Book Title: Nandisutra Mahatmya
Author(s): Gyansundar
Publisher: Shah Maneklal Anupchand
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समासिज्जंति समवाएणं एगइ आणं एगुत्तरिआणं ठाणसय विवढिआणं भावाणं परूवणा आघविज्जइ दुवालसविहस्सय गणिपिडगस्स पल्लवग्गे समासिज्जति समवायस्सणं परित्ता वायणा संखिज्जा अणुओगदारा संखिज्जा वेढा संखिज्जा सिलोगा संखिज्जाओ निज्जुत्तीओ संखिज्जाओ पडिवत्तीओ संखिज्जाओ संगहणीओ सेणं अंगट्ठ'याए चउत्थे अंगे एगे सुअक्खंघे एगे अज्झयणे एंगे उद्देसण काले एगे समुद्देसण काले एगे चोआले पयसयसहस्से पयग्गेणं संक्खिज्जा अक्खरा अणतागमा अनंता पज्जवा परित्ता तस्सा अनंता थावरा सासess निवड निकाइया जिणपन्नत्ता भावा आघविज्जति पन्नविज्जंति परूविज्जति दंसिज्जंति निर्दसिज्जति उवदंसिज्जति । सेएवं आया सेएवं नाया सेएवं विन्नाया सेएवं चरण करण परूवणा आघविज्जइ । सेत्तं समवाए ॥ ४ ॥
सेकिंतं विवाहे । विवाहेणं जीवा विआहिज्जंति अजीवा विआहिज्जंति जीवाजीवा विआहिज्जंति ससमए विआहिज्वंति परसमए विआहिज्जंति सस मए परसमए विआहिजंति लोए विआहिज्जंति

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