Book Title: Nidi Sangaho
Author(s): Sunilsagar
Publisher: Jain Sahitya Vikray Kendra Udaipur

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Page 63
________________ तब बड़ा कष्ट होता है । ऐसे ही जब कुत्ता मैथुन सेवन करता है तब अपने को सुखी मानता है किन्तु तुरन्त ही कष्ट महसूस करने लगता है । कहने का तात्पर्य है कि ये कार्य शुरू में अच्छे मालूम पड़ते हैं पर कालान्तर में दु:ख-दायक ही हैं, अतः इनसे बचो । " दुट्ठा णारी सढं मित्तं भिच्चो उत्तर दायगो । ससप्पे य गिहे वासो, मिच्छू हेदू ण संसयो ॥५८॥ अन्वयार्थ- (दुट्ठा णारी) दुष्ट स्त्री, (सढं मित्तं ) मूर्ख मित्र (उत्तर दायगो भिच्चो) उत्तर देनेवाला भृत्य (य) और (ससप्पे गिहे वासो) सर्प सहित घर में निवास (मिच्छू - हेदू) मृत्यु के कारण हैं [ इसमें ] (ण संसयो) संशय नहीं है । भावार्थ - खोटे स्वभाव वाली क्रोधमुखी दुष्टा स्त्री, मूर्ख मित्र, उत्तर देने वाला नौकर और सर्प जिस घर में रहता है उसमें निवास करना; ये चार निश्चित ही मृत्यु के कारण हैं । इनसे बचने का निरन्तर प्रयास करो । " णखाणं च णईणं च सिंगीणं सत्थ- पाणिणं । विस्सासो व कादव्वो, थीणं राय-जणाण वा ॥५९॥ अन्वयार्थ- (णखाणं) नखवालों का ( णईणं) नदियों का (सिंगीणं) सींगवालों का (सत्थ- पाणिणं) शस्त्र - वालों का ( थीणं) स्त्रियों का (च) और ( राय-जणाण वा) राज-नेताओं अथवा अधिकारियों का (विस्सासो) विश्वास (णेव) नहीं (कादव्वो) करना चाहिए । भावार्थ- नख वाले पशु जैसे- सिंह, बन्दर, भालू आदि का, नदी में अचानक भी बाढ़ आ जाती है, वह कहीं बहुत गहरी हो सकती है अत: नदी का, सींग वाले पशु जैसे- गाय, बैल, भैंस आदि का हाथ में हथियार लिए हुए व्यक्ति का, स्त्रियाँ कुपित होने " पर अनर्थ कर सकती हैं इसलिए स्त्रियों का, झूठे वादे करने वाले ५२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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