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श्री रत्नप्रभाकर ज्ञान पुष्पमाला पुष्प नम्बर ४०.
श्रीरत्नप्रभसूरीश्वर सद्गुरुभ्यो नमः । श्रीमद् देवऋद्धिगणी क्षमाश्रमण प्रणीतम् अथ श्री
नन्दीसूत्र मूल पाठः
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संशोधकश्रीमदुपकेश (कमला) गच्छीय मुनिश्री ज्ञानसुन्दरजी (गयवरचन्दजी )
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द्रव्य सहायक
श्री फलोदी संघ
स्वपनादिकी बोलीकी उपनमेंसे मु० ओसीया ।
प्रकाशक
शा० माणेकलाल अनुपचन्द, मु० सूरत
प्रथमावृत्ति ] वीर सं० २४४७. [ प्रत १०००. 'जनविजय प्रिन्टिंग प्रेस-सूरत में मूलचन्द्र किसनदास कापड़ियाने मुद्रित किया।
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● ॥ ॥
श्री नदिसूत्रमहात्म्य
मो नंदिमहानंदिसूत्राय सूक्त भासते ॥ किंचित्तस्य महात्म्यञ्च लिखामि लोकभाषया ॥ १ ॥
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" सुविदितमेतत् सकलसुखावर प्रवाहवाहिनी वीरवाणी जयतितराञ्चेति " अतः श्रीं सकलसंघ समुदायने सविनय प्रार्थना पूर्वक विदित करवाके श्री वीतराग महाराज श्री वीर वर्धमान महावीर प्रभुना श्रीमुखथी प्रकाशित थयेलां बार अंगसूत्रो छे, ते समग्र सूत्रज्ञाननुं मद्दा निधान, स्याद्वाद द्वादशांगी वाणीनुं वदनकमल, त्रिकाल व्यवस्था स्वरुप आदर्श, त्रिकाल विलोकन सुलोचन, पापमोचन, संकटमोचन, जैन ज्योति प्रद्योतायमान् प्रदीप सकल जीव जीवन, ज्ञानात्मस्वरुप, सुगृहीत नामधेय श्री नंदी सूत्र छे.
आ सूत्र देवर्द्धिगणिक्षमाश्रमण निग्रंथ महाराजे लोकानुग्रहार्थे गयार्थ रुपमां रची महामणि चिंतामणि पेठे सम संघने समर्पण कयुं छे.
आ आगमना पठनपाठनथी उभय लोक सफल थायछे, सुखविपाक फल करी भुक्तिमुक्ति प्राप्त थायछे. विशेषतः प्राचीन महापुरुषो प्रतिदिन नन्दी स्वाध्याय कर्या पछीथीज आहार पाणी करता, अने शिष्य प्रशिष्योने आज्ञापूर्वक पठन पाठन परंपरा कायम करावता हता.
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आ नन्दीसूत्रनी स्वाध्यायु क्लशक्तिथी ज्ञानावर्णादि कर्मोनो क्षय थायछे, बुद्धि वृद्धि पामेछ, योदशक्ति, स्मरणशक्ति, मेधा प्रतिभा वृद्धि पामेछे, मगज स्वच्छ थायछे, देहदंड अपराधो क्षय पामेछे, चित्तवृत्ति एकाग्र रहेछे, कुण्डलिनी नाडी जागृत थायछे, नाभि कमल प्रफुल्लित थायछे, विचारबल, ज्ञानबल, पुण्य बल, धर्मबल, आरोग्यबल, आत्मबल, चारित्रबल, तपोबल, मनोबल, वचनबल, कायबल, क्रियाबल, स्वाध्यायबल, हृदयबल, आगमबल, समाधिबल, योगबल अने पुण्यानुबन्धिबल वृद्धि पामेछे. दुष्ट संस्कारो नाश पामेछे, तेथी दिव्य परमाणुओ स्वयं आकर्षित थई सदागमनी प्रतिष्टा करेछे. सुस्वप्नदर्शन, दिव्य शंन अने प्राचीन तीर्थ दर्शन थायछे, सूत्र देवता सानुकुल थई प्रतिक्षणे सद्बुद्धि आपेछे. . आ सूत्रनुं प्रतिदिन एक बे वखत अभिग्रह पूर्वक पठन पाठन करवू, जेथी आजे पण अनेक चमत्कारो प्रगट थायछे.
___ आ सूत्र पांचमा आरामां कुंडामां रत्नरुपछे, अक्षरे अक्षर मंत्रविद्यागर्भित आ पवित्र नन्दीसूत्रनो अवश्य स्वाध्याय करवो. भव्यात्माओए त्रिकाल विनयी नन्दी महानन्दी सूत्रनु अवश्य पठन पाठन करवं, कारणके " स्वाध्यायः परमं तपः" माटे नन्दीसूत्र वांची अने वंचावो. सुज्ञेषु किं बहुना. सविनय प्रार्थना. इत्यलम् । तथास्तु ।
"धर्म रत्न"
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॥ श्रीमद्देवऋद्धिगणिक्षमाश्रमणप्रणीत ॥ श्री नन्दीसूत्र मूलपाठः।
जयइ जगजीव जोणी वियाणओ। जगगुरू जगाणंदो। जगनाहो जगबंधू । जयइ जगपियामहो भयवं ॥१॥ जयइ सुआणं पभवो। तित्थयराणं अपच्छिमोजयइ॥ जयइ गुरूलोगाणं । जगइ महपा महावीरो॥२॥ भई सव्वं जगुज्जोयगस्स । भई जिणस्त वीरस्स ॥ भई सुरासुरनमंसियस्स । भदं धुयरयस्स ॥ ३ ॥ गुणभवणगहण। सुयरयण भरियंदसणविसुद्धरत्यागा संघ नगर भदंते । अखंड चारित्तपागारा ॥ ४ ॥ संजम तव तुंबरयस्स । नमो सम्मत्त पारियाल्लस्स ॥ अप्पडिचक्कस्स जाओ होउ सया संघचक्कस्त ॥५॥ भई सील पडागूसियस्त । तव नियम तुरय जुत्तस्स। संघरहस्त भगवओ । सज्झाय सुनांदघोसस्स ॥६॥
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कम्मरय जलोह विणिग्गयस्स।सुयरयणदीहनालस्स। पंच महन्वय थिरकन्नियस्स । गुणकेसरालस्स ॥ ७ ॥ सावग जण महुअरि परिवुडस्स। जिण सूरतेय बुद्धस्स संघपउमस्स भई । समण गण सहस्स पत्तस्त ॥ ८॥ तव संजम मयलंछण । अकिरिया राहुमुह दुडरिस
निचं ॥ जय संघ चंद । निम्मल सम्मत्त विसुद्ध जोण्डागा ॥९॥ पर तिस्थिय गह पह नासगस्स। तवतेय दित लेसस्स। नाणु जोयस्स जए भई दम संघ सरस्स ॥१०॥ भई धिह बेला परिगयस्स । सज्झाय जोग मगरस्स। अक्खोहस्स भगवओ। संघ समुदस्स रुंहस्स ॥११॥ सम्म दंसण वर वर ६ रूढ गाढ पेढस्स ।। धम्म वररयण मंडिअ चामीयर मेहलागस्स ॥ १२॥ नियमूसिय कणय सिलायलुज्जल जलंत चित्तकूडस्त ॥ नंदण वण मणहर सुरभि सील गंधुडुमायस्स ॥१३॥ जीवदया सुंदर कंद रुडरिय मुणिवर मइंद इनस्स॥ हेउ सय धाउ पगलंत रयणदित्तोसहि गुहस्स ॥१४॥ संबर वर जल पगलिय उज्झर पविराय माणहारस्त॥ सावग जण पउर खंत मोर नचंत कुहरस्स ॥ १५ ॥ विणय नय पवर मुणिवर फुरंत विज्जुजलंत सिहरस्स।
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[५] विविह गुण कप्प रुक्खग फलभर कुसुमाउल ।
वणस्स ॥ १६ ॥ नाण वर रयण दिप्पंत कंत वेरुलिय विमल चूलस्स ॥ वंदामि विणय पणओ संघ महामंदर गिरिस्त ॥१॥ गुण रयणु जल कडअं सील सुगंधि तव मंडिउद्देसं॥ सुयवरसंगसिहरं संघ महामंदरं वंदे ॥ १८ ॥ नगर रह चक्क पउमे चंदे सूरे समुद्ध मेरुमि ॥ जो उवमिजइ सयमं तं संघगुणायरं वंदे ॥ १९ ॥ बंदे उसमें अजियं संभव मभिनंदणं सुमइ सुप्पों
सुपासं॥ ससि पुष्फदत सीयल सिजसं वासुपुजं च ॥ २० ॥ विमल मणंत च धम्म सन्ति कुथु अरं च मलिं च ॥ मुनिसुव्वय नमिनेमि पासं तह वडमाणं च ॥ २१ ॥ पढमित्थ इंदभूइ बीए पुणहोइ अग्गिभूइत्ति ॥ तईए य वाउभूइ तओ वियत्ते सुहम्मेय ॥ २२ ॥ मंडिअ मोरिय पुत्ते अकंपिए चेव अयल भायाय ॥ मे अजेय पहासेय गणहरा हुंति वीरस्स ॥ २३ ॥ निव्वुइ पह सासणयं जयइ सया सव्व भाव देसणयं॥ कुसमय मय नासणयं जिणिंदवर वीरसासणयं ॥२४॥
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[१] सुहम्मं अग्गिवेसाणं जंबुनामं च कासवं पभवं"। कच्चायणं वंदे वच्छं सिजंभवं तहा ॥२५॥ जसभई तुंगियं वंदे संभूयं चेव माढरं ॥ भद्दबाहुं च पाइन्नं थूलभदं च गोयमं ॥ २६ ॥ एलावच्चसगोत्तं वंदामि महागिरि सुहत्थिं च ।। तत्तो कोसिअगोत्तं बहुंलस्स सरिव्वयं वन्दे ॥२७॥ हारिय गुत्तं साइंच वंदामी हारियं च सामजं ॥ वन्दे कोसिअ गोत्तं संडिल्लं अज जीयधरं ॥ २८ ॥ तिसमुद्धखायकित्तिं दीवस मुद्देमु गहिय पेयालं ॥ वंदे अज्ज समुदं अक्खुभिय समुद्दगंभीरं ॥ २९ ॥ भणगं करगं झरगं पभावगं नाणदंसण गुणाणं ॥ वंदामि अज मंगुं सुय सागर पारगं धीरं ॥ ३० ॥ वंदामि अज धम्मं तत्तो वंदे य भई गुत्तं च ॥ तत्तीय अज वहरं तव नियम मुणेहिं वहर समं ॥३१॥ वंदामि अज रक्खियं खमणे रक्खिय चारित्ते
सव्वस्से ॥ रयण करडंग भूओ अणुओग रक्खिओ जहिं ॥३२॥ नाणमि दंसणं मिअ तव विणए निच काल मुज्जुत्तं॥ अजं नंदिलखमणं सिरसा वंदे पमन्नमणं ॥ ३३ ॥
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[७] वढउ वायगवंसो जसवंसो अज नागहत्थीणं ॥ वागरण करण भंगिय कम्मपयडी पहाणाणं ॥ ३४ ॥ जच्चंजण धाउ समप्पहाण मुद्दिय कुवलय निहाणं ॥ वढउ वायगवंसो रेवइनक्खत्त नामाणं ॥ ३५॥ अयलपुरा णिक्खंते कालियसुय आणुओगिए धीरे ॥ बंभद्दीवठासीहे वायगपय मुत्तमं पत्ते ॥ ३३ ॥ जेसि इमो अणु ओगो पयरइ अन्ज विअड्ढभरहम्मि॥ बहु नयर निग्गय जसे तं वंदे खंदिलायरिए ॥३७॥ तत्तो हिमवन्त महंत विक्कमे धिइ परकम मणंते॥ सज्झायं मणंतधरे हिमवंते वंदिमो सिरसा ॥ ३८ ॥ कालिय सुय अणु ओगस्स धारए धारए य पुव्वाणं॥ हिमवंत खमा समणे वंदे नागज्जुणायरिए ॥ ३९॥ मिउमद्दव संपन्ने आणुपुवि वायगत्तणं पत्ते ॥
ओहसुय समायारे नागज्जुण वायए वंदे ॥ ४०॥ गोवं दाणं पि नमो अणुओगो विउल धारिणिं दाणं॥ दाणं निच्चं खंति दुयाणं परवणे दुल्लभि दाणं ॥४१॥ तत्तोय भूयदिन्नं निचं तव संजमे अनिविणं ॥ पंडिय जण सामणं वंदामि संजमं विहण्णु ॥ ४२ ॥ वरकणगतविय चंपग विमउल वर कमल गम्भ सरिवन्ने। भविअ जणहियय दइए दयागुण विसारए धीरे॥४३॥
