Book Title: Meri Mewad Yatra
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharmsuri Jain Granthmala

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Page 64
________________ उदयपुर की संस्थाएँ शिलाओं पर १५१७ के शिलालेख हैं । एक आदिनाथ का परिकर है, जिसमें नागहदनगर ( नागदा ) में राणा कुम्भकर्ण के राज्य में आदिनाथ का परिकर बनाये जाने और खरतरगच्छीय वर्धमानसरि द्वारा प्रतिष्ठा किये जाने का वर्णन खुदा हुआ है । मूर्त्ति श्वेताम्बरीय है । कुम्भा का समय १४९१ से १५२० तक का माना जाता है । ४७ I दूसरा एक पुस्तकालय श्री सज्जनसिंहजीने सन् १९३१ में स्थापित किया है । इसमें ११९२ भाषा की और ४६६ अंग्रेजी पुस्तकें हैं। तीसरा सरस्वती भण्डार है, जिसमें २३१९ पुस्तकें जो हस्तलिखित तथा छपी हुई, दोनों प्रकार की है । उपर्युक्त लाइब्रेरियाँ तथा म्यूझियम का निरीक्षण मुनिश्री हिमांशुविजयजी कर आये थे, अतः उन्हीं के नोट्स के आधार पर यह वर्णन लिखा गया है । , ५ - आयुर्वेद सेवाश्रम. 'आयुर्वेदसेवाश्रम' नाम की एक संस्था उदयपुर में मौजूद है । इसके अधिष्ठाता पंडित भवानीशंकरजी तथा पं. अमृतलालजी बड़े ही सज्जन, साधुभक्त, परोपकार वृत्तिवाले और आयुर्वेद के अच्छे निष्णात हैं । प्राचीन आयुर्वेद की पद्धति के अनुसार अच्छी अच्छी शुद्ध औषधियाँ इस आश्रम में तैयार की जाती हैं। इतना ही नहीं परन्तु ये दोनों अधिष्ठाता अच्छे अच्छे विद्यार्थियों को आयुर्वेद का अभ्यास कराकर परीक्षायें भी दिलवाते हैं । सेवाश्रम का ध्यान गरीबों की तरफ विशेष करके रहता है। और उनकी सेवा के Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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