________________
(१९३) ठराव १९ मो.
वॉलंटियरोनो उपकार मानवा बाबत. " जैन वॉलंटियरोए मी. अमरचंद पी. परमारनी सरदारी नीचे, खरा जैनोने जेब आप एवी रीते रातदिवस जे खरा अंतःकरणथी सेवा बजावी छे, ते माटे ते उत्साही युवानोनो आ कॉन्फरन्स आभार माने छे."
शेठ वीरचंद दीपचंदे उपली दरखास्त रजु करतां, वोलंटियरोए खरा दिलथी बजावेली सेवानां भारी वखाण को हतां, अने जणाव्यु हतुं के कॉन्फरन्सनी फतेहनो मोटो आधार तेओनी स्तुतिपात्र सेवाज छे. आ दरखास्तने आखी कॉन्फरन्से ताळीओना चालु अवाजथी टेको आपतां पसार करी हती.
वॉलंटियरो तरफथी वळतो जवाब आपतां मी. अमरचंद पी. परमारे हिंदी भाषामां जणाव्यु के तमाम वॉलंटियरोए जे कार्य बजाव्युं छे तेमां अमारो उपकार मानवा जेवू कशें नथी, अमे मात्र अमारी फरज बजावी छे. धर्मनी सेवा बजाववी एना जेवू अहोभाग्य बीजं शुं होय ? अमे ईच्छीए छीए के दरेक गृहस्थ एवीज रीते पोतानी फरज समजे. अमारी छाती हर्षथी उभराई जाय छे, अने अमारे माटे जे स्तुतिपात्र शब्दो उच्चारवामां आव्या छे, ते माटे आप सर्वेनो वळतो उपकार मानीए छीए, अने आप साहेबोनी सेवा :बजाववामां अमे नादान होवाथी जे खामी रही गई होय, ते माटे आपनी क्षमा चाहीए छीए.
प्रमुख साहेबर्नु छेवटनुं भाषणं. (गुजराती भाषांतर.) त्यारबाद प्रमुख साहेबे पोता छेवटनुं भाषण नीचे प्रमाणे वांची संभळाव्यु हतुंः" महेरबान साधर्मी भाई साहेबो, डेलीगेटो, तथा वीझीटर साहेबो:
आज आपणी द्वितिय जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सनो मेळावडो खतम थाय छे. आप साहेबोए जे कृपा करीने चार दिन सुधी आ कारवाईने उत्तम रीते चलावी ते प्रशंसनीय छ, तथा आप साहेबोनी धर्ममा पुरी लागणी प्रगट करे छे. आ कॉन्फरन्समां खास करीने नव विषय उपर ठराव थया छे. प्रथम ठराव जीर्ण पुस्तकोद्धार संबंधी छे. के जे जैनधर्मनी उन्नतिने माटे बहु जरुरी छे. आपणी अपूर्व ज्ञाननी चोपडीओना उद्धारथी असंख्य फायदा थशे. प्रथम जे ज्ञान- व्यय थाय छे तेनी उन्नति मळशे. बीजुं साधु मुनिराजोने तथा श्रावको के जेओने हाल पूर्ण ज्ञान प्राप्त थई शकतुं नथी तेओने मदद मळशे. त्रीजुं आपणा ज्ञानभंडारनो उद्धार थवाथी अन्य मतानुयायीओने पण आपणी जैन फीलोसोफीनो फायदो पुगशे. आ जीर्ण पुस्तकोना उद्धारमां आप लोकोए आपनी उदारताथी जे मदद करी छे, ते
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com