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अड्ढ भरह पहाणे बहुविह सज्झाय सुमुणिय पहाणे । 'अणुओगिय वर वसभे नाइल कुल वंसनंदिकरे ॥४४॥ भूयहि अप्प गन्भे वंदेऽहं भूयदिन माय रिए ॥ भवभय बुच्छेय करे सीसे नागज्जुण रिसीण ॥४५ ॥ सुमुणिय निचा निश्चं सुमुणिय सुत्तत्थ धारयं वन्दे ॥ सम्भावुभावणया तत्थं लोहिबणामाणं ॥ ४६ ॥ अत्थ महत्थक्खाणिं सुसमण वक्खाण कहण निव्वाणिं ॥ पयईइ महुरवाणिं पयओ पणमामि दूसगणिं ॥ ४७ ॥ तब नियम सच संजमं विणयज्जव खंति मद्दवरयणं ॥ सील गुणगद्दियाणं अणुओगे जुगब्वहाणाणं ॥ ४८ ॥ सुक्कुमाल कोमल तले तेसिं पणमामि लक्खण पसत्थे पाए पावयणीणं पढिच्छ सयए हि पाणि वइए ॥ ४९ ॥ जे अन्ने भगवन्ते कालिय सुय आणु ओगिए धीरे ॥ ते पणमि उण सिरसा नाणस्स परूवणा वोच्छं ॥ ५०॥ * इति ।
सेलघणं, कुडगे, चार्लेणि, परिपूणर्गे, हंसें, महिर्स, मेसेयँ, मसर्ग, जल्लुर्ग, विरांली, जाहेंगे, गो, भेरी, आमेरी ॥ १ ॥
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[९] सा समासओ तिविहा पन्नत्ता तंगहा जाणिआ, अजाणिआ, दुविअड्ढा, जाणिआ जहा खीरमिव, जहा हंसा जे घुदृन्ति इह गुरुगुण समिद्धा दोसे अविवज्जति तं जाणसु जाणिआ परिसा । अजाणिया जहा जाहोइ पगइ महुरा मिय छावय सीह कुक्कुडय भुआ । रयणमिव असं ठविआ। अजाणिआ साभवे परिसा। दुन्विअड्ढा जहा नय कत्थइ निम्माओ नय पुच्छइ परिभवस्म दोसेणं । वत्थिव्व वायपुण्णे फुहइ गामिल्लय विअडूढो । नाणं पञ्चविहं पन्नतं तं जहा-आभिणि बोहिअ नाणं सुअ नाणं, ओहिनाणं, मणपजव नाणं, केवलनाणं तं समासओ दुविहं पन्नत्तं तं जहा पच्चक्खं च परोक्खं च । सेकिंतं पञ्चक्खं । पच्चक्खं दुविहं पन्नत्तं तं जहा इंदिय पचक्खं । नोइं दिय पच्चक्खं च । सेकिंत इंदिअ पञ्चक्खं । इंदिअ पञ्चक्खं पञ्चविहं पन्नत्तं तं जहा सो इंदिअ पच्चक्खं । चरिकदिअ पञ्चक्खं । घाणिदिन पञ्चक्खं । जिभिदिअ पञ्चक्खं । फासिंदिअ पञ्चक्खं । सेतं इंदिअ पञ्चक्खं । सेकिंतं नो इंदिअ पञ्चक्खं । नोइंदिअ पञ्चक्खं तिविहं पन्नतं तं जहा-ओहिनाणं
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[१०] नोइंदिअ पच्चक्खं । मणपजवनाणं नोइंदिअ पञ्चक्खं । केवल नाणं नोइंदिअ पचक्खं । सेकिंतं ओहिनाण नोइंदिअ पचक्खं । ओहिनाण नोइंदिअ पञ्चक्खं दुविहं पन्नत्तं तं जहा भवपच्चइअं च खओवसमं च सेकिंतं भवपचइयं भवपच्चइयं दुविहं पन्नता तं जहा देवाणय नेरइ आणय । सेकिंतं खओ वसिमिअं । खओ वसमिअं दुविहं पन्नत्तं तं जहा मणूसाणय पंचेंदिअ तिरिक्ख जोणिआणय । कोहेऊ खओवसमिअं। खओवसमिअं तयावरणि ज्जाणं । कम्माणं उदिण्णाणं खएणं अणुदिण्णाणं उवसमेणं ओहिनाणं समुपजइ। अहवा गुणपडिवन्नस्स अणगारस्स ओहिनाणं समुपज्जा तं समासओ छव्विहं पन्नत्तं तं जहा-आणुगामिअं, अणाणुगामिअं.. वड्ढमाणयं, हीयमाणयं, पडिवाइयं, अप्पडिवाइयं, सेकिंतं आणुगानि ओहिनाणं १ आणुगामिअं ओहिनाणं दुविहं पन्नत्तं तं जहा अंतगयं च मज्झगयं च सेकिंतं अंतगयं । अंतगयं तिविहं पन्नत्तं तं जहा पुर ओ अंतगयं । मग्गओ अंतगयं । पासओ अंतगयं सेकिंतं पुरओ अंतगयं १ पुरओ अंतगयं-से जहा
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[११] नामए केइ पुरिसे उकंवा चड्डुलिअं वा अलायं वा मणिं वा पइवं वा जोइं वा पुरओ काउं पणुल्ले माणे २ गच्छेजा। सेतं पुरओ अंतगयं । सेकिंतं मग्गओ १ अंतगयं मग्गओ अंतगयंसे जहा नामए केह. पुरिसे उकं वी चडुलिअं वा अलायं वा मणिं वा पदवं वा जोई वा मग्गओ काउं अणुकड्ढे माणे २ गच्छिज्जा सेतं मग्गओ अंतगयं । सेकिंतं पासओ अंतगयं । पासओ अंतगयं से जहा नामए केइ पुरिसे उकंवा चडुलिअं वा अलाअं वा मणिं वा पईवं वा जोई वा पासओ काउं परिकड्ढे माणे २ गच्छिज्जा सेतं पासओ अंतगयं सेतं अंतगयं । सेकिंतं मज्झगयं । मज्झगयं से जहा नामए के पुरिसे उक्कं वा चडुलियं वा अलायं वा मणिं वा पईवं वा जोई वा मत्थए काउं समुव्वंह माणे २ गच्छिज्जा सेतं मज्झयं । अंतगयंस मज्झगयस्स य को पइविसेसो । पुरओ अंतगएणं ओहिनाणेणं पुरओ चेव संखिजाणिवा असंखेजाणिवा जोअणाइं जाणइ पासइ । मग्गओ अंतगएणं ओहि. नाणेणं मग्गओ चेव संखिज्जाणि वा असंखेन्जाणि वा
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[१२] जोअणा जाणइ पासइ । पासओ अंतगएणं ओहिनाणेणं पासओ चेव संखिज्जाणि वा असंखेज्जाणि वा जोअणाइं जाणइ पासइ । मज्झगएणं ओहिनाणेणं सव्वओ समंता संखिज्जाणि वा असंखेन्जाणि वा जोअणाई जाणइ पासइ सेतं आणुगामिभं ओहिनाणं । सेर्कितं अणाणुगामिअं ओहिनाणं । अणाणु. गामि ओहिनाणं से जहा नामए केइ पुरिसे एगं महंतं जोइट्ठाणं काउं तस्सेव जोइहाणस्स परिपेरं तेहिरं परिघोले माणे २ तमेव जोडहाणं पासह अन्न स्थगए न जाणइ न पासेह एवामेव अणाणुगामिअं ओहिनाणं जत्थेव समुप्पज्जेइ तत्थेव संखिज्जाणिवा असंखेज्जाणिवा संबडाणिवा असंबद्धाणिवा जो अणाई जाणइ पासइ अन्नत्यं गए न जाणइ न पासह सेतं अणाणुगामि ओहिनाणं। सतिं वड्ढमाणयं ओहिनाणं । बड्ढमाणयं ओहिनाणं पसत्थेसु अझ वसाणहाणेसु वड्ढमाणस्स वड्ढमाण चरित्तस्त । विसुज्झमाणस्स विसुज्झमाण चरित्तस्स । सबओ समंता ओहिनाणं वढइ-- जावइआ तिसमयाहारगस्स सुहमस्स पणगजीवस्स॥ ओगाहणा जहन्ना ओहीखित्तं जहन्नं तु ॥१॥
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[१३] सव्व बहु अग्गणि जीवा निरंतरं जत्तियं भरिजंसु॥ खित्तं सव्वदिसांग परमोही खेत्तनिदिहे॥२॥ अंगुलमावलियाणं भाग मसंखिज्ज दोसु संखिज्जा ॥ अंगुलमावलिअंतो आवलिआ अंगुल पुहत्तं ॥ ३ ॥ इत्थंमि मुहुत्तंतो, दिवसंतो गाउअमि बोद्धयो॥ जोयण दिवसपुहुत्तं, पक्खंतो पन्नवीसाओ ॥४॥ भरहमि अद्धमासो, जम्बुद्दीवंमि साहिओ मासो॥ वासं च मणुअ लोए, वासपुहुत्तं च रुअगंमि ॥५॥ संखिळमिउकाले, दीव समुद्दाऽविहुंति संखिज्जा ॥ कालंमि असंखजा, दीवसमुद्दाउ भइअव्वा ॥ ६ ॥ काले चउण्हवुड्ढी, कालो भइअब्व खित्त वुड्ढीए॥ बुड्ढीए दव्वपजव, भइअव्व खित्त कालाउ ॥७॥ सुहुमोअ होइ कालो, तत्तो सुहमयरं हवइ खित्तं ॥ अंगुल सेढि मित्ते, ओसप्पिणि ओ असंखिजा ॥८॥ सेत्तं वड्ढमाणयं ओहिनाणं । सेकितं ह्रीयमाणयं ओहिनाणं । हीयमाणयं ओहिनाणं अप्पसत्थेहि अज्झवसाणहाणेहि वड्ढमाणस्स वड्ढमाणचरित्तस्स संकिलिस्स माणस्स संकिलिस्समाणचरित्तस्स सव्वओ समन्ता ओहि परिहायइ सेत्तं हीयमाणयं ओहि
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[१४] नाणं । सेकिंतं पडिवाइ ओहिनाणं । पडिवाइ ओहिनाणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजय भागं वा। संखिन्न भागं वा। बालग्गं वा । बालग्ग पुहुत्तं वा। लिक्खं वा लिक्खपुहुत्तंवा जूअंवा जूअपुहुत्तंवा जवा जव पुहुत्तं वा। अंगुलं वा अगुलपुहुत्तं वा । पायं वा पायपुहुत्तं वा। विहत्थि वा विहत्थि पहुतं वा । रयणि वा रयणि पहृतं वा । कुञ्छि वा कुच्छिपुहुत्तं वा । धणुं वा धणुपहुत्तं वा । गाउ वा गाउपुहुत्तं वा । जोअणं वा जोअणंपुहुत्तवा । जो अणसयं वा जो अणसय पुहुत्तं वा । जो अण महस्स वा. जो अणसहस्स पुहुत्तं वा । जो अणलक्खं वा जो अणलक्ख पुहुत्तं वा । जो अण. कोडिं वा जो अणकोडि पुहुत्तं वा । जो अणकोडाकोडंवा जो अणकोडाकोड पुहुत्तं वा । जो अणसखिज्जंवा जो अणसंखिज्ज पुहुत्तं वा । जो अण असंखेज्जं वा जो अणअसंखेज्ज पुहुत्तंवा उक्कासेणं लोगंवा पासि ताणं पडिवइज्जा । सेतं पडिवाइ ओहिनाणं । सेकिंतं अपडिवाइ ओहिनाणं । अपडिवाइ ओहिनाणं जेणं अलोगस्स एगमवि आग्गस पएसं जाणइ पासह तेणपरं अपडिवाइ ओहिनाणं । सेत्तं अपडिवाइ
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[१५] ओहिनाणं । तं समासओ चउव्विहं पन्नतं तं जहा दव्वओ । खित्तओ। कालओ । भावओ। तत्थ दव्व ओणं ओहिनाणी जहन्नेणं अणंताई रूविदव्वाई जाणइ पासइ उक्कोसेणं सव्वाइं रूविदव्वाइं जाणइ पासइ । खित्तओणं ओहिनाणी जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइ भागं जाणइ पासइ उक्कोसेणं असंखिजाई अलोगे लोगप्पमाण मित्ताइं खंडाइं जाणाइ पासाइ । कालओणं ओहिनाणी जहन्नेणं आवलिआए असंखिज्जई भागं कालं जाणइ पासइ उक्कोसेणं असंखिज्जाओ उस्सपिणीओ अवसप्पिणीओ अईय मणागयं च कालं जाणइ पासइ । भावओणं ओहिनाणी जहन्नेणं अणंते भावे जाणइ पासइ उक्केसेणं अणंते भावे जाणइ पासइ सव्व भावाण मणंत भागं भावे जाणइ पासइ सेत्तं ओहिनाणं । सेकिंते मण. पज्जवनाणं । मणपज्जवनाणेणं भंते किं मणुस्साणं उप्पजइ अमणुस्साणं उप्पज्जइ । गोयमा । मणुस्साणं उपजइ नो अमणुस्साणं० । जइमणुस्साणं उप्पज्जा किं संमुच्छिम मणुस्साणं० गम्भवकंति मणुस्साणं उप्पज्जइ । गो० । नोसमुच्छ० गम्भवकंदिया जा
