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श्री रत्नप्रभाकर ज्ञान पुष्पमाला पुष्प नम्बर ४०.
श्रीरत्नप्रभसूरीश्वर सद्गुरुभ्यो नमः । श्रीमद् देवऋद्धिगणी क्षमाश्रमण प्रणीतम् अथ श्री
नन्दीसूत्र मूल पाठः
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संशोधकश्रीमदुपकेश (कमला) गच्छीय मुनिश्री ज्ञानसुन्दरजी (गयवरचन्दजी )
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द्रव्य सहायक
श्री फलोदी संघ
स्वपनादिकी बोलीकी उपनमेंसे मु० ओसीया ।
प्रकाशक
शा० माणेकलाल अनुपचन्द, मु० सूरत
प्रथमावृत्ति ] वीर सं० २४४७. [ प्रत १०००. 'जनविजय प्रिन्टिंग प्रेस-सूरत में मूलचन्द्र किसनदास कापड़ियाने मुद्रित किया।
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