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जैनग्रन्थरत्नाकर. इस नामका हमारे यहांसे मासिकपुस्तक प्रकाशित होता है. प्रत्येक अंकमें८०अथवा १२८ पृष्ठ रहते है. जिसमें प्रथमानुयोग, कारणानुयोग, चरणानुयोग, द्रव्यानुयोगके सिवाय नाटक, चंपू, काव्य, अलं-. कारादि प्राचीन जैनग्रन्थ मूल सटीक तथा हिन्दीभाषान्तरसहित क्रमसे छपानेकी योजना की है. वर्तमानमें इसके ६ अंकोमें ब्रह्मविलास, दौलतविलास, आतपरीक्षा, आप्तमीमांसा, स्वामिकार्तिकेयानुप्रेक्षा संस्कृत छाया और हिंदीभापासहित तथा रत्नकरंडश्रावकाचार सान्वयार्थ छपा है. सातवेंमें आतनिर्णय, अकलंकस्तोत्र, ८ वें और नवमेंमें बनारसीविलास छप रहा है; तत्पश्चात् ज्ञानार्णव ( योगार्णव) आदि सर्व प्रकारके प्राचीन जैनग्रन्थरूपी रत्नप्रकाशित होते रहेंगे. मूल्य १२ अंकोंका ४) रु. डांक खर्च ।।।] है. जैनपाठशाला, जैनलायब्रेरी. जैनसभा व जैनीमात्रको ५१ रु. वर्षके खर्च करके यह अभूतपूर्व पुस्तक अवश्य ही मगाना चाहिये. नमूना देखना होतो दो अंकोंका २०४ पृष्ठका पुठ्ठाबंध स्वामिकार्तिकेयानुप्रेक्षा मगाकर देखलें.
हिंदीभाषा वा भाषासहित जैनग्रन्थ. संस्कृत और संस्कृत टीकासहित जैनग्रन्थ. ब्रह्मविलास ६७ ग्रंथोंका संग्रह
।। न्यायदीपिका संस्कृतगद्य पुठासहित दौलतविलास छहढाला, पद भजनादि ॥
| सर्वार्थसिद्धितत्त्वार्थसूत्रका टीका पूज्य
पादस्वामीकृत ... स्वामिकार्तिकेयानुप्रेक्षा सं. छाया भा. टी.
... ... ...२॥
| प्रमेयरत्नमाला परीक्षामुखकी लघुटीका रत्नकरंडश्रावकाचार अन्वय अर्थ सह
| यशस्तिलकचम्पू श्रुतसागरी टीकासद्रव्यसंग्रह अन्वय ह्दिी मराठी सहित
हित प्रथम भाग ... ... उपदेशसिद्धान्तरत्नमाला हिंदीमराठी टी. | यशस्तिलकचम्पू द्वितीय भाग भाषाजिनसहस्रनाम बनारसीदासकृत। | द्विसंधानमहाकाव्य सटीक धनंजयकृत सूक्तमुक्तावली (सिंदूरप्रकर ) सं भा. दोनों ) धर्मशाभ्युदय महाकाव्य हरिश्चन्द्रकृत वनारसीविलास, छपता है
चन्द्रप्रभचरित महाकाव्य वीरनंदिकृत जैनवालबोधक प्रथम भाग
| सुभाषितरत्नसंदोह अमितगत्याचार्यवि. बालबोध सं• व्याकरण हिंदीमें प्र० भा० ।
वाग्भट्टालंकार सटीक वाग्भट्टकृत
काव्यानुशासन , दम्पतिसुखसाधन प्रथम भाग
" मोक्षमार्गप्रकाश भाषा टोडरमलजीकृत
नेमनिर्वाणकाव्य मूल ,
काव्यानुशासनसटीक हेमचन्द्राचार्यकृत आत्मानुशासन भाषासहित ,
तिलकमंजरी गद्यमय धनपालकविकृत पाचपुराणभाषाकविता भूदरदासकृत
गद्यचिन्तामणि वादीभसिंहसूरिविरचित जिनदनचरित्र चौपईबंध
क्षत्रचूडामणिकाव्य चचीशतक भापाटीकासहित
१७ काव्यमालासतमगुच्छक २३ स्तो० सं० पद्मपुराणजी ( जैनरामायण ) बहुत बडा | नीतिवाक्यामृत सोमदेवकृत श्रीपालचरित्र चौपईबंध
| जैननित्यपाठसंग्रह-भक्तामर, सूत्रादि विवाहपद्धति भाषार्टीकासहित
। १६ पाठका रेशमी गुटका | वर्षप्रबोध (जैनाचार्यकृत ज्योतिष ) भा. टी. 1) सप्तभंगितरंगिणी मूल ॥ भाषाटी० स०१) धर्मपरिक्षा भाषाटीकासहित
| स्याद्वादमंजरीसटीक हेमचन्द्राचार्यकृत जैनधर्मामृतसार दूसरा भाग.
। ताजिकसारज्योतिषसटीक, हरिभद्रसूरिकृत ।
पन्नालाल जैन. मालिक-जैनग्रन्थरत्नाकरकार्यालय.
पो. गिरगांव, बम्बई.
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