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[१६] गम्भवतियमणुस्साणं० किं कम्मभूमिअ गम्भव कंतिय मणुस्साणं० अकम्मभूमिय गम्भवतिय मणुस्साणं० अन्तरदीवगम्भ वतिय मणुस्साणं० उप्पज्जा । गोयमा । कम्मभूमि गम्भवतिय मणुस्साणं० नो अकम्मभूमिय गब्भवतिय मणुस्साणं. नो अन्तरदीवग गम्भ वकंतिय मणुस्साणं उप्पज्जा । जइ कम्मभूमिय गन्भवतिय मणुस्साणं किं संखिज्ज वासाउय कम्मभूमि गन्भवतिय मणुस्साणं असंखिज वासाउथ कम्मभूमि गन्भवतिय मणु. स्साणं० । गोयमा । संखिज वासाउय कम्मभूमि गन्भवतिय मणुस्साणं० नो असंखिज्ज वासाउय कम्मभूमि गम्भवतिय मणुस्साणं उप्पजइ । जइ संखिज्ज वासाउय कम्मभूमि गम्भवक्वंतिय मणु. स्साणं किं पज्जत्तग संखिज्ज वासाउय कम्मभूमि गम्भवक्वन्तिय मणुस्साणं. अपजत्तग संखिज्ज वासाउय कम्मभुमिगम्भ वक्वंतिय मणुस्साणं० । गोयमा। पज्जत्तग संखिज्ज वासाउय कम्मभूमिय गहभवक्वंतिय मणुस्साणं उप्पज्जइ नो अपज्जत्तग संखिज्ज वासाउय कम्मभूमिय गन्भवक्वंतिय
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[ १७ ]
मणुस्साणं० । जड़ पज्जन्तग संखिज्ज वासाउय कम्मभूमिय गग्भवक्वंतिय मणुहसाणं० किं सम्मदिडि पजत्तग संखिज्ज वासाउय कम्मभूमिय गग्भवक्वं - तिय मणुस्साणं मिच्छदिट्ठि पज्जत्तग संखिज्ज वासाउय कम्मभूमिय गन्भवक्वतिय मणुस्साणं० सम्म मिच्छदिट्टि पज्जत्तग संखिज्ज वासाज्य कम्मभूमिय गन्भवक्वतिय मणुस्साणं० ।
गोयमा सम्मदिट्ठि पज्जन्तग संखिज्जवासाज्य कम्म भूमिय गग्भवकंतिय मणुस्साणं उप्पज्जइ नो मिच्छ दिडि पज्जत्तग संखिज्ज वासाउय कम्मभूमिय गम्भ वकंतिय मणुरसाणं० नो सम्ममिच्छदिट्ठि पज्जत्तग संखिज वासाउय कम्मभूमिय गग्भवक्कतिय मणुस्ताणं । जइ सम्मदिट्ठि पजत्तग संविज्ज वासाउय कम्मभूमिय गभवकंतिय मणुस्साणं० किं संजय सम्मदिडि पज्जन्तग संखिज्ज वासाउय कम्मभूमिय गब्भवकंतिय मणुस्साणं० असंजय सम्मदिट्ठि पज्जत्तग संखिज्ज वासाज्य कम्मभूमिय गग्भवतिय मणुस्साणं । संजया संजय सम्मदिट्ठि पज्जन्तग संखिज्ज वासाज्य कम्मभूमिय गग्भवतिय मणुस्वाणं० । गोयमा संजय सम्मदिहि पज्जत्तग संखिज्ज
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[१८] वासाउय कम्मभूमिय गन्भवतिय मणुस्साणं० नो असंजय सम्मदिहि पज्जत्तग,संखिज्ज वासाउय कम्मभूमिय गम्भवक्कतिय मणुस्साणं० नो संजयासंजय सम्मदिहि पज्जत्तग संखिज्जवासाउय कम्मभूमिय गम्भवतिय मणुस्साणं० । जइ संजय सम्मदिष्ट पज्जत्तग संखिज्ज वासाउय कम्मभूमिय गम्भवतिय मणुस्साणं० किं पमत्त संजय सम्मदिहि पज्जत्तग संखिज्ज वासाउय कम्मभूमिय गम्भवकतिय मणुस्साणं० अपमत्त संजय सम्मदिहि पज्जत्तग संखिज्ज वासाउय कम्मभूमिय गन्भवतिय मणुस्साणं । गोयमा नो पमत्त संजय सम्मदिट्टि पजत्तग संखिज वासाउय कम्मभूमिय गम्भवतिय मणुस्साणं. अपमत्त संजय सम्मदिट्टि पजत्तग संखिन्न वासाउय कम्मभूमिय गम्भवक्कंतिय मणुस्साणं उप्पज्जइ । जइ अपमत्त संजय सम्मदिट्टि पजत्तग संखिज्ज वासाउय कम्मभूमिय गम्भवतिय मणुस्साणं । किं इड्ढीपत्त अपमत्त संजय सम्म दि िपजत्तग संखिज वासाउय कम्मभूमिय गम्भवक तय मणुस्साणं० अणिड्ढीपत्त अपमत्त संजय सम्मदिष्टि पजत्तग संखिज्ज वासाउय कम्मभूमिय
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[ १९
भवतिय मणुस्साणं० । गोयमा इड्ढीपत्त अपमत
में टिटि पजन्तग संखिज्ज वासाउय कम्मभूमिय गन्भवकंतिय मणुस्माणं० उष्पज्जह नो अणिड्ढीपत्त अपभत्त सजय सम्मदिट्टि पज्जत्तग संखिज्ज वासाउय कम्मभूमिय गग्भवकंतिय मणुस्साणं ।
मणपज्जव नाणं समुप्पज्जइ तं च दुविहं उप्पज्जइ तं जहा उज्जुमई च विलमई च तं समासभो चव्विहं पन्नत्तं तं जहा दव्वओ । खित्तओ । कालओ । भावओ । तत्थ दव्वओणं उज्जुमईणं अनंते अनंत पएसिए खंधे जाणइ पास तं चैव विउलमई अमहिय तराए विउलतराए विमुतराए वितिमिरतराए जाणइ पास । खित्तओणं उज्जुमई अजहनेणं अंगुलस्स असंविज्जय भागं उकासेणं अहे जावइमी से रयणप्पभाए पुढवीए उवरिम हेडिल्ले खुड्ढग पयरे उड्ढं जाव जोइसस्स उवरिमतले तिरियं जाव अन्तो मणुस खिते अड्ढाइजेलु दीवसमुदे पनरस्त कम्मभूमिसुतीसाए अम्मभूमिसु छपन्नाए अन्तरदीवगेषु सन्निपंचेंदिआणं पज्जन्तगाणं मगोगए भावे जागइ पासइ नं चैत्र
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[२०] विउलमई अड्ढइजेहि मंगुलेहिं अन्भहि अतरं विउलतरं विसुद्धतरं वितिमिरतरं खित्तं जाणा पासइ । कालओणं उज्जुमई जहन्नेणं पलिओवमस्स असंखिजा भागं उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखिजइ भागं अइय मणागयंवा कालं जाणइ पासइ तं चेव विउलमई अम्भाहियतरागं विउलतरागं विसुद्धतरागं वितिमिरतरागं जाणइ पासइ । भावओणं उज्जुमई जहन्नेणं अणंते भावे जाणह पासइ उक्को. सणं अणंते भावे जाणइ पासइ सव्व भावाणं अणंत भागं भावं जाणइ पासइ । तं चेव विउलमई अन्भहियतरागं विउलतरागं विसुद्धतरागं वितिमिर तरागं भावं जाणइ पासइ ॥ मणपज्जवनाणं पुण जणमण परिचिं तिअथ पागडणं । माणुसखित्तं निबद्धं । गुण पचहअं चरित्तवओ ॥ १ ॥ सेत्तं मणपजवनाणं।
सेकिंतं केवलनाणं । केवलनाणं दुविहं पन्नत तं जहा भवत्य केवलनाणं च सिद्धत्य केवलनाणं च । सेकिंतं भवत्थ केवलनाणं । भवत्थ केवलनाणं दुविहं पन्नत्तं तं जहा सजोगि भवत्थ केवलनाणं च अजोगि
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[२१] भवत्थ केवलनाणं च । सेकिंतं सजोगि भवत्य केवलनाणं ! सजोगि भवत्थ केवलनाणं दुविहं पन्नत्तं तं जहा पढमसमय सजोगि भवत्थ केवलनाणं अपढम समय सजोगि भवत्थ केवलनाणं अहवा चरम समय सजोगि भवत्थ केवलनाणं च अचरमसमय सजोगि भवत्थ केवलनाणं च । सेतं सजोगि भवत्थ केवलनाणं । सेकिंतं अजोगि भवत्थ केवल• . नाणं । अजोगि भवस्थ केवलनाणं दुविहं पन्नत्तं तं जहा पढम समय अजोगि भवत्थ केवलनाणं च अपढम समय अजोगि भवत्थ केवलनाणं च अहवा चरम समय अजोगि भवत्थ केवलनाणं च अचरम समय अजोगि भवत्थ केवलनाणं च सेतं अजोगि भवत्य केवलनाणं । सेकिंतं सिद्ध केवलनाणं । सिद्ध केवलनाणं दुविहं पन्नत्तं तं जहा अणंत्तर सिद्ध केवलनाणं च परंपर सिद्ध केवलनाणं च । सेकिंतं अणंत्तर सिद्ध केवलनाणं । अणंत्तर सिडकेवलनाणं पन्नरस्सविहं पन्नत्तं तं जहा
तित्थसिद्धा, अतित्थसिद्धो, तित्थयरसिडाँ, अतित्थयरसिौं , सयंबुद्धसिद्धों, पत्तेयबुद्धसि ,
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[२२] बुद्धबोहियसिद्धा, इथिलिंगसिओं, पुरिसलिंगसिद्धा, नपुंसगलिंगसिद्धों, सलिंगसिडी, अन्नलिंगसिद्धा, गिहिलिंगसिडौं, एगसिद्धों, अणेगसिंडी, मेत्तं अणतरसिद्ध केवलनाणं। सेकितं परंपर सिद्धकेचलनाणं १ परंपरसिद्ध केवलनाणं अणेगविहं पन्नत्तं तं जहा अपढम समयसिद्धा दुसमयसिद्धा तिसमयसिद्धा जाव दस समयसिद्धा संखिज समयसिद्धा असंस्विज समयसिद्धा अणंत समयसिद्धा। सेत्तं परंपर सिद्ध केवलनाणं । सेतं सिद्ध केवलनाणं ॥ तं समासओ चउन्विहं पन्नत्तं तं जहा-दव्यओ खित्तओ, कालओ, भावओ, तत्थ दव्वओणं केवलनाणी सव्वदव्वाइं जाणइ पासइ । खित्तओणं केवलनाणी सव्वखित्तं जाणइ पासह । कालओणं केवलनाणी सव्वकालं जाणइ पासइ । भावओणं केवलनाणी सव्वंभावं जाणइ पासइअह सव्व दव्व परिणाम भावविन्नति कारणमणंते सासय मप्पडिवाई एगविहं केवलनाणं ॥१॥ केवलनाणेणऽत्थे नाउं जेत्तत्थ पन्न वण जोगे। ते भासह तित्थयरो वइजोगसुअं इवइ सेसं ॥२॥
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[२३] सेत्तं केवलनाणं सेतं पच्चक्खं नाणं ॥ सेकिंतं परुक्ख नाणं । परुक्खनाणं दुविहं पन्नत्तं तं जहा-आभिणि बोहिअनाणं परुक्खं च । सुअनाण परोक्खं च जत्थआभिणि बोहियनाणं तत्थ सुअनाणं। जत्थ सुअनाणं तत्थाभिणि बोहियनाणं। दोऽवि एयाई अन्नमन्नमणुगयाइं तहवि पुण इत्थ आयरिया नान्नत्तं पन्नवयंति-आभिनिबुज्झइत्ति आभिणि बोहियनाणं । सुणेइत्ति सुअं मइपुव्वं जेण सुअं नमइ सुअपुग्विआ। अविससिआ मह-मइनाणंच मइ अन्नाणंचविसेसिआ सम्मदिहिस्स मइ-मइनाणं । मिच्छदिहिस्स मइ-मह अन्नाणं । अविसेसिअं सुअं-सुअनाणं च सुअ अन्नाणं च विसेसिअं सुअं-सम्मदिहिस्त सुअं-सुअनाणं-मिच्छदिहिस्स सुअं-सुअ अन्नाण ।
सेकिंतं आभिणी बोहियनाणं । आभिणी बोहियनाणं दुविहं पन्नत्तं तं जहा सुयनिस्सियं च असुयनिस्सियं च । सेकिंतं असुयनिस्सियं । असुय निम्सियं चउव्विह पन्नत्तं तं जहा । उप्पत्तिआ वेणईआ कम्मआ परिणामिआ ॥ बुद्धि चउन्विहा वुत्ता पंचमी नो वलन्भह ॥१॥
