Book Title: Mumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Author(s): Jain Shwetambar Conference Office
Publisher: Jain Shwetambar Conference Office

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Page 300
________________ (१७५) जे ब्रिटिश शेहेनशाहतमा रहीने आपणे अत्रे भेगा थवा शक्तिमान थया छीए, ते राज्य दरेक धर्मने मान आपे छे, ते घणीज आनंदनी वात छे; तो आपणे पण आपणो धर्म बराबर पाळी आपणी फरज अदा करवी जोईए." झवेरी मोहनलाल मगनभाई- भाषण. " मेहेरबान मानवंता प्रेसीडंट साहेब, डेलीगेटो, सद्ग्रहस्थो अने बानुओ, मारा प्रथमना बोलनार विद्वान् बंधुओए आ विषय उपर घणुं विवेचन कर्यु छे, तेथी तेज बाबत उपर वधारे नहीं बोलतां नीचेनी खास एटले जरुरनी बाबत तरफ आपनुं ध्यान खेचवानुं छे, ते उपर ध्यान आपशो एवी आशा राखं छु. आपना जाणवामां छे के आपणां मुख्य तीर्थ १ शत्रुजय एटले सिद्धगीरी, २ गीरनार, ३ समतशिखर, ४ अष्टापदजी अने ५ आबुजी, ते जगजाहेर छे ते आप जाणो छो; तेमज कल्याणक भूमिओ छे, एटले ते जगोए प्रभुना कल्याणकनां स्थळो छे, ते ठेकाणां तीर्थकर प्रभुना कल्याणक तीर्थोथी जाहेर छे. ते तीर्थोमां पगलां अगर देरासरजी आगळना विच्छेद गयेला छे, तेथी विच्छेद गएला तीर्थ तरीके ओळखाय छे; माटे तेना पुराणा पाया उपर उद्धार करी तीर्थ स्थापन करवानी खास जरुर छे. तेनां नाम आपने नीचे मुजब आपुं छु: भठीलपुर तीर्थमां शीतळनाथजी भगवाननां चार कल्याणक थयां छे. मिथिला नगरीमां मलीनाथजी अने नेमीनाथजी मळी आठ कल्याणक छे. पुरीमताल तीर्थ, प्रयाग अथवा अल्हाबाद तेमां प्रथम तीर्थकर जे रुषभदेवजी महाराज तेमनु केवल ज्ञान कल्याणक छे. कोसंबी नगरी, ते तीर्थमां पण प्रभुनां चार कल्याणक छे. सावथी नगरीमां संभवनाथ प्रभुनां चार कल्याणक छ. हवे आपने कहेवानी बीजी बाबत ए के मोटां तीर्थो जे करोडो बल्के अबजो रुपीआ खर्ची चैत्यो बंधावेलां ते जीर्ण थई गयेलां छे, ते आपनी आगळ जणाववानी रजा लऊं छु. अयोध्या नगरीमा १९ कल्याणक थयेलां छे, जेमके ३ रुषभदेवजी, ४ अजीतनाथजीना, ४ आभिनंदन स्वामीजीनां, ४ सुमतिनाथ स्वामीजीनां अने ४ अनंतनाथ स्वामीजीनां मळीने १९ कल्याणक छे. राणकपुर तीर्थ जे धनाशा शेठे करोड द्रव्य खरची करेलुं छे, जेमां १४८४ थांभला अने जेमां हजारो प्रतिमाना भंडारथी भरेलां बींबनां ८१ भोयरां छे, ने तेवा महान दहेरासरजीमांना पथ्थरना ३६ पाटडा तुटेला छे अथवा जीर्ण थयेला छे, तेमज एक तरफनी भीतने दुरस्त कराववानी खास जरुर छे. तेमा हाल खर्च करवाने चाळीस हजार, आशरे काम छे, तेटली रकम शेठ आणंदजी कल्याणजी तरफी खरचवाने तैयार छे; परंतु ते बाबत दीलगिरी साथे मारे जणावQ पडे छे, के सादडीना पंच जेमां ओसवाळ अने पोरवाडनां पंचो छ, तेना एक बीजाना अरसपरसना झगडाथी आणंदजी कल्याणजीए रु. ५००० खा छे. बाकी खा नथी; कारणके रु. २० ) हजार सादडी गाममा धीरेला छे, ते डुबी जवा जेवा छे. श्रावकोने दहेरासरना रुपिया धीरवा, ते तद्दन गेरव्याजबी छे. घणांक स्थळोए लाखो रुपीआ डुबे छे अने डुबशे, तेथी मारे एम कहेवानुं छे के देरासर छती Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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