Book Title: Nishith Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 423
________________ निशीथ सूत्र १३. जो भिक्षु नौका को खींचता है, खिंचवाता है या ऐसा करने वाले का अनुमोदन करता है। ३९० १४. जो भिक्षु नौका को ( किसी अन्य से) खिवाता है अथवा खिवाते हुए का अनुमोदन करता है। १५. जो भिक्षु नाव को रस्सी से या काष्ठ से ( पानी में से) निकालता है (खींचता है) अथवा निकालते हुए का अनुमोदन करता है । १६. जो भिक्षु नौका को चप्पू, दण्ड, पप्फिडक (नौका चलाने में प्रयुक्त होने वाला उपकरण विशेष), बांस या बल्ले से चालित करवाता है ( करता है) अथवा ऐसा करतें हुए का अनुमोदन करता है। १७. जो भिक्षु नौका से जल निकालने के पात्र, स्वयं के पात्र, लघु पात्र ( मात्रक) अथवा नौका में से जल बाहर उलीचने के पात्र (उसिंचनक) से नौका स्थित जल बाहर निकालता है या ऐसा करते हुए का अनुमोदन करता है। १८. जो भिक्षु नौका के छिद्र में से आते हुए पानी से डूबती हुई नौका को देख कर हाथ, पैर, पीपल के पत्ते, डाभ, मृत्तिका या वस्त्र खण्ड से उस छिद्र को अवरुद्ध करता है। अथवा ऐसा करते हुए का अनुमोदन करता है। १९. जो भिक्षु स्वयं नौका में (सवार) रहते हुए नौका स्थित गृहस्थ से अशन-पानखाद्य - स्वाद्य रूप चतुर्विध आहार ग्रहण करता है या ग्रहण करतें हुए का अनुमोदन करता है। जो भिक्षु स्वयं नौका में (सवार) रहते हुए जल में स्थित गृहस्थ से अशन-पानखाद्य - स्वाद्य रूप चतुर्विध आहार ग्रहण करता है अथवा ग्रहण करने वाले का अनुमोदन करता है। २०. २१. जो भिक्षु स्वयं नौका में (सवार) रहते हुए कीचड़ में स्थित गृहस्थ से अशनपान-खाद्य-स्वाद्य रूप चतुर्विध आहार ग्रहण करता है या ग्रहण करने वाले का अनुमोदन करता है। 1 २२. जो भिक्षु नौका में (सवार) रहते हुए स्थल पर खड़े गृहस्थ से अशन-पान-खाद्यस्वाद्य रूप चतुर्विध आहार ग्रहण करता है अथवा ग्रहण करते हुए का अनुमोदन करता है। २३. जो भिक्षु स्वयं जल में रहते हुए नौका स्थित गृहस्थ से अशन-पान-खाद्य-स्वाद्य रूप चतुर्विध आहार ग्रहण करता है या ग्रहण करते हुए का अनुमोदन करता है । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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