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[२४] पुव्वं अदिट्ठमस्सु अमवेइय तक्खण विसुद्ध गहि अत्था। अव्वाहय फलजोगा बुद्धी उप्पत्ति आ नाम ॥२॥ भरहसिल पणिय रुक्खे खुईंग पडें सरर्ड काय उच्चार। गर्य घयण गोले खंभे खुड्डेग मॉग्गित्यि पहें पुत्ते॥३॥ भरह सिल भिं? कुक्र्ड वालों हत्थी अगड़ें वणसँडे। पायर्स अइओं पत्ते खाडहिली पंचपिअरोों ॥४॥ मुहसिथ मुदि के नाणएँ भिक्खं चेडगनिहाणे ॥ सिखायं अत्यसैत्थे इच्छायम सयमहस्से ॥५॥ भरनित्थरण समत्थाति वग्गसुत्तत्थ गहिअपे आला॥ उभओ लोग फलवह विणय समुत्था हवइ बुद्धि ॥६॥ निमित्त अत्थसत्थर्य लेहे गणिए कूवें अस्से ॥ गद्दर्भ लक्खणे गंठी अगएं रहिएय गणियाय ॥७॥ सीआसाडी दीहं चतणं अव सव्वयं च कुंचस्स ॥ निव्वोदए गोणे घोडगपडणं च रुक्खाओ ॥ ८ ॥ उव ओगदिसारा कम्मपसंग परिघोलण विसाजा॥ साहुक्वार फलवई कम्म समुत्था हवइ बुद्धि ॥९॥ हेरनिए करिसए कोलिय डोवेर्य मुत्तिं घर्य पवएँ । तुन्नाएं वड्ढइये पूर्यई घडे चित्तौरेय ॥१०॥ अणुमाणहेउ दिद्वंत साहिआ वयविवग परिणामा । हिअनिस्सेअस फलवई बुद्धी परिणामिआ नाम॥११॥
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[२५] अभएं सिहि कुमारे देवी उदिओदए हवहरायों, साहुय नंदिसेणेधणदत्त सावर्ग अमच्चें ॥१२॥... खमए अमच्चऍत्ते चाणक्वे चेव थूल भद्दे॥ नासिक सुंदैरिनंदे वैईरे परिणाम बुडोए ॥१३॥ चलणाहणं आमंडे मणीर्य सप्पेय खंग्गि थूभिंदे ॥ परिणामिय बुद्धीए एवमाई उदाहरणा ॥१४॥ सेत्तं अस्तुअनिस्सियं । सेकिंतं सुअनिस्सियं । सुअनिस्सियं चउव्विहं पन्नत्तं तं जहा-उग्गई ईहां अवाओ धारणों। सेकिंतं उग्गहे। उग्गहे दुविहं पन्नत्तं तंजहा-अत्थुग्गहे च वंजणुग्गहे च । सेकिंतं वंजणुग्गहे । वंजणुग्गहे चउम्विहे पन्नत्तं तं जहा--- सोइंदि अवंजणुग्गहे घाणेदिय वंजणुग्गहे जिभिदिय वंजणूरगहे फासिंदिय वंजणुग्गहे । सेत्तं वंजणुग्गहे । सेकिंतं अत्युग्गहे। अथूरगहे छव्विहं पन्नत्तं तं जहा-सोइंदिय अत्थुग्गहे। चक्खिंदिय अत्थुग्गहे। धाणिदिय अत्थुग्गहे । जिभिदिध अत्थुग्गहे । फासिंदिय अत्थुग्गहे । नोइंदिय अत्थुग्गहे । तस्सणं इमं एगडिआनाणाघोसा नाणावंजणापंचनाम धिज्जा पन्नत्तं तं जहा-ओगेण्हणयों उबधारणयां सवणयाँ अवलंबणयाँ मेहा । सेत्तं उग्गहे । सेकिंतं ईहा । ईहा
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[२६] छन्विहं पन्नत्तं तं जहा-साइंदिय ईहा चक्खिदिय ईहा घाणिदिय ईहा जिभिदिय ईहा फासिंदिय ईहा नोइंदिय ईहा तस्सण इमं एगढिा नाणाघोसा नाणावंजणा पंचनाम धिजा पन्नत्ता तं जहा आभो गणयां मग्गणयों गवेसणयाँ चिंता विमंसों सेतं इहा । सेकिंतं अवाए । अवाए छव्विहं पन्नत्तं तं जहा-सोइंदिय अवाए चक्खिदिय अवाए घाणिदिय अवाए जिभिदिय अवाए फासिदिय अवाए नोईदिय अवाए तस्सणं इमं एगहिआनाणाघोसा नाणावं जणा पंचनाम धिजा पन्नत्ता तं जहा आउदृणयों पचाउणयों अवाएँ बुद्धी विनाणे । सेत्तं अवाए । सेकिंतं धारणा । धारणा छव्विहं पन्नत्तं तं जहा सोइंदिय धारणा चक्खिदिय धारणा घाणिदिय धारणा जिभिदिय धारणा फासिदिय धारणा नो इंदिय धारणा तस्सणं इमं एगट्रिआ नाणाघोसा नाणावंजणा पंचनाम धिज्जा पन्नत्तं तं जहा धारणों साधारणा ठवणा पईट्टा कोटे सेत्तं धारणा । उग्गहे एक समयए अन्तो मुहुत्तिआ ईहा। अन्तो मुहुत्तिए अवाए । धारणा संखिजं वा कालं असंखिजं वा कालं । एवं अट्ठावीस इविहस्स आभिणि बोहिय
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.[२७] नाणस्स वंजणुग्गहस्स परूवणं करिस्सामि। पडिबाहग दिटुंतण । मल्लग दिट्टतेणय । सकिंतं पडिबोहग दिट्टतेणं । पडिबोहग दिडतेणं सेजहा नामए केइ पुरिसे कंचि पुरिसं सुत्तं पडियोहिज्जा अमुगा अमुगति तत्य चो अगे पन्नवगं एवं वयासी किं एग समय पविट्ठा पोग्गला गहण मागच्छति दुसमय पविहा पोग्गला गहण मागच्छंति तिसमय पविट्ठा पोग्गला गहण मागच्छति जाव दस समय पविट्ठा पोग्गला गहण मागच्छति । संखिज समय पविट्ठा पोग्गला गण मागच्छति । असंखिज समय पविट्ठा पोग्गला गहण मागच्छति । एवं वदंतं चो अंग पनवए एवं क्यासी-नो एग समय पविठ्ठा पोग्गला गहण मागच्छंति नो दु समय पोग्गला गहण मागच्छंति नो ति समय पविट्ठा पोग्गला गहण मागच्छति जाव नो दससमय पविट्टा पोग्गला गहण मागच्छति नो संविज समय पविटा पोग्गला गहण मागच्छति । असंखिज्ज समय पविटा पोग्गला गहण मागच्छति। सेत्तं पडिबोहग दिलुतेणं । सेकिंतं मल्लग दिटुंतेणं । मल्लगदिटुंतेणं-से जहा नामए केइ पुरिसे आवाग सीसाओ मल्लगं गहाय तत्थेगं उदग बिंदु पक्खे
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[२८] विजा सेनहे। अन्नेवि पक्खित्ते सेऽवि नटे।एवं पीक्खप्पमाणेसु पक्विपमाणेसु होहीसे उदग बिंदू जेणते मल्लगं रावेहि इत्ति होहीसे उद्ग बिंदू जेणं तं सि मल्लगसि ठाहिति होहीसे उदगबिंदु जेणंतं मल्लगं भरि हिति होहीसे उदग बिंदू जेणंतं । मल्लगं पवाहे हिति एवामेव पक्खिप्पमाणेहिं पक्खिप्पमाणेहिं अणंतेहिं पोग्गलेहिं जाहे तं वंजणं पूरिअं होइ ताहेहुति करेइ । नोचेवणं जाणइ केवि एससद्दाइ । तओ ईहं पविसइ तओ जाणइ अमुगे एस सद्दाइ । तओ अवायं पविसइतओ से उवगयं हवइ । तोणं धारणं पविसइ तओणं धारेइ संखिजं वा कालं असंखिज्ज वा कालं । से जहा नामए केइ पुरिसे अव्वत्तं सई सुणिज्जा तेणं सद्दोत्ति उग्गहिए नोचेवणं जाणइ के वेस सद्दाइ । तओ ईहं पविसइ तओ जाणइ अमुगे एस सद्दे । तओणं अवायं पवि. सइ लओसे उवगयं हवइ । तओ धारणं पविसइ तओणं धारेइ संखिज्जं वा कालं असंविज्जं वा कालं । से जहा नामए केई पुरिसे अव्वत्तं रूवं पासे ज्जा तेणं रूवत्ति उग्गहिए नो चेवणं जाणइ के वेस रूवत्ति । तओ ईहं पविसइ तओ जाणइ अमुगे एस
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[२९] रूवेत्ति । तओ अवायं पविसह तओसे उवगयं हवइ । तो धारणं पविसह तओणं धारेइ संखिज्जं वा कालं असंखिज्जं वा कालं । से जहा नामए केई पुरिसे अव्वत्तं गंध अग्घाइज्जा तेणं गंधेत्ति उग्गहिए नो चेवणं जाणइ केवेस गंधेत्ति । तओ ईहं पविसह तओ जाणइ अमुगे एस गंधे। तओ अवायं पविसइ तओ से उवगयं हवइ । तओ धारणं पविसइ तओणं धारेइ संखिज्जं वा कालं असंखिज्ज वा कालं । से जहा नामए केई पुरिसे अव्वत्तं रसं आसा इज्जा तेणं रसोत्ति उग्गहिए नोचेवणं जाणइ केवेस रसत्ति । तओ ईहं पविसइ तओ जाणइ अमुगे एस. रसे । तओ अवायं पविसह तओ से उवगयं हवइ । तओ धारणं पविसइ तओणं धारेइ संखिज्ज वा कालं असंखिज्जं वा कालं । से जहा मामए पुरिसे अव्वत्तं फासं पडिसं वेइज्जा । तेणं फासेत्ति उग्गहिए नो चेवेणं जाणइ केवेस फास ओत्ति। तओ ईहं पविसह. तो जाणइ अमुगे एस फासे । तओ अवायं पविसह तओसे उवगयं हवइ । तओ धारणं पविसइ तओणं धारेइ संखिजं वा कालं असंखिजं वा कालं । सेजहा नामए केई पुरिसे अव्वत्तं सुमिणं पासिज्जा । तेणं
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[३०]
सुमिपत्ति उग्गहिए नोचेवणं जाणइ केवेल सुमि णोति । तओ ईहं पविसह तओ जाणइ अमुगे एस सुमिणे । तओ अवायं पविसइ तओसे उवगयं हवइ । तओ धारणं पविसह तओ धारेइ संखियं वा कालं असंखिजं वा कालं । सेतं मल्लग दितेणं । तं समासभ चउव्विहं पन्नतं तं जहा- दव्वओ, खित्तओ, कालओ, भावओ । तत्थ दव्वओणं, आभिणि बोहिय नाणी आए सेणं सव्वाइं दव्वाई जाणइ न पासइ | खेतओणं आभिणि बोहिय नाणी आएसेणं सव्वं खेतं जाणइ न पासइ । कालओणं आभिणि बोहियनाणी आएसेणं सव्वं कालं जाणइ न पासइ । भावओणं आभिणि बोहिय नाणी आएसणं सव्वे भावे जाणइ न पासइ ॥
उग्गहई हाडवाओ य धारणा एवं हुंत्ति चत्तारि आभिणि बोहिय नाणस्स भेयवत्थू समासेणं ॥ १ ॥ अत्थाणं उग्गहणमि उग्गहे, तह विआलणे ईहा ॥ वयसायमि अवाओ, धरणं पुण धारणं बिंति ॥२॥ उग्गह एकं समयं, ईहा वाया मुहुत महंतु ॥ कालमसंखं संखं च धारणा होइ नायव्वा ॥ ३॥
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[३१] पुढे सुणेइ सह, रूवं पुण पासइ अपुटुंतु ॥ गंध रसं च फासं च, बडपुढे वियागरे ॥ ४॥ भासा समसढीओ, सदं जंसुणह मीसियं सुणह ॥ वीसेढी पुण सडं, सुणइ नियमा पराघाए ॥५॥ ईहा अपोह वीमंसा, मरगणार गवेलणा। सन्ना सई मई पन्ना, सव्वं आभिणि बोहि अं॥ ६ ॥ सेत्त आभिणि बोहियनाण परोक्व । (सेत्तं मइनाणं)
सेकिंतं सुयनाण परोक्खं । सुयनाण परोक्वं चोइस्स विहं पन्नतं तं जहा-अक्खरसु, अणक्खरसुंयं, सन्निसुयं, असन्निस्य, सम्मसुंयं, मिच्छKयं, साइ अंसुयं, अणाइ अंसुयं, सपज वसिअंसुंयं, अपज वसिसुयं, गमिअंसुयं, अगमियसुयं, अंगपचिट्ठसुयं, अणंगपविट्ठसुय । सेकिंतं अक्खरसुयं । अक्खरसुयं तिविहं पन्नतं तं जहा । सन्नक्खरं वंजण क्खरं लद्विअक्खरं । सेवितं सन्नक्खरं । सनक्खरं अक्खरस्स सहाणगइ । सेतं सन्नक्रवरं । सोकिंतं वंजणक्खरं । वंजणक्खरं अक्खरस्त वंजणाभिलावो सेत्तं वंजणक्खरं । सेकिंतं लडि अक्खरं । लद्वि अक्खरं अक्खर लद्वियस्स लहि अक्खरं समुप्पजह
