Book Title: Mumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Author(s): Jain Shwetambar Conference Office
Publisher: Jain Shwetambar Conference Office
View full book text
________________
एक प्रतिनिधी मोकल्यो छे. आ हकीकत जणावतां दरेकने एवी जिज्ञासा थशे के आ वातः झुं खरी छे ? अने ते कोण छे? प्रथम हुँ आप साहेबोने जणायूँ के, ते आवनार गृहस्थ तेनो प्रतिनिधी छे ए वात तो सत्य छे, जेने हुं आप गृहस्थना समक्ष रजु करुं छु. आ शख्स ते भरवाड रबारीनो धर्मगुरु छे. तेनी काठीआवाडमां गढडा पासे आवेला रोहीशाळा नामना गाममां धर्मशाळा छे, अने त्यां दरवर्षे भरवाड रबारीओ विगेरेनो मेळो भराय छे. आ माणसे पोतानी जींदगी आवां अवाचक प्राणीओनुं रक्षण करवामां अर्पण करेली छे. ते लगभग दस वर्षथी अन्नाहार लेता नथी, पण पोतानी जींदगी फळाहार उपर निभावे छे. एक वर्ष आ अवाचक प्राणीओना रक्षण अर्थे छाश उपर पोतानी जींदगी टकावेली, अने ते पछी भावनगर, गढडा विगेरेना महाजने तेने छाशने बदले फळाहार कराव्यो. आ भक्त अवाचक प्राणीओनुं रक्षण केवी रीते करे छे ? तेना सेवको मोटी किंमत लई कसाई विगेरेने जीवो आपता, तेने माटे तेमने धर्मनो बोध आप्यो; अने तेने लीधे पोणा बसों गामना भरवाड रबारीओए एवी प्रतिज्ञा करी के, हिंसा करनार तरफथी आपणने गमे तेटलो पैसो मळे, तोपण आपणे तेने. प्राणीओ वेचाण आपवां नहीं, अने तेना रक्षण करनाराओने जुज किंमते पण आपवा. आवी रीते थवाथी केटला जीवो हिंसकोना हाथमा जता अटक्या हशे, तेनो आप साहेबो विचार करशो.
आ भक्तने आवा जीवोना रक्षणनी सहायता अमदावादवाळा शेठ मनसुखभाई तथा. भावनगरवाळा शेठ कुंवरजी आणंदजीए आपेली. हालमां आ भक्तना एक सेवक पासे आशरे चौदसें घेटां बकरांओ होवाथी तेने माटे "शेठ मनसुखभाई मुंबईमां छे, तेमनी पासे जई आनो बंदोबस्त करी आवं" एम धारी भक्त मुंबई आव्या. पछी तेमने मालुम पड्युं के शेठ मनसुखभाई अहीं नथी पण अमदावाद छे; तेथी निराश थई भक्त पाछा जवाने तैयार थया. दरमीआन तेमनु अनायासे मारी पेढी उपर पधारवानुं थयु, अने तेनी जींदगीनुं वृतांत सांभळी, आ जैन कॉन्फरन्समा अवाचक प्राणीओना प्रतिनिधीनी काई दाद संभळाशे एम धारी, में आ भक्तने अहीं रोक्या, जे आपणी समक्ष रजु छे.
आ भक्तने आपनी समक्ष रजु करवानो अने आ हकीकत बताववानो हेतु ए छे के, में. आप नामदार साहेबोने प्रथम बताव्युं तेम, आपणा जैनभाईओ जीवदयाना काममा लाखो रुपिया खर्चे छे, पण तेना प्रमाणमां जीवदया बहुज ओछी थाय छे; माटे जो आवे रस्ते. जीवनुं रक्षण करवामां आवे, तो ओछे खर्चे वधारे जीवनुं रक्षण थई शके.
___ खर्चना प्रमाणमा लाभ केम मेळवाय ? घेटां, बकरां विगैरेनुं पालणपोषण करवानी बराबर व्यवस्था होय, तो तेना खर्चना. प्रमाणमा लाभ रहे छे. घेटां, बकरांना एक हजार अथवा पांचसेना टोळाने बे भरवाड संभाळी शके छे, ते वगडामा चरी खाय छे, अने दरेक घेटुं वर्ष दहाडे लगभग एक रुपीआनुं उन. आपे छे. आ रीते जोतां ओछा खर्चमां हजारो प्राणीओनुं रक्षण थई शके.
आपणा देश- प्रथमनु बंधारण जोईए छीए, तो लोकोमा अभक्ष्यनो परिचय प्रमाणमां बहुज ओछो हतो; पण हालना काळमां आ हलका खोराकनी चीज मळवानी सहेलाई अने सस्ताई वधी पडी छे, तेथी ते चीज खानारा गरीब माणसोने पण अनाज अने फळादिकनी
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com

Page Navigation
1 ... 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402