Book Title: Nandisutra Mahatmya
Author(s): Gyansundar
Publisher: Shah Maneklal Anupchand

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Page 6
________________ कम्मरय जलोह विणिग्गयस्स।सुयरयणदीहनालस्स। पंच महन्वय थिरकन्नियस्स । गुणकेसरालस्स ॥ ७ ॥ सावग जण महुअरि परिवुडस्स। जिण सूरतेय बुद्धस्स संघपउमस्स भई । समण गण सहस्स पत्तस्त ॥ ८॥ तव संजम मयलंछण । अकिरिया राहुमुह दुडरिस निचं ॥ जय संघ चंद । निम्मल सम्मत्त विसुद्ध जोण्डागा ॥९॥ पर तिस्थिय गह पह नासगस्स। तवतेय दित लेसस्स। नाणु जोयस्स जए भई दम संघ सरस्स ॥१०॥ भई धिह बेला परिगयस्स । सज्झाय जोग मगरस्स। अक्खोहस्स भगवओ। संघ समुदस्स रुंहस्स ॥११॥ सम्म दंसण वर वर ६ रूढ गाढ पेढस्स ।। धम्म वररयण मंडिअ चामीयर मेहलागस्स ॥ १२॥ नियमूसिय कणय सिलायलुज्जल जलंत चित्तकूडस्त ॥ नंदण वण मणहर सुरभि सील गंधुडुमायस्स ॥१३॥ जीवदया सुंदर कंद रुडरिय मुणिवर मइंद इनस्स॥ हेउ सय धाउ पगलंत रयणदित्तोसहि गुहस्स ॥१४॥ संबर वर जल पगलिय उज्झर पविराय माणहारस्त॥ सावग जण पउर खंत मोर नचंत कुहरस्स ॥ १५ ॥ विणय नय पवर मुणिवर फुरंत विज्जुजलंत सिहरस्स।

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