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[ ३२ ]
तंजहा सो इंदिय लद्वि अक्खरं चक्खिदिथ लक्षि अक्खरं घाणिदिय लद्वि अक्खरं जिब्भिदिय लडि अक्खरं फासिंदिय लडि अक्खरं नो इंदिय लडि अक्वरं । सेतं अक्खर सुयं । सेकिंतं अणक्खर सुयं । अणक्खर सुयं अणेगविहं पन्नतं तं जहाउसमियं नीससीयं निच्छूढं खासियंच छी अंच । निस्सिधि अमणुसारं अणक्खरं छैलि आइअं ॥ १ ॥ सेत्तं अणक्खरसुयं । सेकितं सन्नियं । सन्नियं तिविहं पन्नतं तं जहा कालि ओवए सेणं दिडि वा ओवर सेणं । संकिंनं कालि ओवए सेणं जस्सणं अस्थि ईहा अवोहो मग्गणा गवसणा चिंता विमंसा मेणं सन्नीति लब्भइ जस्सणं नत्थि ईहा अवोहो मग्गगवेसणा चिंता विमंसा सेणं असन्नीति लग्भइ । सेनं कालिओ वएसेणं । सकिंतं हे उवएसेणं । हे उवएमेणं जस्सणं अस्थि अभिसंधारण पुव्विआ करणसत्ती मेणं सन्नीति लब्भइ । जस्सणं नत्थि अभिसंधारण पुव्विआ करणसरी सेणं असन्नीति लब्भइ । सेतं हे ऊबएसेणं । सेकिंत्तं दिट्टिवा ओक्रमेणं । दिट्टिवाओ वएमेणं सन्नियस्स
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[ ३३ ] खओवसमेणं सन्नी लगभइ । असन्नि सुयस्त खोवसमेणं असनि लब्भइ सेत्तं दिठिवाओ वएसेणं । सेत्तं सन्निसुयं । सेत्तं असन्निसुयं । सेकिंतं सम्मसुयं। सम्मसुयं जं इमं अरहंतेहिं भगवंतेहिं उपननाण दसण धरेहिं तेलुक्क निरिक्खि महिय पूइएहिं तीय पडुप्पन्नं मणागय जाणएहिं सव्वन्नूहिं सव्व दरिसीहिं पणीअं दुवालसंगं गणिपिडगं तं जहा-आयारो, सूयगंडो, ठाणं, समाओ, विवाहपंन्नति, नायाधम्मकहाओ, उवामगदसाओ, अंतगडदाओ, अणुतरो ववाईदसाओ, पाहावागरणाई, विवागसुयं, दिहिवाओ । इच्चेअं दुवाल संगं गणिपिडगं चोद्दस पुब्धिस्स सम्मसुयं अभिन्न दसपुब्धिस्स सम्मसुयं तेणं परंभिन्नेस भयणा । सेत्तं सम्मसुयं । सेकिंतं मिच्छासुयं मिच्छामयं जं इमं अन्नाणि एहिं मिच्छादिहि एहिं सच्छंद बुद्धिमइ विगप्पिअंतं जहा भारई, रामायणं, भीमासुरुक्खं, कोडिल्लयं, सगड भद्दिआओ, खोडमुहं, कप्पासियं, नागसुहुमं, कणगसत्तरी, वइसेसिअं, बुद्धवयणं, तेरासियं, काविलियं, लोगाययं, सहितं तं, माढरं, पुराणं, वागरणं, भागवं, पायंजली, पुस्सदेवयं, लेहं गणियं, सउणअं, नाडयाई, अहवा बावचरि
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[३४] कलाओ, चत्तारिअ वेआ संगोवंगा एआइं मिच्छदिहिस्स मिच्छत्त परिग्गहि आई मिच्छाप्सुयं एयाई चेव सम्मदिद्विस्त सम्मत्तपरिग्गहि आई सम्प्रस्तुयं अहवा मिच्छदिहिस्सवि एयाइं चेव सम्मसुयं कम्हा । सम्मत्त हे उत्तणओ जम्हाते मिच्छदिहिआ तेहिं चेव समएहिं चोइआ समाणा केइ सपक्खदिदिओ चयंति सेत्तं मिच्छासुयं । सेकिंतं साइअं सपञ्जवसिअं अणाइअं अपज्जवसिय सुयं । साइअं सपजवसिमें अणाइअं अपज्जवसि सुय-इचइयं दुवाल मंग गणिपिडगं वुच्छित्ति नयट्टयाए साइअं सपज्जवमिअं अवुच्छित्ति नयट्ठयाए अणाइअ अपज्जवमिअं० त समासओ चउविहं पन्नतं तं जहा-दधओ। खित्तओ। कालओ। भावओ । तत्य दव्योणं सम्मसुयं एगं पुरिसे पडुच्च साइअं सपजवसियं बहवे पुरिसेय पड्डुच्च अणाइयं अपजवसिअं। खेत्तओणं पंचभरहाइं पंचेखयाई पडुच्च साइअं सपञवसिअंपंचमहाविदेहाइं पड्डुच्च अणाइअं अपजवसिअं। कालोणं उत्सपिणि ओसप्पिणिं च पडुच्च साइअं सपजवतिअंनो उस्सप्पिणिं नो ओसप्पिणिं च पडुच अणाइअं अपजवसिअं। भावओणं जे जया
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[१५] जिणपन्नत्ता भावा आधविज्जति पन्नविनंति परूवि. जंति देसिज्जति निदंसिजति उवदंसिर्जति तयाभावे पडुच्च साइअं सपजवसिअ खाओवसमिअं पुणभावं पड्डुच्च अमाइअं अपज्जवसिअ। अहपा भवसिद्धियस्ससुयं साइअं सपजवसियं च अभवसिद्धियस्स सुयं अणाइअं अपजवसियं च सव्वागास पएसग्गं सव्वागास पएसेहिं अणं नगुणिअं पजवक्खरं निप्फजइ । सव्य जीवाणं पिअणं अक्खरस्ल अणंतभागो निच्चुग्घाडिओ । जइ पुण सोऽवि आवरिजा तेणं जीवो अजीवत्तं पाविजा । सुटू विमेह समुदए होइ पभा चंदसूराणं । सेत्तं साइअं सपजवसि सेत्तं साइअं सपज्जवसिभ मेत्त अण इअं अपजवसिअं सुयं । सेकिंतं गमियं । गमियं दिविवाओ अगमियं कालिअं सुयं । सेत्तं गमियं । सेत्तं अगमियं । अहवा तं समासओ दुविहं पन्नत्तं तं जहा-अंगपविटं। अंगबाहिरं । च । सेकिंतं अंगबाहिरं । अंगबाहिरं दुविहं पन्नत्तं तं जहा आवस्सअंच आवस्सय वइरितं च । सेकिंतं आवरतयं । आवस्तयं छविहं पन्नत्तं तं जहा-सामाइअं, चउविसत्थओ, वंदणय, पडिकमणं, काउस्परगो, एचखाणं । मेनं आवस्मयं । सेकिंतं
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[ ३६ ]
आवस्सयं वइरित्तं । आवस्सय वइरित्तं दुविहं पन्नत्तं तं जहा - कालिअं च । उक्कालियं च । सेकिंतं उक्कालियं । उकालियं अणेगविहं पन्नन्तं तं जहा - दसवेओलियं, कप्पिआकपिंयं, चुल्लकप्पसुयं महाकप्पसुयं, उववइयं, रायपसेणिय, जीवाँभिगमो, पन्नवणी, महापन्नंवणा, पमायमायं, नंदी", अणुओगेंदारायं, देविदस्थेओ, तंदुलवेलियं, चंदाविज्र्ज्ञेयं, सूरपती, पोरिसि मंडल, मंडल पवेसो, विज्जाचरणविणिच्छेओ, गणिविज्जा, ज्झाणवित्ती, मरणवित्ती आयविसोही वियरागयं, संलेहणायं, विहारकेंप्पो, चरणविही, आउरपच्चखाणं, महापञ्चक्खाणं, एव माइ सेत्तं उक्कालियं सेकितं कालियं । कालियं अणेगविहं पत्नत्तं तं जहा - उत्तरज्झयणाई, देसाओ, कैप्पो, वैवहारो, निसीहं, महानिसहिं, इसी भासिआई, जंबूदीवपन्नत्ती चंदपती, दीवसागरपन्नैती, खुडिआ विमाण पविमैती, महल्लिआ विमाण पवित्ती, अंग चुलिऔं, वग्ग चुलिऔ, विवाह चुलिओ, अरुणो ववए, वरुणो adiए, गरुलो वव, धरणो ववए, वेसमणो ववीए, वेलंधरो वव, देविंदो ववए, उट्ठाण सुँए, समुट्ठाण - सु, नागपरि आवलिओणं, निरयावलिणं, कप्पि
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[ ३७ ] आणं, कप्पवडिंसिआणं, पुष्किणं पुष्कचूलिणं, वहीया, वहीदसणं, आसीविस भावणणं, दिट्टिविस भावणणं, चारण सुमिण भावणणं, महासुमिण भावर्णैणं, ते अग्गिनिसग्गणं, एव माझ्याई । चउरासीइं । पइन्नग सहस्साइं भगवओ अरहओ उसह सामिस्स आइतित्थयरस्स । तहा संखिज्जाई पन्नग सहस्साई मझि मगाणं जिणवराणं । चोद्दस पन्नग सहस्साणि भगवओ वडमाणसामिस्स अहवा जस्स जत्तिआ सीसा उप्पत्तिआए वेणइआए कम्मयाए पारिणामिआए चव्विहं बुद्रीए उववेआ तस्स तत्तिआई पन्नग सहस्साइं पत्ते बुद्धावि तत्तिआ चेव । सेत्तं कालिय सेत्तं उक्वालियं सुर्य । सेत्त आवस्यवइरित्तं । सेत्तं अणंग पविडं सुयं । सेकितं अंग पविद्धं । अंगपवि दुवाल सविहं पन्नत्तं तं जहा आयारोः सूयगड, ठाणं, समवायो, विवाह पन्नत्ती, नाया धम्मक हाओ, उवासगदसाओ, अंतगडदसाओ, अणुत्तर उववाइयदसाओ, पण्हावागरणाई, विवागर्नु, दिट्टिवाओ, सेकिंत आयारे । आयारे समणाणं निरगंथाणं आधार गोयर विजय वेणइथ
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[३८]
सिक्खा भासा अभासा चरण करण जाया माया वित्तीओ आधविज्जति से समासओ पंचविहं पन्नत्ते तं जहा नाणायारे दंसणायारे चरित्तायारे तवायारे वीरियायारे आयारेणं परित्ता वायणा संखिज्ज अणुओगदारा संखिजा वेढा संखिजा सिलोगा संखिजाओ निज्जुत्तीओ संखिज्जाओ पडिवत्तीओ संखिजाओ संगहणीओ सेणं अगट्ठयाए पट्टमे अंगे दोसुक्खं धापणवीसं अज्झणा पंचासीई उद्देसण काला पंचासीई समुद्देसण काला अट्ठार समय सहस्साणि पयग्गेणं संखिजा अक्खरा अणंतागमा अणंता पजवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासयकड निबद्ध निकाइआ जिणपन्नत्ता भावा आघविनंति पन्नविजंति परूविजंति इंसिज्जति निदसिज्जंति उवदसिज्जंति से एवं आयासे एवं नायासे एवं विन्नायासे एवं चरण करण परूवणा आघविजह सेतं आयारे ॥१॥ . सेकिंतं सूयगडे । सूयगडेणं लोए सूइज्जइ अलोए सूइज्जइ लोआलोए सूइज्जइ जीवा सूइज्जइ अजीवा सूइज्जइ जीवाजीवे सूइज्जइ ससमए सूइज्जइ पर समए सूइज्जइ ससमय परसमए सूइज्जइ सूयगडेणं
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[ ३९ ] असीअस्स किरियावाइसयस्स चउरासीइए अकि रिया वाईणं सत्तट्ठीए अन्नाणियवाईणं बत्तीसाए वेण यवाईणं तिण्डं ते सहाणं पासंडिअ सयाणं वृहंकिचा ससमए ठाविज्जइ सूयगडेणं परित्ता वायणा संखिज्जा अणुओगदारा संखिज्जा वेढा संखिज्जा सिलोगा संखिज्जाओ निज्जुत्तीओ संखिज्जाओ पडिवत्तीओ संखिज्जाओ संगणीओ सेणं अंगट्टयाए बिइए अंगे दोसुअक्खंधा तेवीसं अज्झयणा, तित्तीसं उद्देसणकाला तित्तीसं समुद्देसणकाला छत्तीसं पयसहस्सा णिपयग्गेणं संखिज्जा अक्खरा अतागमा अनंता पज्जवा परित्ता तसा अनंता थावरा सासयकड निवड निकाइया जिणपन्नत्ता भावा आघविज्जति पन्नविज्जति परुविज्जति दंसिज्जति निदंसिज्जंति उवदंसिज्जंति सेएवं आया सेएवं नाया सेएवं विन्नाया सेएवं चरण करण परूवणा आघविज्जइ सेत्तं सुगडे ॥ २ ॥
