Book Title: Meri Mewad Yatra
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharmsuri Jain Granthmala

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Page 69
________________ ५२ मेरी मेवाड़यात्रा ग्राम गोस्वामीजी के आधीन है। अतएव इस तीर्थ का सर्वाधिकार गोस्वामीजी को है । फिर भी, उदयपुर के 'देवस्थान डिपार्टमेन्ट की देखरेख तो अवश्य ही है। आजकल यहाँ के गोस्वामीजी एक नवयुवक तथा शिक्षित हैं। यह वही काँकरोली है, जहाँ लगभग १५ वर्ष पूर्व स्थानीय जैनमन्दिर को तोड़ डाला गया था और मूर्तियाँ तालाव में फेंक दी गई थों । पन्द्रह वर्ष व्यतीत हो जाने पर भी, अभीतक उस केस का फैसला नहीं हो पाया है, यह खुबी है। काँकरोली के गोस्वामीजी, उदयपुर के महाराणाओं के गुरु कहलाते हैं। ४-चारभुजाजी काँकरोली से लगमग बीस-पच्चीस मील पश्चिम में गडबोर नामक ग्राम है। यहाँ चारभुजाजी का प्रसिद्ध वैष्णव मन्दिर है। यहाँ के पूजारी गूजर लोग हैं। केशरियाजी में जिस तरह पण्डों का साम्राज्य है, उसी तरह यहाँ गूजर नारियों का है । पूजारियों के निश्चित हक हैं। यह तीर्थ भी उदयपुर राज्य के अधीन है। यहाँ नायब हाकिम, थानेदार आदि रहते हैं। ५-रूपनारायण चारभुजा से लगभग ३-४ मील दूर, रूपनारायण का प्रसिद्ध विष्णुमन्दिर है। उपर्युक्त चार तीर्थों की अपेक्षा, यहाँ की आमदनी कम बतलाई जाती है। एकान्त तथा पहाड़ी प्रदेश में होने के कारण यहांतक यात्री कम जाते हैं। यहां राज्य का अधिकार है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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