन की आलोचना और जन साधारण की प्रवृत्ति 325 से 331 332 से 340 338

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