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श्री नदिसूत्रमहात्म्य
मो नंदिमहानंदिसूत्राय सूक्त भासते ॥ किंचित्तस्य महात्म्यञ्च लिखामि लोकभाषया ॥ १ ॥
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" सुविदितमेतत् सकलसुखावर प्रवाहवाहिनी वीरवाणी जयतितराञ्चेति " अतः श्रीं सकलसंघ समुदायने सविनय प्रार्थना पूर्वक विदित करवाके श्री वीतराग महाराज श्री वीर वर्धमान महावीर प्रभुना श्रीमुखथी प्रकाशित थयेलां बार अंगसूत्रो छे, ते समग्र सूत्रज्ञाननुं मद्दा निधान, स्याद्वाद द्वादशांगी वाणीनुं वदनकमल, त्रिकाल व्यवस्था स्वरुप आदर्श, त्रिकाल विलोकन सुलोचन, पापमोचन, संकटमोचन, जैन ज्योति प्रद्योतायमान् प्रदीप सकल जीव जीवन, ज्ञानात्मस्वरुप, सुगृहीत नामधेय श्री नंदी सूत्र छे.
आ सूत्र देवर्द्धिगणिक्षमाश्रमण निग्रंथ महाराजे लोकानुग्रहार्थे गयार्थ रुपमां रची महामणि चिंतामणि पेठे सम संघने समर्पण कयुं छे.
आ आगमना पठनपाठनथी उभय लोक सफल थायछे, सुखविपाक फल करी भुक्तिमुक्ति प्राप्त थायछे. विशेषतः प्राचीन महापुरुषो प्रतिदिन नन्दी स्वाध्याय कर्या पछीथीज आहार पाणी करता, अने शिष्य प्रशिष्योने आज्ञापूर्वक पठन पाठन परंपरा कायम करावता हता.