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(३०) शेठ. कुंवरजी आणंदजीतुं भाषण.
शेठ कुंवरजी आणंदजीए ईश्वरस्तुति कर्या बाद जणाव्यु के:
मेहेरबान प्रेसीडेन्ट साहेब ! तस्दी लइने अत्रे पधारेला जैनवर्गना आगेवान बंधुओ ! डेलीगेटो! अने बेहेनो!
आजे आपणे एक महान कार्य माटे भेळा थया छोए जेने माटे गई कालथी आपणे प्रारंभ करेलो छे. प्रमुख साहेबना भाषण उपरथी आप साहेबाने आपणे भेगा थवाना मुख्य कारणना संबंधमां शुं शुं करवानी आवश्यकता छ तेनुं भान थयेटु छे. अने तेना प्रारंभमां जीर्ण पुस्तकोद्धारना विषयपर चर्चा चलावी, ते संबंधी खास करवा योग्य होय ते करवान. सूचववामां आव्युं छे. ते साथे सब्जेक्ट कमीटी तरफथी प्रारंभना विषयपर मने बोलवान फरमान थयेलं छे. ते उपरथी मारी अल्प बुद्धि प्रमाणे ते संबंधमां आपणे जे कांई करवानी खास आवश्यकता छ, ते समजाववानुं मारुं काम छे.
प्रथम तो अनेक देशोथी आवा आपणा जैन वर्गना आगेवान जैनबंधुओने अत्रे पधारला जोई मारुं हृदय हर्षवडे उभराई जाय छे, अने तेथी ते हर्ष बताव्या सिवाय हुं रही शकतो नथी. आवा मेळावडा माटे जे काई खर्च करवामां आवे ते आवा गुणवान, विद्वान्, बुद्धिमान् अने श्रीमान् जैनबंधुओना परस्परना मेळापना, सद्विचारोनी वेहेंचणना अने तेथी ववाता जैनबंधुओना लाभरुप वृक्षना बीजना प्रमाणमां कांई पण गणत्रीमां नथी एम मारु हृदय साक्षी पूरे छे. आशा राखंछु के आप साहेबो पण एक अवाजे ते बाबतमां सारा मतने मळता थशो.
हवे मने आपेला विषय उपर हुं जाउंछु. बीजा बधा विषय करतां जीर्ण पुस्तको. द्धारना विषयने अग्रपद आपवामां आव्युं छे, तेनुं कारण ए छे के आ पंचम काळमां आपणे आधार मात्र जीन प्रतिमा अने जीनवाणीनो छे. ते जीनवाणी अनेक शास्त्रोमां अक्षर स्पे बिराजमान थयेली छे. तेना कहेनारा तरीके प्रथम पदे पूज्य श्री तीर्थकर महाराजा छे परंतु स्थापना निक्षेपा तरीके तेमनी प्रतिमाओ सर्वत्र सुलभ्य छे, जेथी सर्वत्र तेमनी भक्ति बनी शके छे. परंतु तेमनी वाणीने मागधी या संस्कृत भाषा रुपे पूर्वाचार्य महाराजाओए सूत्र, पंचांगी, तेमज अनेक ग्रंथो, प्रकरणोने चरित्रोमां गुंथेली छे अने जे वाणी ते तीर्थकर भगवान्ने ओळग्ववाने माटे परम साधनरुप छे, अने तेमना अपरिमित गुणोनुं भान करावनारी छे, ते वाणीने प्रदर्शित करनार अक्षर रुपे लखायेलां शास्त्रो आधुनिक समयमां अलभ्य थई पडयां छ; तथी तेनी शोध करीने तेनुं संरक्षण करवानी प्रथम पदे आवश्यकता आपणे सौ स्विकारीए छाए-तेज कारणथी आ विषयने प्रथम स्थान आपवामां आव्युं छे. हालमां श्री महावीर भगवान्नुं शासन वर्ते छे. तेमना गणवरोए तथा त्यार पछीना महा धुरंधर आचार्योए पण जे सिद्धांतो अने ग्रंथो रचेला छे, ते वांचवा जेटली शक्ति पण हालमां आपणे धरावता नथी. कळीकाळ सर्वज्ञ श्री हेमचंद्राचार्य पोतानी ८४ वर्ष जेटली टुंकी जींदगीमां बीजां अनेक शासनोन्नतिना कार्यो करवा उपरांत साडात्रण क्रोड श्लोकनी रचना करी छे, तेमाथी हाल
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