Book Title: Nandisutra Mahatmya
Author(s): Gyansundar
Publisher: Shah Maneklal Anupchand
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[३८]
सिक्खा भासा अभासा चरण करण जाया माया वित्तीओ आधविज्जति से समासओ पंचविहं पन्नत्ते तं जहा नाणायारे दंसणायारे चरित्तायारे तवायारे वीरियायारे आयारेणं परित्ता वायणा संखिज्ज अणुओगदारा संखिजा वेढा संखिजा सिलोगा संखिजाओ निज्जुत्तीओ संखिज्जाओ पडिवत्तीओ संखिजाओ संगहणीओ सेणं अगट्ठयाए पट्टमे अंगे दोसुक्खं धापणवीसं अज्झणा पंचासीई उद्देसण काला पंचासीई समुद्देसण काला अट्ठार समय सहस्साणि पयग्गेणं संखिजा अक्खरा अणंतागमा अणंता पजवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासयकड निबद्ध निकाइआ जिणपन्नत्ता भावा आघविनंति पन्नविजंति परूविजंति इंसिज्जति निदसिज्जंति उवदसिज्जंति से एवं आयासे एवं नायासे एवं विन्नायासे एवं चरण करण परूवणा आघविजह सेतं आयारे ॥१॥ . सेकिंतं सूयगडे । सूयगडेणं लोए सूइज्जइ अलोए सूइज्जइ लोआलोए सूइज्जइ जीवा सूइज्जइ अजीवा सूइज्जइ जीवाजीवे सूइज्जइ ससमए सूइज्जइ पर समए सूइज्जइ ससमय परसमए सूइज्जइ सूयगडेणं

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