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विवाह तथा बीजां संसारिक कार्य पूर्ण करवाने माटे, गीतार्थ मुनिओथी शास्त्रानुसार तथा बीजा पण जैन विद्वान् समजवान अने अग्रशोची पुरुषोनी संमतिथी रीतिओ प्रचलित करवी जोईए. हाल पण घणुंकरीने कई शून्य स्थान नी; तेवाओनो शोध करवाथी हमणां पण घणांक स्थळोमां गीतार्थ मुनि अने विद्वान् पुरुष प्राप्त थशे. __आपणा लोकोमां लग्न प्रसंगे बहुज पैसो नकामो उडाववामां आवे छे, जेमके तायफानो नाच, भांडोनी नकल, फुलवाडी, दारुखानु, सेवकोर्नु-भोजक-पांडे वगेरेनुं बंधान, स्त्रीओनां अनुचित (फटाणानां) गायन-गीत अने ए सिवाय बीजा पण घणाक नठारा रिवाजो छे. उपरनी चार रीतिओ के जेओनां नाम उपर बतावेल छे, तेओ स्थापित रहेवाथी आपण लोको पापना भागीदार थईए छीए, तथा यौवनावस्थाना वाळको कुमळी वयना उछरती युवानीमां होवाथी नठारी चालना थई जाय छे, अने समजदार तथा बुद्धिमान् पुरुपो पण एवी नठारी रीतिओथी नामना राखवा करे छे. केटलाक भाईओने आवा उडाऊ खर्चने लीधे देवाना दास बनी विपत्ति उठाववी पडे छे. घणुंकरीने पश्चिमोत्तरदेश अने बंगाळामां आवां नकामां खर्च करवानो विशेष रिवाज छे, अने धर्मनी तरफ लोकोनुं ध्यान दिन प्रतिदिन घटतुं जाय छे. जुओ के आजकाल केटलाक अन्य जातिना लोकोए आपणा अहींआंनी नठारी रीतोने दूर करी सारा व्यवहारोनो प्रचार कर्यो छे, अने कायम राखवाने माटे न्यायपूर्वक पुस्तकोने उपयोगमा लावे छे. ए प्रमाणे आपणे पण विवाह तथा बीजां पण संसारिक कामोने माटे ते लोकोर्नु अनुकरण करवू घटे छे, तथा तेवा करेला ठरावो तोडनारनो दंड करवो योग्य छे.
एक वात कहेवानो मने घणा दिवस थयां विचार हतो; परंतु एवो समय प्राप्त न थवाथी प्रकट करी शक्यो नथी. हवे श्री वीतराग देवनी कृपाथी समय हाथ लाग्यो छे, अने आप समस्त भाईओनां दर्शन थयां, एथी निवेदन करुं छं ते ध्यानपूर्वक श्रवण करशो, अने ते फळीभूत थवाना यत्न आदरशो. इंग्रेजी राज्यमां सर्व लोको एक सरखा समजवामां आवे छे, अने सांभळवामां पण आवे छे के वाघ बकरी एक आरे पाणी पीए छे. जेमके हिंदुओनो न्यायसंग्रह, मुसलमानोनो न्यायसंग्रह अने बीजा पण जुदा जुदा मतवाळाओना जुदा जुदा न्यायसंग्रहने, जोके तेओ लोकोना शास्त्रोना आश्रयथी बनाववामां आव्या छे. तेओने भारतवर्ष (हिंदुस्तान)नी राजसभा मानेछे, एज प्रमाणे आपण जैनीओनी तरफथी एक प्रार्थनापत्र स्टेट सेक्रेटरी टु धी गवरमेंट ऑफ इंडियाने अने लंडन शहरमां पार्लामेन्ट सभाने मोकलq घटे छे, के अमारा लोकोना जैन न्यायसंग्रह पण अर्हत् नीति तथा बीजां बीजां शास्त्रोना अनुसार स्विकार करो अने तेनो प्रचार थवा सावधान सहित यथोचित् परिश्रम करवो जोईए छ; केमके ब्यां धर्मानुसार कार्य करवामां आवे छे त्यांनी उन्नतिनुं शुं ठेकाणुं छे ? केमके:
सवैयो. देव गुरु शास्त्रकी श्रद्धासे प्रीति करो यही सब सूत्र सिद्धांतोंका मूल है, इनमें जो संशय करै जन्म जन्म भ्रमन करे धिक् धिक् संसार कहै कैसी बड़ी भूल है,
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