सेकित ठाणे । ठाणे जीवा ठाविज्जंति अजीवा ठाविज्जति जीवाजीवे ठाविज्जंति ससमए ठाविज्जंति परसमए ठाविज्जंति संसमए परसमए ठाविज्जं " ति लोएठाविज्जंति अलोएठाविज्जंति लोआलोए
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[ 80 ]
ठाविज्जति ठाणेणं टंका कूडा सेला सिहरिणो भारा कुंडाई गुहाओ आगरा दहा नईआ आघविज्अंति ठाणेणं परित्ता वायणा संखिज्जा अणुओगदारा संखिज्जा वेढा संखिज्जा सिलोगा संखिज्जाओ निज्जुत्तीओ संखिज्जाओ पडिवत्तीओ संखिज्जाओ संग्रहणीओ सेणं अंगट्टपाए तइए अंगे एगे सुअक्खंधे दस अज्झयणा एगवीसं उद्देसण काला एगवीसं समुद्देसण काला बावन्तरि पयसहस्सा पयग्गेणं संखिज्जा अक्खरा अनंता गमा अनंता पज्जवा परित्ता तसा अनंता थावरा सासयकड निबद्ध निकाइआ जिणपन्नता भावा आघविज् जंति पन्नदि ज्जति परुविज्जति दंसिज्जति निदंसिज्जति उवदंसिज्जति सेएवं आया सेएवं नाया सेएव विन्नाया सेएवं चरण करण परूवणा आघविज्जइ । सेत्त ठाणे ॥ ३ ॥
सेकिंतं समवाए । समवाएणं जीवा समासिजति अजीवा समासिज्जति जीवाजीवा समासि ज्जंति ससमए समासिज्जंति परसमए समासिज्जं - ति ससमए परसमए समासिज्जंति लोए समासिज्जति अलोए समासिज्जंति लोए अलोए
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[88]
समासिज्जंति समवाएणं एगइ आणं एगुत्तरिआणं ठाणसय विवढिआणं भावाणं परूवणा आघविज्जइ दुवालसविहस्सय गणिपिडगस्स पल्लवग्गे समासिज्जति समवायस्सणं परित्ता वायणा संखिज्जा अणुओगदारा संखिज्जा वेढा संखिज्जा सिलोगा संखिज्जाओ निज्जुत्तीओ संखिज्जाओ पडिवत्तीओ संखिज्जाओ संगहणीओ सेणं अंगट्ठ'याए चउत्थे अंगे एगे सुअक्खंघे एगे अज्झयणे एंगे उद्देसण काले एगे समुद्देसण काले एगे चोआले पयसयसहस्से पयग्गेणं संक्खिज्जा अक्खरा अणतागमा अनंता पज्जवा परित्ता तस्सा अनंता थावरा सासess निवड निकाइया जिणपन्नत्ता भावा आघविज्जति पन्नविज्जंति परूविज्जति दंसिज्जंति निर्दसिज्जति उवदंसिज्जति । सेएवं आया सेएवं नाया सेएवं विन्नाया सेएवं चरण करण परूवणा आघविज्जइ । सेत्तं समवाए ॥ ४ ॥
सेकिंतं विवाहे । विवाहेणं जीवा विआहिज्जंति अजीवा विआहिज्जंति जीवाजीवा विआहिज्जंति ससमए विआहिज्वंति परसमए विआहिज्जंति सस मए परसमए विआहिजंति लोए विआहिज्जंति
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[ ४२] अलोए विआहिज्जति लोआलोए विआहिज्जति विवाहस्सणं परित्ता वायणा संखिज्जा अणुओगदारा संखिजा वेढा संखिज्जा सिलोगा संखिज्जाओ निज्जुत्तीओ संखिज्जाओ पडिवत्तीओ संखिज्जाओ संगहणीओ सेणं अंगट्टयाए पंचमे अंगे एगे सुअक्खंधे एगे साइरेगे अज्झण सए दस उद्देसग सहस्लाइं दस समुद्देसग सहस्साइं छत्तीसं वागरण सहस्माई दोलक्खा अहासीइं पय सहस्माइं पयग्गेणं संखिज्जा अक्खरा अणंतागमा अणंता पज्जवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासयकड निबद्ध निकाइया जिणपन्नता भावा आघधिजति पन्नविज्जंति परूविज्जति दसिज्जति निदमिज्जति उवदंसिज्जति सेएवं आया सेएवं नाया सेएवं विनाया मेएवं चरण करण परूवणा आघविज्जइ । सेत्तं विवाहे ॥५॥
सेकिंतं नाया धम्म कहाओ। नाया धम्म कहा सुणं नायाणं नगराई उजाणाई चेइआई वणसंडाइं समोसरणाइं रायाणो अम्मापियरो धम्मा यरिया धम्म कहाओ इहलोइय परलोइया इडिढवि. सेसा पव्वजाओ परिआया सुअपरिग्गहा तवोवहा. णाई संलेहणाओ भत्त पञ्चक्खाणाइं पाओवगमणाई
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[४३] देवलोगगमणाई सुकुल पञ्चायाईओ पुणबोहिलाभा अंत किरियाओ आपविजति नाया धम्म कहाणं दस धम्म कहाणं वग्गा तत्थणं एगमेगाए धम्मकहाए पंच पंच अक्खाहासयाई एगमेगाए अक्खाइआए पच पंच उवक्खाइआसयाइं एगमेगाए उवक्खाइआए पंच पंच अक्खाइ उवक्वाइआ सयाई एवमेव सपुव्वावरणं अट्ठाओ कहाणगकोडीओ हवंतित्ति समक्खायं नाया धम्मकहाणं परित्ता वायणा संखिजा अणुओगदारा संखिजा वेढा संखिज्जा सिलोगा संखिजाओ निज्जुत्तीओ संखिजाओ पडिबत्तीओ संखिज्जाओ संगहणीओ सेणं अंगट्टयाए छटे अंगे दो सुअक्खंधे एगूणवीसं अज्झयणा एगू. णवीसं उद्देसण काला एगूणविसं समुद्देसण काला संखिज्जा पयसहस्सा पयग्गेणं संखिज्जा अक्खरा अणंतागमा अणंता पज्जवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासयकड निबद्ध निकाइया जिणपन्नत्ता भावा आघविजंति पन्नविजति परूविजंति दंसिति निदंसिज्जंति उवदंसिज्जंति सेएवं आया सेएवं नाया सेएवं विन्नाया सेएवं चरण करण परूवणा आघविज्जइ । सेत्तं माया धम्म कहाओ ॥ ६॥ ।
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[ ४४ ] . सेकिंतं उवास गदसाओ। उवासगदसासुणं समणोवासयाणं नगराई उज्जाणाइं चेहआई वणसंडाइं समोसरणाइं रायाणो अम्मापियारो धम्माय, रिआ धम्मकहाओडहलोइअपरलोइआइड्ढिविसेसा भोगपरिचाया पव्वज्जाओ परिआया सुअपरिग्गहा तवोवहाणाइंसीलव्धय गुणवेरमण पच्चक्खाण पोसहो ववास पडिवज्जणया पडिमाओ उवसग्गा संलेहणाओभत्तपञ्चक्खाणाइंपाओवगमणाइंदेवलोगगमणाई सुकुल पञ्चायाईओ पुणबोहिलाभा अंतकिरियाओ (अ) आघविजंति उवासगदसाणं परित्ता वायणा संखिजा अणुओगदारा संखिज्जा वेढा संखिज्जा सिलोगा संखिज्जाओ निज्जुत्तीओ संखिज्जाओ पडिवत्तीओसंखिज्जाओ संगहणीओ सेणं अंगट्टयाए सत्तमे अंगे एगे सुअक्खंधे दस अज्झणा दस उद्देसण काला दस समुद्देसण काला सखिजा पयसहस्सा पय. ग्गेणं संखिजा अक्खरा अणंता गमा अणंता पजवा परित्ता तसा अणता थावरा सासयकड नियड नि: काइया जिणपन्नत्ता भावा आघविनंति पन्नविनंति परूविनंति देसिजति निदसिजति उवदंसिर्जति सेएव आया सेएवं नाया सेएवं विन्नाया सेएवं चरण करण परूवणा आघविजह । सेत्तं उवासगदसाओ ॥ ७॥
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__ [४५ ] सेकिंतं अंतगड दसाओ। अंतगड दसास्तुणं अंतगडाणं मगराई उजाणाइं चेहआई वणसंडाई समोसरणाई रायाणो अम्मापियरो धम्मायरिया धम्मकहाओ इहलोइय परलोइया इविविसेसा भोगपरिचाइया पव्व जाओ परिआया सुअपरिग्गहा तवो वहाणाई संलेहणाओ भत्तंपच्चक्खाणाई पाओ वगमणाई अंतकिरियाओ आघविनंति अंतगडदसासुणं परित्ता वायणा संखिज्जा अणुओगदारा संखिज्जा वेढा सांखिज्जा मिलोगा संखिज्जाओ निज्जुत्तीओ संखिज्जाओ पडिवत्तीओ संखिज्जाओ संगहणीओ सेणं अंगठ्याए अहमे अंगे एगे सुअक्खंधे अट्ट वग्गा अट्ठ उद्देसण काला अट्ट समुद्देसण काला संखिज्जा पयसहस्सा पयग्गणं मंखिज्जा अक्खरा अणंतागमा अणंता पज्जवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासयकड निबद्ध निकाइया जिणपन्नता भावा आघविनंति पन्नविज्जति परूविजंति दमिति निदसिजति उवदंसिजति सेएवं आया सेएवं नाया सेएवं विनाया सेएवं चरण करण परूवणा आघविजह । सेत्तं अंतगडदसाओ ॥८॥
सेकिंतं अणुत्तरो ववाइ अदमाओ । अणुत्तरी ववाइ अदसासुणं अणुत्तरो ववाइ आणं नगराई
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[४] उज्जाणाई चेइआई वणसंडाणं समोसरणाइं रायाणो अम्मापियरो धम्मायरिया धम्नकहाओ इहलोइय परलोइया इटिविसेसा भोगपरिचाइया पयजाओ परिआया सुअपरिग्गहा तदोवहाणाइं पडिमाओ उवसग्गा संलेहणाओ भत्तपच्चक्खाणाई पाओवगमः णाई अणुत्तरो ववाइयत्ते उववत्ती सुकुल पञ्चायाईओ पुणबोहिलाभा अंतकिरियाओ आघविजंति अणुत्तरो चवाइ अदसासुणं परित्ता वायणा संखिज्जा अणुओगदारा संखिजा वेढा संखिजा सिलोगा संखिजाओ निज्जुत्तीओ संखिजाओ पडिवत्तीओ संखिजाओ संगहणीओ से गं अंगट्टयाए नवमे अंगे एगेसुअवधे तिन्निवग्गा तिन्नउद्देसण काला तिन्नसमुद्देसण काला संखिजा पयसहस्साइ पयग्गेणं सांखिजा अक्खरा अणंतागमा अणंतापजवा परित्ता तसा अणंना थावरा सासयकड निबद्ध निकाइया जिणपन्नता भावा आधविनंति पन्नविनंति परूविजंति दसिजति निर्दसिजति उवदंसिजति सेएवं आया सेएवं नाया विनाया सेएवं चरण करण परूवणा आघविजइ । सेत्तं अणुत्तरो ववाइ दसाओ ॥९॥ .. सेकिंतं पण्हा वागरणाई । पण्हा वागरणे सुणं अठुत्तरं पमिणमयं अछुत्तरं अपसिणसयं अछुत्तरं
