Book Title: Nandisutra Mahatmya
Author(s): Gyansundar
Publisher: Shah Maneklal Anupchand
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[१४] सेकिंतं चूलिआओ। चूलिआओ आइल्लाणं चउण्हं पुवाणं चूलिआ सेसाई पुव्वाइं अचूलिआई सेत्तं चूलिआओ ॥५॥ . .
दिद्विवायस्स णं परित्ता वायणा संखिजा अणुओगदारा संखिज्जा वेढा सखिजा सिलोगा संखिजाओ निज्जुत्तीओ संखिजाओ पडिवत्तीओ संखिजाओ संगहणीओ सेणं अंगट्टयाए बारसमे अंगे एगे सुअक्खंधे चउदस पुवाई संखिजावत्थू संखिजा चूलवत्थू संखिज्जा पाहुडा मंखिजा पाहुडपाहुडामखिजाओ पाहुडिआओ संखिजाओ पाहुडपाहुडिआओ संखिजाइं पयसहस्साइं पयग्गेणं संखिज्जा अक्खरा अणंतागया अणंतापजवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासयकडनिबद्ध निकाइया जिणपत्रत्ता भावा आघविखंति पनविजंति परूविजंति दसिजति निदसिज्जति उवदसिजति एवं आया सेएवं नाया सेएवं विन्नाया भेएवं चरणकरण परूवणा आघविजइ । सेत्तं दिहिवाए ॥ १२ ॥
इच्चेइयंमिदुवालसंघे गणिपिडगे अणंताभावा अणंताअभावा अणंताहेउ अणंता अहेउ अणंता कारणा अणंता अकारणा अणंता जीवा अणंता अजीवा अणता भवसिद्धिया अणंता अभवसिद्धिया अणंलासिता अणंता असिहा पन्नत्ताभावमभावा हेउ महेउ कारणमकारणे चेव ॥ जीवाजीवा भविअमभविआ सिद्धा असिडाय॥१॥

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