Book Title: Meri Mewad Yatra
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharmsuri Jain Granthmala

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Page 34
________________ उदयपुर १७ महाराणा प्रताप का स्वात्माभिमान ! प्राणान्त तक भी पराधीनता नहीं स्वीकार करने और अपने धर्म पर दृढ रहने की उनकी टेक, आज भी उनकी अमरगाथाओं के रूपमें गाई जा रही हैं। उदयपुर का राज्य, यानी-हिन्दू धर्मरक्षक राज्य । उदयपुर का राज्य यानी धार्मिक श्रद्धावाला राज्य । उदयपुर की चली आती हुई धर्मश्रद्धा का अनुमान हमलोग इससे भी लगा सकते हैं कि-उदयपुर राज्य की आय का तृतीयांश मन्दिर आदि धार्मिक कार्यों में ही खर्च किया जाता है। हिन्दू या जेन का, सारे मेवाड़ में शायद ही ऐसा कोई मन्दिर होगा, कि जिसे राज्य की तरफसे थोड़ी बहुत सहायता न प्राप्त होती हो । कुछ मन्दिरों में, राज्य की तरफ से खासे आङम्बरों सहित खूब धूमधाम होती है, जिसके कारण वे मन्दिर महान तीर्थस्थानों के रूप में पूजे जा रहे हैं। राज्य के विभिन्न-विभाग, आज के अंग्रेजी फैशन के जमाने में भी, देवभाषा (संस्कृत) में निश्चित किये हुए नामों से प्रसिद्ध हैं। उदाहरणार्थ-उदयपुर की हाईकोर्ट का नाम है 'महदाजसभा' (महद् राजसभा)। इसी तरह, अन्य, अनेक ऑफिसों के नाम भी प्राचीन पद्धति के ही हैं। उदयपुर राज्य, इस प्रकार की अनेक विशेषताओं के कारण विशिष्ट माना जाता है। उदयपुर राज्य की एक यह भी विशेषता है, कि जावर नामक स्थान में वहाँ चाँदी तथा सीसे की और पुर, गंगापुर तथा सहाड़ा में अभ्रक की खदानें मौजूद हैं। एक समय ऐसा था, जब चाँदी सीसेकी खदानों के कारण, जावरनगरी खूब आबाद थी। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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