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[ ४७ ] परिणापसिणसयं तं जहा - अंगुट्ठपसिणाई बाहुपसि णाई अागपरिणाई अन्नेवि विचित्ता विजाइसया नागसुन्नेहिं सद्धिं दिव्वा संवाया आघविज्जति पन्हा वागरणाणं परिता वायणा संखिजा अणुओंगदारा संखिज्जा वेढा संखिजा मिलोगा संखिजाओ निज्जुन्तीओ संखिजाओ संगहणीओ संखिज्जाओ पडिवत्तीओ सेणं अंगट्टयाए दसमे अंगे एगे सुअक्खंधे पणयालीसं अज्झयणा पणयालीसं उद्देसण काला पणयालीसं समुद्देसण काला संखिज्जा पयसहस्साइं पयग्गेणं संविज्जा अक्खा अनंतागमा अनंता पज्जवा परिता तसा अनंता थावरा सासयकड निबद्ध निकाइया जिणपन्नशा भावा आघविज्जति पन्नविज्जति पविति देसिज्जंति निर्दसिज्जति उवदंसिज्जंति सेएव आया सेएवं नाया सेएवं विन्नाया सेएवं चरण करण परूवणा आघविज्जइ । सेत्तं पण्हा वागराणाइ ॥ १० ॥
सेकितं विवाग सुयं । विवाग सुएणं सुकड डुक्कडाणं कम्माणं फल विवागे आघविज्जइ तत्थणं दस दूह विवागा दस सुह विवागा । सेकिंतं दुह विवागा दुइ विवागे सुणं दुह विवागाणं नगराई
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[१८] उजाणाइं चेइआई वणसंडाइं समोसरणाहं रायाणो अम्मापियरे धम्मायरिया धम्मकहाओ इहलोइय परलोइय इड्ढिविसेमा निरयगमणाई संसारभव पवंचा दुह परंपराओ दुकुल पञ्चायाईओ दुलह बोहिअत्तं आघविज्जति सेत्तं दुह विवागा। सेकिंतं सुह विवागा । सुह विवागे सुणं सुह विवागाणं नगराई उज्जाणाइं चेहआई वणसंडाइं समोसरणाई रायाणो अम्मापियरो धम्मायरिया धम्मकहाओ इहलोइय परलोइयं इाढविसेसा भोगपरिचाइया पव्वज्जाओ परिआया सुअपरिग्गहा तवोवहाणाइं संलेहणाओ भत्तपञ्चक्खाणाई देवलोग गमणाई सुह परंपराओ सुकुल पञ्चायाईओ पुण बोहिलाभा अंतकिरियाओ आघविनंति विवागसुयस्सणं परित्ता वायणा संखिज्जा अणुओगदारा संखिज्जा वेढा संखिन्जा सिलोगा संखिज्जाओ निन्जुत्तीओ संखिज्जा संगाइणीओ संखिज्जाओ पडिवत्तीओ सेणं अंगट्टयाए एकार समे अंगे दो सुअक्खंधे वीसं अज्झयणा वीसं उद्दसण काला वीसं समुद्देसण काला संखिज्जा पय सहस्साइं पयग्गेणं संखिज्जा अक्खरा अणंतागमा अणंता पज्जवा तसा अणंता थावरा सासयकड
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[१९] निषद्ध निकाइया जिणपन्नत्ता भावा आघविखंति पनविजंति परूविजंति दंसिजति निदंसिर्जति उवदं. सिजति संएवं आया मेएवं नाया सेएवं विनाया सेएवं चरणकरण परूवणा आघविजइ। सेत्तं वि. वाग सुयं ॥ ११॥ - सेकिंतं दिहिवाए । दिट्ठिवाएणं सव्वभाव परूवणा आघविजंति से सभासओ पंचविहं पन्नत्तं तं नहा परिकम्मे, सूत्ताई, पुगए, अणुओगे, चूलिया। सेकिंतं परिकम्मे । परिकम्मे सत्तविहे पन्नत्ते.तं जहासिसोणआ परिकम्मे, मणुस्ससणिआ परिकम्मे, पुडसेणिआ परिकम्मे, ओगाढसेणिआ परिकम्मे, उवसंपज्जसेणिआ परिकम्मे, विप्पजहसेणिआ परिकम्म, चुआचुअसेणिआ परिकम्मे । सेकिंत सिद्धसेणिआ परिकम्मे । सिद्धसोणिआ परिकम्मे चउदसविहे पन्नत्ते तं जहा-माउगापयोइं, एगठ्ठिअपयांई, अट्ठपयोइं, पाढोआभासपाँई, केउ अं, रासिबद्ध, एगगुणं, दुर्गुणं, तिगुणं, केउ अं, पडिगहो, संसार पडिगहो, नंदावतं, सिडवित्तं । सेत्तं सिद्धसेणिआ परिकम्म ॥१॥ - सेकिंतं मणुस्ससेणिआ परिकम्मे । मणुस्ससेणिआ परिकम्म चउदस विहे पन्नत्ते तं जहामाउगापयांई, एगट्टिअपयोई, अट्ठपैयाइं, पाढो आभासपयाई, केउ अं, रासिंबद्धं, एगगुंणं, दुर्गुणं, तिगुंणं,
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[२०] केउ अं, पडिगहो, संसार पडिगग्गैहो, नंदावतं, मणुस्सावत्तं । सेत्तं मणुस्ससेणिआ. परिकम्मे ॥ २॥ . सेकिंतं पुटुसेणिआ परिकम्मे । पुट्टसेणिआ .. परिकम्मे एक्कारस्सविहे. पन्नत्ते तं जहा-पाढोआभास पोई, केउ अं, रासिबद्ध, एगणं, दुगुणं, तिर्गुणं, केउ अं, पडिग्गहो, संसार पडिग्गहो, नंदावतं, पुट्टावतं । सेत्तं पुट्ठसणिआ परिकम्मे ॥ ३ ॥ . - सेकिंतं ओगाढसेणिआ परिकम्मे । ओगाढसेणिआ परिकम्मे एक्कारस्सविहे, पन्नत्ते तं जहापाढोआभासपर्यो ई, केउ यं, रासिबैड, एगर्गुणं, दुगुणं, तिर्गुणं, केउ अं, पडिग्गहो, संसार पडिग्गहो, नंदावतं, ओगाढावत्तं । सेत्तं ओगाढ सेणिअं परिकम्मे ॥ ४ ॥ . सेकिंतं उपसंपज्जण सेणिआ परिकम्मे । उपसंपज्जण सेणिआ परिकम्मे एक्कारस्सविह पन्नत्ते तं जहा-पाढोआभासपोई, केउ अं, रासिवर्ड, एगगुणं, दुगुणं, तिगुंणं, केउ अं, पडिग्गहो, संसार पडिग्गहो, नंदवित्तं, उपसंपज्जणावतं । सेत्तं उपसंपजण सेणिआ परिकम्मे ॥५॥ . सेकिंतं विप्पज्जहण सेणिआ परिकम्मे । विप्पजहण सेणिआ परिकम्मे एक्कारस्स विहे पन्नत्ते तं जहा-पाढोआभासपंयाई, केउ अं, रासिरह, एगर्गुणं, दुगुणं, तिगुणं, केउ अं, पडिग्नहो, संसार
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[ ५९ ] पडि हो, नंदावन्तं, विप्पज्जहणावेत्तं । सेत्तं विप्पजहण सेणिआ परिकम्मे ॥ ६ ॥
सेकिंतं आणिआ परिकम्मे । चुआचुअ सेणिआ परिकम्मे एक्कारस्सविहे पन्नते तं जहा - पाढो आभासपयोई के भूअं, रासिबैंड, एगर्गुणं, दुर्गुणं, तिगुण, केउभूअं, पडिगहो, संसार पडिग्र्गहो, नंदीवत्तं, आचुअ । सेत्तं चुआचुअ सोणिआ परि
कम्म ॥ ७ ॥
छचक्कनइआई सततेरासियाई । सेतं परिकम्मे ॥ १ ॥
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सेकितं सुत्ताइं । सुत्ताइं बावीसं पन्नत्ताइं तं जहा - उज्जुसुंबं, परिणयापरिणय, बहुभंगिअं, विजयचैरियं, अणंत्तरं, परंपरं, मासा, मंजूई, संभित्र, आहन्वीयं, सोवस्थिआवेत्तं, नंदायन्तं बलं, पुट्ठा, विआवत्त एवंभूअं, दुयावत्तं वत्तमाण, समभिरू, सव्वओमेंहं, पस्सोसं, दुप्पड rasआई बावीस सुत्ताइं छिन्नच्छेअन आणि स मय उत्त्परिवाडीए इच्चेइआई बावीस सुत्ताई अ च्छिन्नच्छेअनहआणि आजीविअसुन्त परिवाडीए । इचे आई बावीस सुत्ताइं तिगणइयाणि तेरासिअसुत परिवाडीए । इच्चेइआई बावीस सुत्ताई चंडकनइ आणि ससमयसुत्त परिवाडीए एवामेव सपुव्वावरेणं अट्ठासीई सुत्ताइं भवतीति मक्वायं । सेत्तं सुत्ताहं ॥ २ ॥
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[ २] सेकिंतं पुव्वगए । पुव्वगए चउदसविहे पन्नत्ते तं जहा-उप्पायपुवं, अग्गोणीयं, वीरिय, अत्थिनस्थिप्पवायं, नाणवायं, सच्चप्पाय, आयप्पवायें, कम्मप्पचार्य, पच्चक्खाणप्पवायं, विजाणुप्पवायं, अवंझं, पाणऊ, किरियाविसोलं, लोगबिंदुसारं । उप्पायपुव्वस्सणं दसवत्थू चत्तारि चूलिआवत्थू पन्नता। अग्गाणीयपुव्वसणं चउदसवत्थू दुवालस चूलिआवत्थू पन्नत्ता । वीरिय पुव्वस्सणं अट्ठवत्थू अट्टचूलिआवत्थू पन्नता । अत्थि नत्थि पवाय पुव्वस्सणं अहारस वत्थू दस चूलिआ वत्थू पन्नत्ता। नाणप्पवाय पुव्वस्सणं बारस्स वत्थू पन्नत्ता । सच्चप्पवाय पुठ्वस्सणं दोन्निवत्थू पन्नत्ता। आयप्पवाय पुव्वस्सणं सोलस्स वत्थू पन्नत्ता । कम्मप्पवाय पुव्वसणं तीसंवत्थू पन्नत्ता। पञ्चक्खाण पुव्वस्सणं वीसंवत्थू पन्नत्ता । विजाणुप्पवायस्सणं पनरस्स वत्थू पन्नत्ता। अवंझ पुव्वस्सणं बारस्स वत्थू पन्नत्ता । पाणाउ पुव्वस्सणं तेरस्स वत्थु पन्नत्ता किरिया विसाल पुव्वस्सणं तीसं वत्थू पन्नत्ता। लोगबिंदुसार पुव्वस्सणं पणवीसं वत्थू पन्नत्ता । दस चौदस अट्ट अट्ठारसेव बारस दुवे अत्थूणि । सोलस तीसा वीसा एन्नरस अणुप्पवायंमि ॥१॥ बारस इक्कारसमे बारसमे तेरसेव वत्थूणि । तीसा पुण तेरसमे चउदसमे पन्नविसाओ ॥२॥ चत्तारि दुवालस अडचवेदस चेव चूल्लवत्थूणि । आइल्लाण चउण्हं सेसाणं चूलिआ नत्थि ॥३॥
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[ ५३ ]
सेत्तं पुचगए ॥ ३ ॥ सेर्कितं अणुओगे । अणुओगे दुविहें प्रन्नन्ते तं जहा - मूलपढमाणुओगे । गंडिआणुओगे । सेकिंतं मूलपढमाणुओगे । मूलपढमाणुओगेणं अरहंताणं भगवंताणं पुग्वभवा देवगमणई आउं चवणाई जम्मणाणि अभिसेआ रायवरसिरीओ पव्वज्जाओ तवाय उग्ग केवल नाणुप्पयाओ तित्थपवत्तणाणि असीसा गणा गणहरा अजयवत्तिणीओ संघस्स चउव्विहस्स जं च परिमाणं जिणमण पज्जव ओहिनाणी सम्मत्त सुअनाणिणोअ वाई अणुत्तरगईअ उत्तरवेजविणो अ मुणिणो जत्तिआ सिद्धासिडी पहो जह देसिओ जचिरं कालं पाओ वगया जे जहिं जत्तिआहं भत्ताइं छेइता अंतगढे मुणिवरुत्तमे तिमिरओघ विप्यमुक्के मुक्ख सुह मणुत्तरं च पत्ते एवमन्ने एवमाइ भावा मूलपढ माणुओगे कहिआ । सेत्तं मूलपढमाणुओगे । सेकिंत
डिआणुओगे । iडिआणुओगे, कुलगरगंडिआओ, तित्थयर गंडिआओ, चक्कवट्टिगंडिआओ, दसारगंडिआओ, बलदेव गंडिआओ, वासुदेव गंडिआओ, गणधर गडिआओ, भद्दबाहू गंडिआओ, तवोकम्म गंडिआओ, हरिवंस गंडिआओ, उस्सप्पिणी गंडिआओ, ओसप्पिणी गंडिआओ, चिनंतर गंडिआओ अमरनर तिरिअ निरयगइ गमण विविध परियहणेसु एवमाईआओ गंडिआओ, आघविज्जंति पन्नविज्वंति सेत्तं गंडिआणुओगे । सेत्तं अणूओगे ॥ ४ ॥
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[१४] सेकिंतं चूलिआओ। चूलिआओ आइल्लाणं चउण्हं पुवाणं चूलिआ सेसाई पुव्वाइं अचूलिआई सेत्तं चूलिआओ ॥५॥ . .
