________________
[ १६ ]
जैसे वश में किया गया दास अन्यत्र नहीं जाता वैसे वंश हुद्या मन प्रशुभ में नहीं जाता इत्यादि । इसमें ११ कारिकायें हैं ।
( ६ ) अनियत विहार - साबु वायुवद् निःसंग होकर सर्वत्र विहार करे कहीं पर भी प्रतिबद्ध न रहे इससे नत्र में स्थिरता आदि गुणों को प्राप्ति होती है । इसमें १० श्लोक हैं ।
(७) परिणाम — मेरे में कौन से समाधिमरण के ग्रहण की क्षमता है, अनन्त संसार में परिभ्रमण करते हुए मैंने आज तक समाधि पूर्वक मरण नहीं किया अतः दुःख का भाजन बन रहा हूं । अब अवश्य ही समाधि युक्त मरण करूँगा । इत्यादि रूप समाधि के लिए दृढ़ परिणाम करना इत्यादि । इसमें ८ श्लोक हैं ।
( ८ ) उपधित्याग -- परिग्रह का त्याग प्रर्थात् जो परिग्रह त्याग महाव्रत पहले से स्वीकार किया है उसमें विशेष रूप से दृढ़ता लाना, साधु योग्य पुस्तक आदि में भी ममत्व नहीं करना साधु योग्य वस्तु होते हुए भी विवेक युक्त ही ग्रहण करना इत्यादि । इसमें श्लोक हैं । श्रिति - सम्यक्त्वादि गुणों में प्रतिदिन विशुद्धि बढ़ाना । इसमें ७ कारिकायें हैं ।
६
( ९ )
(१०) भावना संघ के समक्ष अपनी समाधि ग्रहण की भावना व्यक्त करना, कांदर्पी आदि संक्लेश वाली शुभ ५ भावना का सर्वथा त्याग करना और तपो भावना. धैर्यं भावना प्रादि पवित्र शुद्ध भावना का आश्रय लेना इसमें एकत्व भावना में दृढ़ ऐसे नामदत्त नाम के महामुनि का कथानक है । इसमें २५ कारिकायें हैं ।
E
सल्लेखना प्रादि अधिकार
(११) सल्लेखना - संन्यास के सम्मुख व्यक्ति को बारह तपों में विशेष रीत्या संलग्न होना चाहिए । यह अन्तरंग और ग्रह बाह्य तप हैं इन तपों की विधि एवं इनसे होने वाला तत्कालीन लाभ आदि का सुन्दर विवेचन इस अधिकार में है भक्त प्रत्याख्यान का उत्कृष्टः काल बारह वर्ष प्रमाण है उसको इस प्रकार व्यतीत करें - विविध प्रतापन योग कायक्लेश आदि तपों द्वारा चार वर्ष व्यतीत करें, चार वर्ष समस्त रसों का त्याग करके पूर्ण करें, आत्राम्ल और रस त्याग द्वारा दो वर्ष तथा एक वर्ष आचामल तप द्वारा और अन्तिम छह मास उत्कृष्ट कायक्लेश द्वारा व्यतीत करें । कषाय सल्लेखना - कषायों का कृशोकरण या त्याग भी साथ साथ सर्वथा करना आवश्यक है तभी वह सल्लेखना कहलाती है। इसमें ६८ कारिकायें हैं ।
(१२) दिशा - समाधिमरण के इच्छुक व्यक्ति यदि प्राचार्य हैं तो वे अपना आचार्य पद योग्य शिष्य को शुभ नक्षत्र वार आदि में देते हैं एवं उनकी संघ संचालन का दिशा बोध देते हैं। इसमें ५ कारिका हैं ।