________________
२२
निशीथ सूत्र
विवेचन - निशीथ भाष्य में आहार, उपधि और शय्या - वसति से संबद्ध पूतिकर्म दोष तीन प्रकार का कहा गया है -
आहार पूतिकर्म - दूषित पदार्थों से संस्कारित - छोंक आदि दिया हुआ एवं दूषित. उपकरण प्रयुक्त आहार पूतिकर्म दोषयुक्त होता है।
हींग, लवण आदि से मिश्रित तथा आधाकर्मादि दोषयुक्त आहार से लिप्त चम्मच आदि से दिया जाने वाला निर्दोष आहार भी पूतिकर्म दोषयुक्त हो जाता है।
पूतिकर्म वाला आहार भी शुद्ध आहार में मिल जाए तो वह भी पूतिकर्म दोषयुक्त हो जाता है।
उपधि पूतिकर्म - गृहस्थ द्वारा आधाकर्मादि दोषयुक्त धागे से सिलाई किया हुआ निर्दोष वस्त्र भी पूतिकर्म दोषयुक्त हो जाता है।
गृहस्थ द्वारा आधाकर्मादि दोषयुक्त स्थगनक, बन्धन आदि लगाने से निर्दोष पात्र भी पूतिकर्म दोषयुक्त हो जाता है।
शय्या - वसति पूतिकर्म - निर्दोष शय्या - वसति के किसी भी भाग में आधाकर्मादि. दोषयुक्त बांस, ताड़ का तना, काठ आदि लगाने से वह पूतिकर्म दोषयुक्त हो जाती है।
॥ इति निशीथ सूत्र का प्रथम उद्देशक समाप्त॥
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org