Book Title: Meri Mewad Yatra
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharmsuri Jain Granthmala

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Page 59
________________ ४२ मेरी मेवाड़यात्रा संस्था भलीभाँति चल सकती है। किन्तु कन्याशाला और पाठशाला की ही तरह इस बोर्डिंग का कार्य भी सन्तोषजनक नहीं दीख पड़ता । यदि अभी स्थापित हुई 'महासभा' के उच्च शिक्षाप्राप्त, उत्साही तथा शक्तिसम्पन्न कार्यकर्तागण इन संस्थाओं का कार्य अपने हाथ में लेंगे, तो आशा है कि ये संस्थाएँ अवश्य ही अच्छी स्थिति में आजावेगी और उनके द्वारा समाज को अच्छा लाभ पहुँचेगा । बोर्डिंग, पाठशाला और कन्याशाला इन तीनों संस्थाओं में समयानुसार परिवर्तन करने की आवश्यकता है । उनके कार्यकर्तागण धर्मप्रेमी और समाज प्रेमी हैं। इसी लिये यदि महासभा के कार्यकर्तागण चाहेंगे तो इन संस्थाओं को अधिक अच्छो स्थिति में पहुँचा देंगे। इनके अतिरिक्त, जैन लायब्रेरी और श्री वर्धमान जैन ज्ञानमन्दिर नामक दो संस्थाएँ ज्ञानप्रचार का कार्य करने वाली संस्थाएँ हैं । जैन लायब्ररी (श्री विजयधर्मसूरिहोल) एक कमेटी के द्वारा चलती है। श्री वर्धमान ज्ञान मन्दिर यतिवर श्रीमान् अनूपचन्दजी की देखरेख में चलता है। यह संस्था, केवल उदयपुर की जनता के लिये ही नहीं, बल्कि उदयपुर में आने वाले साधु साध्वियाँ तथा प्रत्येक ज्ञानपिपासु के लिये अत्यन्त उपयोगी प्रमाणित हो रही है। जैन लायब्रेरी में, अनेक समाचार पत्रों के आनेके अतिरिक्त, आधुनिक समाजोपयोगी पुस्तकों का संग्रह भी है। दूसरी संस्था-ज्ञानमन्दिर में आगमों तथा अन्यान्य प्राचीनShree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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