Book Title: Mumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Author(s): Jain Shwetambar Conference Office
Publisher: Jain Shwetambar Conference Office
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( १८२)
पोतानो माल अनाज, गोळ विगेरे मजुरने आपता अने पैसा पोते लेता; तेमां देरासरमां कांई नुकसान गयुं नधी, पण पोतानो माल खप्यो तेमां रुपिया एकनी एंसी काकनी थाय, तेवी एक हजार काकनीनी पेदाश थई; तेना प्रभावे नर्कमां साते नर्के घणीवार जनुं थयुं, तेमज एकेंद्रियादिकमां पण हजार हजार भव करवा पड्या छे; जे भवनो पार नहीं एटला भव रोळावुं थयुं. एम घणा भव भमी, पछी मनुष्य थया त्यारे पण जन्म धयो ने मातापिता मरी गयां, अने धन हतुं ते नाश पाम्युं. मामाने त्यां गया तो आग लागी, एम ज्यां जाय त्यां राखनारने नुकसान धाय अने कोई राखे नहीं. झाजमां बेसी द्वीपांतरे गया त्यारे मनमां आव्युं जे, आ वखत तो सहीसलामत पहोंचीशुं एटले तोफान जाग्युं अने डुब्या, पण पाटीयुं हाथमां आववाधी तेने बळगीने बहार नीकळ्या. त्यां पण घणां दुःख भोगव्यां एटलामां महामुनि महाराज मळ्या छे. तेमणे पाछला भवनुं देवद्रव्य भक्षणनुं स्वरुप तथा भव भ्रमणनुं स्वरूप दर्शाव्युं, तेथी वैराग्य पामी गुरुना फरमाव्या माफक देवद्रव्य आपवानो ठराव एत्रो कर्यो के, जे धंधो करूं तेमांथी खात्रा अने वस्त्र पहेरवा जोईए एटलुं वापरतुं, अने बाकी वधे ते देवद्रव्यना देवामां आपवुं. आवो निश्चय कर्यो त्यारथी पेदाश थवा मांडी, अने देवद्रव्यनुं देवं अदा कर्तुं त्यारबाद मोटा धनवान थया अने पूर्ण शुद्धताथी देवद्रव्यनुं रक्षण कर्यु, तेथी पालुं तीर्थकर गोत्र उपार्जन कर्यु. आ कथामां बे वातनो पुरावो छे. खाधाथी दुर्गतिनुं फळ अने रक्षणथी मोक्षप्राप्ति; माटे तेना उपर लक्ष दई कांईपण देवद्रव्यथी पोताने फायदो धाय ते काम करवुं नहीं. देरासरनुं घी विगेरेनुं देवुं होय ते सारुं देरानां माणसो धक्को खाधा करे अने तेने पैसा आपे नहीं, ए पण ओछ्रं पाप छे एम समजवुं नहीं; तेम कारभारीने सर्वे भाईओए बनती मदद करवी जोईए. मदद न करतां तेमनी निंदा करवी, अने कारभार करनारनुं मन काम करवाथी खशी जाय तेम करवुं ते पण महापापनुं निमित्त छे. दुनियामां भूल सौनी थायछे. आपणे पोताना काममां भूल खाईए छीए के नहीं ? तेम कारभारी पण भूल खाय, तो तेमने एकांतमां सभ्यताथी समजाबवा के फरी भूल न थाय. आ उचित करणी करवा जेवी छे; तेमज केटला एक कारभारी प्रमाद करता होय, अने सभ्यताथी कोईपण संघनां माणस कहे तेनी बात नहीं सांभळतां तेने उडाऊ जवाब देवो, ए पण उचित नथी. देरासर विगेरेनां नाणां तथा चोपडा कोईपण संघनुं माणस जोवा मागे तो वगर ढीले बताववां जोईए, अने जोवा न आवे तोपण दर वर्षे संघ एकठो करी संघ आगळ हिसाब रजु करवो जोईए; तेमां केटलेक ठेकाणे बोलाव्या छतां संघना गृहस्थो आवता नथी तेम पण थवुं जोईए नहीं. कारभारीए संघ आगळ हिसाब रजु करवो ने संघे जोवानो महावरो राखवो जोईए, एम करवाथी कारभारीने हिसाब चोखो राखवानी जागृति थाय छे. वळी देरासर विगेरेनुं देवुं होय तेनुं लीस्ट संघ वचे वंचाय, तेथी आबरुदार माणसो आबरु सारुं पण देरासरना पैसा आपी दे. वर्षमां एक वखत संघ आगळ हिसाब रजु करवानी जरुर छे, ते बहुज फायदानी वात छे. वळी केटलाक कारभारी तो एमज जाणे छे के, देरासरनो कारभार तो अमारा वारसामां आवेलो छे ते अमेज करीए. पोतानी शक्ति न होय. ते छतां बीजाने कारभार सोंपे नहीं, ने पोताथी काम थाय नहीं तेथी केटलाक प्रकारनी देवद्रव्यनी हानि थाय ने पोतानुं दुर्गतिमां जनुं थाय; माटे आग्रहथी कारभार राखवो, कोई जोवा मागे तो बताववो नहीं ए जीन शासननी मरजादथी उलटुं छे, अने ए शुभ कर्म मोक्ष उपार्जन करवानुं स्थानक छे; माटे बधा साहेबोए हिसाब सारीरीते राखत्रा, जे जोवा मागे तेने बताववा, कोई
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