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(२३) के लिये हमको एक वर्किंग ऑफिस नियत करना चाहिये. जिसमें आनरेरी सेक्रेटरी सिवाय मासिक तनखाह देकर सेक्रेटरी और अन्य कर्मचारी रखना चाहिये तथा जुदे २ स्थानोंमें ऐसी बेंच ऑफिस खोलना चाहिये, जो अपने अपने इलाकेसें काम करै और हेड ऑफिसको मदद देती रहै. उन ऑफिसोंके साथ एक एक कमीटी भी होना चाहिये, जो अपने वार्षिक कार्योकी रिपोर्ट किया करै और प्रत्येक वर्षे जब महासभा हो तो उसमें सबका हाल पेशहो.
इस तरहपर हम जैनीयोंकी धार्मिक तथा संसारिक और आर्थिक उन्नति होनेके लिये जो जो बातें सांक्षप्त रूपसे आपके आगे कहीगई है उनपर अमल करनेके लिये ये सब भाईयोंको तयार होना चाहिये. हम लोगोंका काम केवल व्याख्यान देनाही नहीं है बरन कार्य सिद्ध करना है. पूर्वके पुण्योदयसे मिले हुए द्रव्यको हम संसारिक कार्योंमें केवल कीर्तिहीके लिये अनाप शनाप खर्च करते है, जो वास्तवमें व्यर्थ और क्षणिक है, इस लिये उसको व्यर्थ न उडाकर सुकार्योमें व्यय करना चाहिये. द्रव्यवान् पुरुषोंको अपने द्रव्यका और विद्वानको अपनी विद्याका तन मनसे उपयोग करना चाहिये. जब यह सब एकत्र होकर एकसंपसे ऐसे कार्य करना चाहंगे तो ऐसा काम कोई नहीं है जो हमसे न बन शके.
___ आप सब भाईयोने मेरे इस भाषणको ध्यानपूर्वक सुनाहै इसके लिये में आपको धन्य. बाद देताहूं. आप सब लोगोंको इस स्थानपर एकत्रित देखकर मेरा हृदय हर्षसे भरगया है. हम जैनी भाइयोंकी इस तरहपर निरंतर सभाए हुआ करै, हम लोगोंसे अच्छे २ कार्य हो
और हम लोगोंके धर्मकी सदा जयध्वजा फरकती रहै, इस बातके लिये मैं परमात्मासे निवेदन करके अपने भाषणको समाप्त करताहूं. अंतमें इतना और कहना है कि इस सभामें जो २ कार्य करने है उनके विचार करनेको इस सभामें जो भिन्न २ देशोसे प्रतिनिधी पधारे है उनमें से प्रथक २ सर्कलके मुखियाओंकी एक सबजेक्ट कमीटी नियत की जाय. ___ छेवटमें और हम कुल जैन समुदायको हमारी ब्रिटिश गवर्मेन्टका धन्यवाद अदा करना ‘चाहिये के जिसके राज्यमें हम अपने धर्मकार्यको निर्विघ्नताके साथ कर रहे है. इस गवर्मेन्टके छत्रपति शहनशाह एडवर्ड सप्तम और महाराणी अलेक्झेंड्रा संपूर्ण सुखसंपत्तिके साथ चिरकालतक हमारे शिरपर तपते रहें ऐसी हमारी खवाहिश है, और हिंदके वाईसरॉय लार्ड कर्झनको जिनहूंने हिंदुस्थानकी बहबुदी चाही है उसको धन्यवाद देकर इस भाषणको 'खतम करताहूं.
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