दिद्विवायस्स णं परित्ता वायणा संखिजा अणुओगदारा संखिज्जा वेढा सखिजा सिलोगा संखिजाओ निज्जुत्तीओ संखिजाओ पडिवत्तीओ संखिजाओ संगहणीओ सेणं अंगट्टयाए बारसमे अंगे एगे सुअक्खंधे चउदस पुवाई संखिजावत्थू संखिजा चूलवत्थू संखिज्जा पाहुडा मंखिजा पाहुडपाहुडामखिजाओ पाहुडिआओ संखिजाओ पाहुडपाहुडिआओ संखिजाइं पयसहस्साइं पयग्गेणं संखिज्जा अक्खरा अणंतागया अणंतापजवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासयकडनिबद्ध निकाइया जिणपत्रत्ता भावा आघविखंति पनविजंति परूविजंति दसिजति निदसिज्जति उवदसिजति एवं आया सेएवं नाया सेएवं विन्नाया भेएवं चरणकरण परूवणा आघविजइ । सेत्तं दिहिवाए ॥ १२ ॥
इच्चेइयंमिदुवालसंघे गणिपिडगे अणंताभावा अणंताअभावा अणंताहेउ अणंता अहेउ अणंता कारणा अणंता अकारणा अणंता जीवा अणंता अजीवा अणता भवसिद्धिया अणंता अभवसिद्धिया अणंलासिता अणंता असिहा पन्नत्ताभावमभावा हेउ महेउ कारणमकारणे चेव ॥ जीवाजीवा भविअमभविआ सिद्धा असिडाय॥१॥
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[५५ ... इच्चेइ दुवालसंगं गणिपिडगं तीए काले अणंता जीवा आणाए विराहित्ता चाउरंत संसार कतारं अणुपरिअहिंसु । इच्छाअं दुवालसंगं गणिपिंडग पडुपन्नकाले परित्ता जीवा आणाए विराहिता चाउरतं संसार कंतारं अणुपरि अहिंति । इचइअं दुवालसंगं गणिपिडगं अणागए काले अणंता जीवा अणाए विराहित्ता चाउरतं संसार कंतारं अणुपरि अहिस्संति । इच्चेअं दुवालसंगं गणिपिडगं तीए काले अणंताजीवा आणाए आराहित्ता चाउरतं संसार कंतारं वीईवइंसु । इच्चेइअं दुवालसंग गणि. पिडगं पडुपन्नकाले परित्ता जीवा आणाए आराहिता चाउरंतं संसार कंतारं वीईवयंति । इच्चइअंदवालसंगं गणिपिडगं अणागए काले अणंता जीवा आणाए आराहित्ता चाउरंतं संसार कंतारं वीई वहस्संति । इच्चेइअं दुवालसंगं गणिपिडगं नकयाइनासी नकयाइ नभवइ नकयाइ नभविस्सइ भुवि च भवइ अभविस्सइअ धुवे निअए सासए अक्खए अव्वए अवाट्ठिए निचे से जहा नामए पंचत्थिकाए नकयाइ नासी नकयाइ नत्थि नकयाइ नभचिस्सइ भुपिं च भवइअ भविस्सइ अ धुवे नियए सासए अक्खए अव्वए अवट्टिए निच्चे एवाने दुवालसंगे गणिपिडगे नकयाइ नासी नकयाइ नत्थि नकयाइ नभविस्सइ भुर्वि च भवइअ भविस्तइ अधुचे
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[१६] निअए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए निच्चे से समासओ चउन्विहं पन्नत्तं तं जहा-दव्वओ। विसओ । कालओ । भावओ । तत्थ दवओणं सुअनाणी उवउत्ते सव्व दव्वाइं जाणड पासह । खित्तओणं सु. अनाणी उवउत्ते सव्वं खेत्तं जाणापासइ। कालओणं सुअनाणी उवउत्ते सव्वं कालं जाणइ पामइ। भावओणं सुअनाणी उवउत्ते सव्वे भावे जाणइ पासइ । अक्खरसन्नी सम्मं । साइरं खलु सपज्जवसि च । गमिअं अंगपविढे । मत्तवि एएसपडिवक्खा ॥१॥ आगम सस्थाहणं । जं बुद्धिगुणेहिं अट्ठहिं दिद। विति सुअनाण लंभं । तं पुव्व विसारया धीरा ॥२॥ सुस्सूसइ पडिपुच्छेइ । सणेई गिण्हईअ ईहएयोऽवि । तत्तो अपोहएदी । धारेई करेह वा सम्मं ॥ ३॥ मूअं हुंकारं वा बाढक्कार पडिपुच्छविमंसा । तत्तो पसंग पारायणं च परिनि? सत्तमाए ॥४॥ सुत्नत्यो खलुपढमोबीओनिज्जुत्तिमीसिओभणिओ। तइओय निरविसेसो एसविही होइ अणुओगे ॥५॥ - सेत्तं अंगपविढं । सेत्तं सुअनाणं । सेत्तं परोक्खनाणं । सेत्तं नंदी सम्मत्ता ॥
॥ इति श्रीनंदीसूत्र मूलपाठः शम्॥
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maaad जाहेरवे प्रश्नों।
आ नन्दीसूत्र तेमज बीजी पण प्राचीन पुस्तकोंमां स्थिवरावलीनी ५० गाथाओ जोवामां आवे छे अने । "आगमोदय" समितिथी छपाएला नन्दीसूत्रमा स्थिरावली ४३ गाथाओ छे तेमां गाथा १७-१८-३१-३२-४१४२-१९ आ सात गाथाओनो तफावत छे तेने माटे बे कारण होवा जोइये क्यों तो कोई आचाय नवीन गाथाओ 'बनावी मूल पाठमां वधारो को होय, क्यां तो श्री आनन्दसागरजी महाराजे आ गाथाओ मूल सूत्रमाथी कहाडी नांखी होय । एने माटे पुरतो खुलासो होवो जोइये। कारण स मूल सूत्रमा न्युनाधिक थर्बु ए कांई ओछी वात नथी तेथी। M कोई विद्वान खुलाशो करशे तो अमें तेओनो सविनय आभार मानीशं.
मुनि ज्ञानसुन्दर
egekee
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Aasage
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________________ ज्ञान बीचेके पुष्पोंको कब सुघोगे ? श्री पार्श्वप्रभुके पांचमें पट्ट श्रीमाली, और पोरवाल, वंश स्थापन करनेवाले श्रीसंयप्रभसूरीके पट्टपर ओसवंशात्पन्न करनेवाले श्रीमदुपकेवा (कमला) गच्छाधिपति श्रीरत्नप्रभसूरीजी महाराज स्मरणार्थ श्रीरत्नप्रभाकर ज्ञानपुष्पमालाके पुष्प 1 श्री प्रतिमाछत्तिसी. -0-622 सुबोध नियमावली. 0-0-6 2 गयबरबिलास. 0-4-023 प्रभुपूना 0-0-6 3 दानछत्तिशा. 0-0-6/24 जैनदीक्षा भेट. 4 अनुकंपाछत्तिशी. 0-6-0/25 व्याख्याविलास. 0-2-0 5 प्रश्नमाला प्रश्न 100 0-0-026 थोकडा प्रबन्ध भा. 10-2-0 6 स्तवन संग्रह भा. 10-2-027 थोकडा प्रबन्ध भा. 2 0-1-0 7 पैतीश बोल. 0-2-028 भा. 3 0-2-0 8 दादासाहबकी पूजा. -1-029 भा.४०-२-० ९चर्चाका पब्लिक नोटीस भेट.३० भा. 5 छपते है. 10 देवगुरु वन्दनमाला. .-1-031 सुखविपाक मूल सूत्रम्. " स्तवनसंग्रह भा. 2 0-2-032 थोकडा प्रवन्ध भाग 6 भेट. 12 लिंगनिर्णय. .-.-033 दशवैकालिकसत्र मूल. 0-2-0 13 स्तवनसंग्रह भा. 3 -भेट. 34 थोकडा प्रबन्ध भाग 7 मेट. 14 सिद्धप्रतिमा मुक्तावली. 0-8-035 मेझरनामुं 0-8-0 15 बत्तीस सूत्रदर्पण. .-3-036 त्रण निर्नामा लेखनो उत्तर. भेट. 16 जैन नियमावली. भेट. 37 ओशीयां ज्ञान लिष्ट 17 84 आशातना. भेट. 38 थोकडा प्रबन्ध भाग 8 18 डंके पर चोट (चर्चा) भेट.३९ थोकडा प्रबन्ध भाग 3 19 आगम निर्णय .-1-040 श्री नन्दीसूत्र मूलपाठः 20 चैत्यबन्दनादि भेट.४१ तीर्थयात्रा भेट. 21 जैन स्तुति 0-1-042 थोकडा प्रबन्ध भाग 10 (प्रे) श्री रत्नप्रभाकर ज्ञान पुष्पमाला मु. ओसाया तथा फलोदी-जील्ला जोधपुर-मारवाड.