Book Title: Nandisutra Mahatmya Author(s): Gyansundar Publisher: Shah Maneklal Anupchand View full book textPage 9
________________ [७] वढउ वायगवंसो जसवंसो अज नागहत्थीणं ॥ वागरण करण भंगिय कम्मपयडी पहाणाणं ॥ ३४ ॥ जच्चंजण धाउ समप्पहाण मुद्दिय कुवलय निहाणं ॥ वढउ वायगवंसो रेवइनक्खत्त नामाणं ॥ ३५॥ अयलपुरा णिक्खंते कालियसुय आणुओगिए धीरे ॥ बंभद्दीवठासीहे वायगपय मुत्तमं पत्ते ॥ ३३ ॥ जेसि इमो अणु ओगो पयरइ अन्ज विअड्ढभरहम्मि॥ बहु नयर निग्गय जसे तं वंदे खंदिलायरिए ॥३७॥ तत्तो हिमवन्त महंत विक्कमे धिइ परकम मणंते॥ सज्झायं मणंतधरे हिमवंते वंदिमो सिरसा ॥ ३८ ॥ कालिय सुय अणु ओगस्स धारए धारए य पुव्वाणं॥ हिमवंत खमा समणे वंदे नागज्जुणायरिए ॥ ३९॥ मिउमद्दव संपन्ने आणुपुवि वायगत्तणं पत्ते ॥ ओहसुय समायारे नागज्जुण वायए वंदे ॥ ४०॥ गोवं दाणं पि नमो अणुओगो विउल धारिणिं दाणं॥ दाणं निच्चं खंति दुयाणं परवणे दुल्लभि दाणं ॥४१॥ तत्तोय भूयदिन्नं निचं तव संजमे अनिविणं ॥ पंडिय जण सामणं वंदामि संजमं विहण्णु ॥ ४२ ॥ वरकणगतविय चंपग विमउल वर कमल गम्भ सरिवन्ने। भविअ जणहियय दइए दयागुण विसारए धीरे॥४३॥Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60