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निर्युक्ति साहित्य : एक पर्यवेक्षण
मिलता है । आचारांगनिर्युक्ति की अंतिम गाथा में नियुक्तिकार ने स्पष्ट उल्लेख किया है कि पंचमचूला - निशीथ की नियुक्ति मैं आगे कहूंगा । निशीथ चूर्णिकार ने भी अपनी मंगलाचरण की गाथा में कहा है- 'भणिया विमुत्तिचूला अहुणावसरो निसीहचूलाएं उनके इस कथन से इस ग्रंथ का पृथक् अस्तित्व स्वतः सिद्ध है अन्यथा वे ऐसा उल्लेख न कर आचारांगनियुक्ति के साथ ही इसकी रचना कर देते ।
७. इस संदर्भ में एक संभावना यह भी की जा सकती है कि आचारांग की चार चूलाओं की नियुक्ति तो अत्यंत संक्षिप्त शैली में है किन्तु निशीथनियुक्ति अत्यंत विस्तृत है । इसकी रचना - शैली भी अन्य नियुक्तियों से भिन्न है अतः बहुत संभव है कि भद्रबाहु द्वितीय ने इसे विस्तार देकर इसका स्वतंत्र महत्त्व स्थापित कर दिया हो । आचार्य भद्रबाहु जहां दस निर्युक्तियां लिखने की प्रतिज्ञा करते हैं, वहां निशीथ का नामोल्लेख नहीं है । यह चिंतन का प्रारम्भिक बिन्दु है । अभी इस बारे में और अधिक गहन चिंतन की आवश्यकता है ।
८. पंचकल्पनिर्युक्ति को भी बृहत्कल्पनिर्युक्ति की पूरक निर्युक्ति नहीं माना जा सकता। ऐसा अधिक संभव लगता है कि आचार्य भद्रबाहु ने 'कप्प' शब्द से पंचकल्प और बृहत्कल्प इन दोनों नियुक्तियों का समावेश कर दिया हो ।
किसी स्वतंत्र विषय पर लिखी गई नियुक्ति को भी मूल निर्युक्ति से अलग कर उसे स्वतंत्र नाम दिया गया है, जैसे—आवश्यकनिर्युक्ति एक विशाल रचना है । उसके छह अध्ययनों की नियुक्तियों का भी अलग-अलग नाम से स्वतंत्र अस्तित्व मिलता है। नीचे कुछ नाम तथा उनका समावेश किस नियुक्ति में हो सकता है, यह उल्लेख किया गया है
१. सामाइयनिज्जुत्ती
२. लोगस्सुज्जोयनिज्जुत्ती
३. णमोक्कारनिज्जुत्ती ४. परिट्ठावणियानिज्जुत्ती
५. पच्चक्खाणनिज्जुत्ती
आवश्यक नियुक्ति आवश्यकनिर्युक्ति आवश्यक नियुक्ति
आवश्यकनियुक्ति आवश्यक नियुक्ति
आवश्यक नियुक्ति
आवश्यक नियुक्ति
बृहत्कल्प तथा दशाश्रुतस्कंधनियुक्ति दशाश्रुतस्कंधनियुक्ति
इसके अतिरिक्त जिन आगमों पर नियुक्तियां लिखी गई हैं, उनके अलग-अलग अध्ययनों के आधार पर भी निर्युक्ति के अलग-अलग नाम मिलते हैं । जैसे—आचारांगनिर्युक्ति में सत्थपरिण्णानिज्जुत्ती, महापरिण्णानिज्जुत्ती और धुयनिज्जुती आदि ।
वर्तमान में सूर्यप्रज्ञप्ति तथा ऋषिभाषित पर लिखी गयी नियुक्तियां और आराधनानिर्युक्ति अनुपलब्ध है । संसक्तनियुक्ति की हस्तलिखित प्रतियां मिलती हैं, किन्तु वह अभी तक प्रकाशित नहीं हो
१. कप्पनिज्जत्ती दशाश्रुतस्कंध के अंतर्गत पर्युषणाकल्प एवं बृहत्कल्प --- इन दोनों निर्युक्तियों के लिए प्रसिद्ध है ।
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६. असज्झायनिज्जुत्ती
७. समोसरणनिज्जुत्ती ८. कप्पनिज्जुत्त
९. पज्जोसवणाकप्पनिज्जुत्ती
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