Book Title: Nishith Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 462
________________ विंश उद्देशक - मासिक-द्वैमासिक प्रायश्चित्त : प्रस्थापन : आरोपण : वृद्धि ४२९ भिक्षु समय विषयक भिन्नता का ध्यान रखता हुआ प्रायश्चित्त संवहन में तदनुरूप करणीयता को क्रियान्वित करे, जिससे दोषों के अपाकरण में, निराकरण में वह सफल हो सके। मासिक-द्वैमासिक प्रायश्चित्त : प्रस्थापन : आरोपण : वृद्धि दोमासियं परिहारट्ठाणं पट्ठविए अणगारे अंतरा मासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएजा, अहावरा पक्खिया आरोवणा आइमज्झावसाणे सअटुं सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं, तेण परं अड्डाइज्जा मासा॥४७॥ ___ अड्डाइजमासियं परिहारट्ठाणं पट्टविए अणगारे अंतरा दोमासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएजा, अहावरा वीसिया आरोवणा आइमज्झावसाणे सअटुं सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं, तेण परं सपंचराइया तिण्णि मासा।। ४८॥ सपंचरायतेमासियं परिहारट्ठाणं पट्टविए अणगारे अंतरा मासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएजा, अहावरा पक्खिया आरोवणा आइमज्झावसाणे सअटुं सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं, तेण परं सवीसइराइया तिण्णि मासा॥४९॥ सवीसइरायतेमासियं परिहारद्वाणं पट्टविए अणगारे अंतरा दोमासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएजा, अहावरा वीसइराइया आरोवणा आइमझावसाणे संअटुं सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं, तेण परं सदसराया चत्तारि मासा॥५०॥ • सदसरायचाउम्मासियं परिहारट्ठाणं पट्ठविए अणगारे अंतरा मासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएजा, अहावरा पक्खिया आरोवणा आइमझावसाणे सअटुं सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं, तेण परं पंचूणा पंच मासा॥५१॥ . पंचूणपंचमासियं परिहारट्ठाणं पट्ठविए अणगारे अंतरा दोमासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएजा, अहावरा वीसइराइया आरोवणा आइमज्झावसाणे सअटुं सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं, तेण परं अद्धछट्ठा मासा॥५२॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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