Book Title: Nandisutra Mahatmya
Author(s): Gyansundar
Publisher: Shah Maneklal Anupchand

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Page 4
________________ आ नन्दीसूत्रनी स्वाध्यायु क्लशक्तिथी ज्ञानावर्णादि कर्मोनो क्षय थायछे, बुद्धि वृद्धि पामेछ, योदशक्ति, स्मरणशक्ति, मेधा प्रतिभा वृद्धि पामेछे, मगज स्वच्छ थायछे, देहदंड अपराधो क्षय पामेछे, चित्तवृत्ति एकाग्र रहेछे, कुण्डलिनी नाडी जागृत थायछे, नाभि कमल प्रफुल्लित थायछे, विचारबल, ज्ञानबल, पुण्य बल, धर्मबल, आरोग्यबल, आत्मबल, चारित्रबल, तपोबल, मनोबल, वचनबल, कायबल, क्रियाबल, स्वाध्यायबल, हृदयबल, आगमबल, समाधिबल, योगबल अने पुण्यानुबन्धिबल वृद्धि पामेछे. दुष्ट संस्कारो नाश पामेछे, तेथी दिव्य परमाणुओ स्वयं आकर्षित थई सदागमनी प्रतिष्टा करेछे. सुस्वप्नदर्शन, दिव्य शंन अने प्राचीन तीर्थ दर्शन थायछे, सूत्र देवता सानुकुल थई प्रतिक्षणे सद्बुद्धि आपेछे. . आ सूत्रनुं प्रतिदिन एक बे वखत अभिग्रह पूर्वक पठन पाठन करवू, जेथी आजे पण अनेक चमत्कारो प्रगट थायछे. ___ आ सूत्र पांचमा आरामां कुंडामां रत्नरुपछे, अक्षरे अक्षर मंत्रविद्यागर्भित आ पवित्र नन्दीसूत्रनो अवश्य स्वाध्याय करवो. भव्यात्माओए त्रिकाल विनयी नन्दी महानन्दी सूत्रनु अवश्य पठन पाठन करवं, कारणके " स्वाध्यायः परमं तपः" माटे नन्दीसूत्र वांची अने वंचावो. सुज्ञेषु किं बहुना. सविनय प्रार्थना. इत्यलम् । तथास्तु । "धर्म रत्न"

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