Book Title: Mrutyu Aur Parlok Yatra
Author(s): Nandlal Dashora
Publisher: Randhir Book Sales

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Page 7
________________ मृत्यु जीवन का एक शाश्वत सत्य है जिसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती किन्तु इसे सुखद बनाया जा सकता है जिससे भावी जीवन अधिक उन्नत एवं समृद्ध बन सके, यह मनुष्य के हाथ में है । दैवी शक्तियाँ इसे अधिक उन्नत बनाने में सदा सहयोग करती रहती हैं किन्तु अज्ञानवश मनुष्य स्वयं अपना पत्नन कर लेता है जिसके लिए यह प्रकृति जिम्मेदार नहीं है। मृत्यु क्या है ? क्या मृत्यु के बाद भी जीवन है ? मृत्यु के बाद जीवात्माएँ किन-किन लोकों में भ्रमण करती हैं तथा वहाँ रह कर क्या-क्या कार्य करती हैं ? क्या पुनर्जन्म भी होता है व क्यों होता है ? मृत्यु किसकी होती है ? हमारे जीवन और परलोक के जीवन में क्या भिन्नताएँ और समानताएँ हैं ? क्या मोक्ष जैसी भी कोई स्थिति है ? विभिन्न लोकों की जानकारी किस प्रकार प्राप्त की जाती है ? आदि अनेक जटिल प्रश्नों की जानकारी इस पुस्तिका में दी गई है। साथ ही सृष्टि रचना, ईश्वर जीवात्मा एवं शरीर का स्वरूप एवं परस्पर सम्बन्ध, जीवात्मा का क्रमिक विकास तथा परलोक यात्रा आदि विषयों का भी इसमें समावेश करके इसे अधिक उपयोगी बनाया गया है जिस से पाठकगण लाभान्वित हो सकें तथा उनकी कई जिज्ञासाओं का समाधान होकर इसके अनुसार अपनी जीवन प्रणाली में परिवर्तन ला सके। भारतीय अध्यात्म क्षेत्र में साँख्य, योग, एवं वेदान्त, सर्वाधिक मान्य एवं प्रामाणिक ग्रन्थ हैं जिनका आधार वेद और उपनिषद् हैं तथा इन्हीं की व्याख्या पुराणों एवं ब्रह्मसूत्र में हुई है। थियोसॉफी के दिव्य दृष्टि प्राप्त मनीषियों मेडम ब्लेवट्स्की लेड वीटर, कर्नल ऑलकॉट, एनी बेसेण्ट तथा आचार्य रजनीश ने इस विषय पर प्रामाणिक सामग्री प्रस्तुत करके इस ज्ञान को

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