Book Title: Nandisutra Mahatmya
Author(s): Gyansundar
Publisher: Shah Maneklal Anupchand

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Page 51
________________ [१९] निषद्ध निकाइया जिणपन्नत्ता भावा आघविखंति पनविजंति परूविजंति दंसिजति निदंसिर्जति उवदं. सिजति संएवं आया मेएवं नाया सेएवं विनाया सेएवं चरणकरण परूवणा आघविजइ। सेत्तं वि. वाग सुयं ॥ ११॥ - सेकिंतं दिहिवाए । दिट्ठिवाएणं सव्वभाव परूवणा आघविजंति से सभासओ पंचविहं पन्नत्तं तं नहा परिकम्मे, सूत्ताई, पुगए, अणुओगे, चूलिया। सेकिंतं परिकम्मे । परिकम्मे सत्तविहे पन्नत्ते.तं जहासिसोणआ परिकम्मे, मणुस्ससणिआ परिकम्मे, पुडसेणिआ परिकम्मे, ओगाढसेणिआ परिकम्मे, उवसंपज्जसेणिआ परिकम्मे, विप्पजहसेणिआ परिकम्म, चुआचुअसेणिआ परिकम्मे । सेकिंत सिद्धसेणिआ परिकम्मे । सिद्धसोणिआ परिकम्मे चउदसविहे पन्नत्ते तं जहा-माउगापयोइं, एगठ्ठिअपयांई, अट्ठपयोइं, पाढोआभासपाँई, केउ अं, रासिबद्ध, एगगुणं, दुर्गुणं, तिगुणं, केउ अं, पडिगहो, संसार पडिगहो, नंदावतं, सिडवित्तं । सेत्तं सिद्धसेणिआ परिकम्म ॥१॥ - सेकिंतं मणुस्ससेणिआ परिकम्मे । मणुस्ससेणिआ परिकम्म चउदस विहे पन्नत्ते तं जहामाउगापयांई, एगट्टिअपयोई, अट्ठपैयाइं, पाढो आभासपयाई, केउ अं, रासिंबद्धं, एगगुंणं, दुर्गुणं, तिगुंणं,

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