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(४) मी. लाभशंकर लक्ष्मीदासन पशुयज्ञ विषेनुं भाषण.
कॉन्फरन्सन काम खलास थया पछी, जैन भाईओने खास अनुकुळ थई पडे एव। विपयो उपर आपवामां आवेलां भाषणोमां मी. लाभशंकर लक्ष्मीदासे पशुयज्ञ विष नीचलं भाषण आप्यु हतुंः
"दयाळु साहेबो, मात्र हिंदुस्तानमांज नहीं पण आखी दुनियानां करोडो दुःखी जनावरे माटे हुं आप आगळ अपील करवा आल्यो छु, अने आपनी जगप्रसिद्ध जीवदयानो ज्यारे हुं विचार करुं छु, त्यारे मारा मुगां असीलो उपर दररोज जे अनेक जातनो त्रासदायक जुलम गुजरे छे, ते जेम बने तेम अटकाववाने आप यत्न करशो एवी मारी खात्री थाय छे. वीवीसेक्शन, मांसाहार, शिकार, पशुपज्ञ, पीछांवाळी टोपीओ, कचकडानी वस्तुओ विगेरे विगैरे विगैरे माटे जे भयानक घातकीपणुं राक्षसरुपी माणसो, बिचारां वाचावगरनां निराधार पशुपक्षिओ उपर गुजारे छे, तेनो में अभ्यास करेलो छ, अने ते महापाप जेम बने तेम नाबुद. करवा, अने दयानुं ज्ञान जेम बने तेम फेलाववा में मारी जींदगी अर्पण करी छे, अने मारो ए हेतु पार पाडवा माटे हुं आपनी मदद मागुं छं.
आजे पशुयज्ञना एकज महापाप तरफ आपनुं ध्यान रखेंचुं छु. सन १८९९ ना जुन मासना थीऑसोफिस्टमां नीचे प्रमाणे मारा वांचवामां आव्यु:
"A Brahmin gentleman well-known in Madras writes to the Editor of the Mailras Mail.' as follows:- There is a class of Brahmins who annually offer animal sacrifices in the belief that, their scriptures require them. Such sacrifices have, of late, become very nuinerous. In offering goats they are killed by a slow process of excruciating torture, which is or should be revolting to human nature......At Kumbakonam, such a sacrifice is being performed now, and a Brabmin agent would be able to be present at the scene and furuish a correct report of what takes place there.”
नामदार सरकारने अरजी. उपर प्रमाणे हकीकत वांचीने में नामदार हिंदुस्ताननी सरकारने ता. ११ मी जुन सन १८९९ ने रोज अरजी करी के, पशुयज्ञनुं महापाप बंध करवा महेरबानी करवी, अने ते तारीखी नामदार सरकार साथे मारे ए बाबत जे पत्रव्यवहार चाल्यो छे, ते एक चोपानीयाना आकारमा छपावी आजे आप सन्मुख रजु करुं छे. ते उपरथी आप जोशो के, हिंदुस्ताननी सरकारना सने १८९० ना ११ मा कायदानी ११ मी कलम प्रमाणे धर्मने नामे बिचारां मुंगां जनावरोने, गमे तेवी घातकी रीते रीबावी रीबावीने मारवानी कायदाथी छट छ; अने. ते छुटना लाभ लई जे राक्षसी कामो थाय छे, तेनो एक बीजो दाखलो रजु करुं छु.
पशुयज्ञ केवी रीते थाय छे ? मी. प्रभाशंकर आणंदजी नामना जुनागढना एक ब्राह्मण गृहस्थे, गया जानेवारी मासमां बनारसमां पशुयज्ञ ययेलो तेनो लेखित रीपोर्ट मने आपेलो छे. तेमां तेओ लखे छ
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