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मेरी मेवाड यात्रा
सुन्दरता तथा विशालता दिख पड़ती है, वैसी भारतवर्ष के अन्य किसी राज्य में शायद ही दिखाई दे । जयसमुद्र, उदयसागर, पीछोला, फतेहसागर आदि तालाव, सचमुच ही समुद्र का दृश्य उपस्थित करते हैं । राज्यकी विशेषता
यद्यपि, उदयपुर राज्य, गवालियर, मैसूर, और बड़ौदे के सदृश बड़ा राज्य नहीं है, फिर भी, इस राज्य में कुछ खास विशेषताएं देखी जाती हैं । उदयपुर का राज्य, यद्यपि राणाओं का राज्य है, किन्तु राणाओं की अपने इष्टदेव एकलिंगजी पर रहनेवाली अनन्य श्रद्धा के कारण मेवाड़ के राजा तो 'एकलिंगजी ' कहे जाते हैं और राणाजी मेवाड़ राज्य के दीवान के नामसे प्रसिद्ध हैं ।
उदयपुर की गद्दी पर बैठनेवाले राणाओं के सदृश धर्मश्रद्धा भी, शायद ही किसी दूसरे राजघराने में दिखाई दे ।
उदयपुर राज्य, वर्तमान अंग्रेजी राज्य के आधीन होते हुए भी, अपनी बहुत सी स्वतन्त्रता अभी तक सुरक्षित रक्खे हुए है । वहाँ, अभीतक राज्य का अपना सिक्का चल रहा है और उस पर खुदे हुए 'दोस्ती लन्दन' शब्द, उसकी आंशिक - स्वतन्त्रता के सूचक हैं ।
उदयपुर की गद्दी पर, यद्यपि अभी तक अनेक राणा हो चुके हैं, किन्तु इन सब में महाराणा प्रताप का नाम विशेषरूप से इतिहास के पृष्ठों में स्वर्णाक्षरों में अंकित है । इसका कारण है
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